गैलार्डिया को ब्लैंकेट फ्लावर के नाम से भी जाना जाता है। यह बारहमासी पौधा है , इसकी खेती किसी भी मौसम में की जा सकती है। गैलार्डिया एस्टरेसिया परिवार का एक पौधा है।
इस फूल का नाम फ्रांस के 18 वी सदी के मजिस्ट्रैट maitre Gaillard de Charentonneau के नाम पर रखा गया है, जो की मजिस्ट्रैट होने के साथ भी बहुत ही काबिल वानस्पातिक शास्त्री थे।
इस पौधे की ऊंचाई 45 -60 से मी होती है। इन पौधो का ज्यादातर उपयोग घर के लॉन और बालकनी को सजाने के लिए किया जाता है।
गैलार्डिया की बहुत सी किस्में ऐसी है, जिन पर सूंदर मेहरून, लाल, पीले और नारंगी रंग के मिश्रण वाले फूल खिलते है। गैलार्डियन फूल की कुछ उन्नत किस्में इस प्रकार है: गैलार्डिया एस्टिवेलिस (वॉल्टेर) एच रॉक, गैलार्डिया एमब्लिओडोन ज गेय मैरून ब्लैंकेट फ्लॉवर, गैलार्डिया अरिस्टेटा पर्श, गैलार्डिया अरिज़ोनिका ऐ ग्रे। इन किस्मो का उत्पादन कर किसान भारी मुनाफा कमा सकता है।
ये भी पढ़ें: जानिए सूरजमुखी की खेती कैसे करें
गैलार्डिया की खेती का सही समय फरवरी और मार्च का होता है। इस माह में इस फूल के बीजो की बुवाई की जाती है। बीजो के अंकुरण के लिए सूर्य की रोशनी का उचित तापमान होना आवश्यक है।
इन फूलो को ज्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं रहती है। 30 -40 के दिन के बाद यह बीज सीडलिंग के लिए तैयार हो जाते है। इन्हे गमलों या किसी अन्य पॉट वगेरा में ट्रांसप्लांट कर सकते है।
बीज लगाने के लगभग तीन महीने बाद इनमे फूल आना शुरू हो जाते है , साथ ही ये पौधे 6 महीने से अधिक फूल देते रहते है। यानी ठंड के आने तक इन पौधो में फूल लगते रहते है।
गैलार्डिया फूल को वैसे किसी भी मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन क्षारीय, दोमट और अम्लीय मिट्टी को इसकी खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।
बीज की बुवाई के लिए पहले खेत को अच्छे से तैयार कर ले, खेत की अच्छे से गुड़ाई करें। किसानों द्वारा खेत को तैयार करते वक्त गोबर या कम्पोस्ट खाद का भी प्रयोग किया जा सकता है। इसके लिए अच्छे जलनिकास वाली भूमि की आवश्यकता रहती है।
ये भी पढ़ें: सदाबहार पौधे से संबंधित विस्तृत जानकारी
गैलार्डिया के फूल के लिए उचित तापमान की आवश्यकता रहती है। गैलार्डिया बीज के अच्छे अंकुरण के लिए 21 डिग्री तापमान की जरुरत रहती है। फूल की अच्छी ग्रोथ के लिए 20 -30 डिग्री के बीच के तापमान की आवश्यकता रहती है।
यह पौधे ज्यादा गर्मी के तापमान को सहन कर लेते है , लेकिन सर्दियों में 10 डिग्री टेम्परेचर से कम का तापमान इस पौधे की बढ़ोत्तरी पर बाधा डाल सकता है।
गैलार्डिया के फूल को ज्यादा देखभाल की जरुरत नहीं रहती है। बुवाई के बाद इसमें सिंचाई भी बहुत ही कम मात्रा में की जाती है। गैलार्डिया का पौधा सूखा सहनशील है, इसीलिए इसमें कम पानी की जरुरत पड़ती है।
वसंत और गर्मियों में पौधे पर फूल आने लग जाते है , उस वक्त इस पौधे को पानी की जरुरत होती है। सर्दियों में पौधे की सिंचाई की मात्रा कम कर दी जाती है।
पौधे की अधिक उपज के लिए अन्य रासायनिक खाद की आवश्यकता नहीं रहती। खेत को तैयार करते समय कम्पोस्ट खाद का उपयोग करें, वो फसल और भूमि दोनों के लिए बेहतर होता है।
साथ ही इस पौधे में कीट और रोग लगने की बहुत ही कम संभावनाएं रहती है। लेकिन गैलार्डिया फूल में रुट रॉट की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है।
इस रोग से पौधे की जड़े सड़ने लगती है, यह ज्यादा पानी के प्रभाव से भी हो सकता है, इसीलिए इसकी खेती के लिए जल निकासी का प्रबंध होना आवश्यक है। साथ ही भूमि सूखी होनी चाहिए उसमे ज्यादा नमी न हो , ज्यादा नमी भी पौधे को नुक्सान पहुँचाती है।
गैलार्डिया फूल में 6 महीने तक फूल खिलते है। फूल खिलने के बाद इसके पेड़ सूख और मुरझा जाते है। इन फूलो की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए इसके तनो को काट दिया जाता है।
साथ ही बढ़ते मौसम में फूलो को डेडहेड करते रहना चाहिए ताकि यह फूलो को निरंतर खिलने के लिए बढ़ावा दे सके। गैलार्डिया फ्लॉवर की प्रूनिंग का काम पतझड़ के मौसम में किया जाता है, ऐसा करने से पौधे सूंदर और स्वस्थ बने रहते है।
ये भी पढ़ें: इन फूलों का होता है औषधियां बनाने में इस्तेमाल, किसान ऐसे कर सकते हैं मोटी कमाई
पिकता और लोरेंजिया ये भी गैलार्डिया फूल की किस्में है। गैलार्डिया पौधे में बड़े आयकर के फूल लगते है। बुवाई के लिए इसमें 300 ग्राम बीज की प्रति हेक्टेयर आवश्यकता रहती है।
गैलार्डिया फूल की खेती के लिए , खेत की अच्छी से जुताई कर ले। मिट्टी के भुरभुरा होने पर बीज की बुवाई करें। बुवाई करते समय फॉस्फोरस और पोटास को भी खेत में दे देना चाहिए, इससे भूमि की उर्वरकता बनी रहती है।
गैलार्डिया की खहेति करने के लिए, बीजो को बोने के लिए अलग से नर्सरी तैयार की जाती है। यह नर्सरी ऊंची और समतल जगहों पर बनाई जाती है, एक एकड़ खेत में लगभग चार क्यारियां बनाई जाती है 3 फ़ीट चौड़ी और 10 फ़ीट लम्बी होती है। बुवाई करने से पहले बीजउपचार कर लेना चाहिए।