Published on: 19-Apr-2023
भारतीय किसानों को पारंपरिक खेती से घाटा होने के चलते उनको अन्य फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया है। फिलहाल, औषधीय पौधों एवं फूलों की खेती की जा रही है। ऐसी स्थिति में आपको बोगेनवेलिया फूल की जानकारी प्रदान की जा रही हैं। जो केवल दिखने में अच्छी लगने के साथ-साथ विभिन्न एलोपैथिक व आयुर्वेदिक इलाज के लिए गुणकारी मानी जाती है।
भारत में बागवानी की तरफ किसान फिलहाल ज्यादा रुची रखने लगे हैं। इस वजह से किसानों को खेती करने हेतु बोगेनवेलिया फूल के संबंध में बताया जा रहा है। माना जा रहा है, कि जैसा नाम वैसा बहार क्योंकि इसको कागजी फूल के नाम से जाना जाता है। जो कि काफी कम देखभाल करने से भी रंगीन एवं सुंदर बनता जा रहा है।
बतादें, कि विभिन्न देशों में इसको विभिन्न नामों से जाना जाता है। मुख्य तौर पर यह दक्षिण अमेरिका के देशों में पाया जाता है। इसकी खोज फिलबरट कॉमर्रसन एवं लुई एंटोनी डी बोगनविले नाम के दो वैज्ञानिकों द्वारा की गई थी। इनमें से एक वैज्ञानिक के नाम पर इस पौधे का नामकरण किया गया है। यह पौधा आयुर्वेद में पेचिश, पेट, फेफड़ों, खांसी और दमा की तकलीफ से राहत दिलाने का कार्य करती है।
बोगनविलिया की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
इन पौधों को अधिक तापमान की आवश्यकता होती है। आदर्श रूप से 20 डिग्री से ऊपर तापमान होना चाहिए। अगर उस जगह पर जहां पौधों में सामान्य तौर पर ठंड होती है, तो उन्हें प्लास्टिक से अच्छी तरह से संरक्षित करना चाहिए अथवा उनको अंदर रखना चाहिए।
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बोगनविलिया कटिंग के द्वारा इस प्रकार लगाएं
सर्वप्रथम एक विकसित पौधे से 5-6 इंच की कटिंग निकाल लें, उसके बाद एक पारदर्शी जार में जल भरें पानी में बिल्कुल थोड़ी मात्रा में रूटिंग हॉर्मोन डालें। अब जल में कटिंग को डालकर ऐसे स्थान पर रखें जहां छनकर हल्की धूप आती हो। लगभग 5-6 दिनों में जल परिवर्तित कर दें। लगभग 10 दिन के उपरांत कटिंग से छोटी-छोटी जड़ें निकलने लगती हैं। तब इस कटिंग को गमले में लगाया जा सकता है।
बीज से बोगनविलिया इस तरह लगाई जाती है
बोगनविलिया बीज से उगाने हेतु एक परिपक्व पौधे के बराबर आवश्यकता होती है। यह बेहतरीन जल निकासी वाली मृदा, पर्याप्त धूप एवं अनुकूल बढ़ती परिस्थितियों की जरूर मांग करता है। सर्व प्रथम बीज की मोटाई के 2-3 गुना की गहराई तक उनको रेक करके बोए बीजों को नियमित तौर पर पानी दें। मिट्टी को नम रखें जिससे कि अंकुरण में सहायता मिल सके। अंकुरित होने में लगभग 30 दिन लगेंगे। जब बीज अंकुरित हो जाएं तब उन्हें गमले में स्थापित कर सकते हैं।
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सिंचाई कब और कैसे करें
जड़ सड़न बोगनविलिया की मृत्यु का सबसे आम वजह होती है। इसलिए सतर्क रहने एवं अत्यधिक सिंचाई करने से बचने की आवश्यकता होती है। विशेषकर जब पौधे गमलों में तैयार होते हैं। अधिक सिंचाई करने से फूलों की कीमत पर अस्थायी रूप से अंकुर, पत्तियों के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, परंतु, आखिर में जड़-सड़न और पौधे की मृत्यु जैसे असर देखने को मिलेंगे। हालांकि, गर्मियों के कड़े तापमान में पौधे को प्रति दिन सिंचाई की आवश्यकता होगी। परंतु, सिंचाई केवल गमले की मिट्टी सूखने की स्थिति में करें।