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इस रबी सीजन में किसान काले गेहूं की खेती से अच्छी-खासी आय कर सकते हैं

इस रबी सीजन में किसान काले गेहूं की खेती से अच्छी-खासी आय कर सकते हैं

जैसा कि हम सब जानते हैं, कि से कुछ दिन के उपरांत अक्टूबर का महीना शुरू हो जाएगा। अक्टूबर के महीने में रबी के फसल की बुवाई होना आरंभ हो जाती है। ऐसी स्थिति में अगर आप एक किसान हैं तो यह आपके लिए आवश्यक खबर है। क्योंकि आज हम आपको गेहूं की ऐसी फसल की बुवाई के विषय में बता रहे हैं, जिसमें आप कम लागत में चार गुना ज्यादा मुनाफा कमाएंगे। भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है, क्योंकि यहां 70% किसान हैं। भारत के भिन्न भिन्न हिस्सों में भिन्न भिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं। फसलों की बेहतरीन पैदावार और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए समय-समय पर नये नये प्रयोग चलते रहते हैं, जिससे किसान भाई नवीन किस्म की खेती कर रहे हैं। खरीफ की फसल के कटाई की समयावधि आ गई है। अब किसान रबी की फसल की तैयारी में जुट गए हैं। ऐसी स्थिति में आज हम आपको रबी के फसल में काले गेंहू की बुवाई के विषय में बता रहे हैं, जिसमें किसान कम खर्चे में ज्यादा मुनाफा कमाएंगे।

काले गेहूं की खेती की खासियत

यदि आप कृषक हैं और यह चाहते हैं कि आप ऐसे फसल बोएं जिससे कम लागत में ज्यादा मुनाफा हो। ऐसे में आप रबी के मौसम में मतलब कि अक्टूबर-नवंबर में काले गेहूं की खेती करें। इस खेती की विशेषता यह है, कि इसमें लागत भी कम आती है और ये सामान्य गेहूं की अपेक्षा में चार गुना ज्यादा दाम पर बिकता है।

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काले गेहूं की बुवाई किस प्रकार की जाती है

काले गेहूं की खेती करने के लिए अक्टूबर और नवंबर का महीना सबसे उपयुक्त होता है। काले गेहूं की खेती के लिए भरपूर मात्रा में नमी होनी चाहिए। इसकी बुवाई के दौरान खेत में प्रति एकड़ 60 किलो डीएपी, 30 किलो यूरिया, 20 किलो पोटाश एवं 10 किलो जिंक का उपयोग करें। फसल की सिंचाई के पहले पहली बार 60 किलो यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से डालें।

काले गेंहू की सिंचाई

काले गेहूं की सिंचाई बुवाई के 21 दिन उपरांत करें। इसके पश्चात समय-समय पर नमी के हिसाब से सिंचाई करते रहें। बालियां निकलने के समय सिंचाई जरूर करें।

साधारण गेहूं और काले गेहूं में क्या फर्क है

काले गेहूं में एन्थोसाइनीन पिगमेंट की मात्रा ज्यादा मौजूद होती है। इसकी वजह से यह काला दिखाई देता है। इसमें एंथोसाइनिन की मात्रा 40 से 140 पीपीएम होती है। लेकिन, सफेद गेहूं में मात्र 5 से 15 पीपीएम होती है।

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काले गेहूं के क्या-क्या लाभ हैं

काले गेहूं में एंथ्रोसाइनीन मतलब नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट और एंटीबायोटिक भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो डायबिटीज, मानसिक तनाव, घुटनों में दर्द, एनीमिया, हार्ट अटैक और कैंसर जैसे रोगों को खत्म करने में कामयाब होता है। काले गेहूं में बहुत सारे औषधीय गुण विघमान है, जिसकी वजह से बाजार में इसकी काफी माँग है और उसके अनुरूप कीमत भी है।
काले गेहूं की खेती से कृषक अपनी आय किस प्रकार बढाऐं

काले गेहूं की खेती से कृषक अपनी आय किस प्रकार बढाऐं

काले गेहूं की खेती कृषकों की आय को बढ़ाने के साथ में यह सेहत के लिए भी काफी लाभकारी है। अगर हम काले गेंहू के सेवन से होने वाले स्वास्थ्य लाभों की बात करें तो यह बहुत सारे रोग जैसे कि कैंसर, शुगर, रक्तचाप एवं अन्य विभिन्न रोगों से व्यक्ति को फायदा मिलता है। इसकी मुख्य वजह यह है, कि काले गेंहू के अंदर विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व विघमान होते हैं। काले गेहूं का उत्पादन कई वर्षों से किया जा रहा है। साथ ही, काले गेहूं में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व विघमान होते हैं। इन पोषक तत्वों में विटामिन, खनिज, जिंक, कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम, अमीनो एसिड, कॉपर, एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर और प्रोटीन इत्यादि विघमान होते हैं। काले गेहूं के अंदर इन समस्त पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा उपस्थित होती है। बतादें, कि काले गेहूं को संपूर्ण अनाज भी माना जाता है। यदि व्यक्ति काले गेहूं से निर्मित रोटी का सेवन करता है, तो वह मधुमेह, रक्तचाप, हृदय रोगियों, कैंसर, शुगर और अन्य कई बीमारियों से काफी अलग होता है। भारत में काले गेहूं की खेती सबसे ज्यादा उत्तर पूर्वी राज्यों में की जाती है। गेहूं की खेती में यह प्रजाति किसानों को सर्वाधिक मुनाफा देती है।

काले गेहूं का सेवन करने से होने वाले लाभ

हृदय संबंधी फायदे क्या-क्या हैं

किसान भाइयों यदि आप काले गेहूं से निर्मित रोटी का सेवन करते हैं, तो आपको हृदय रोग का संकट काफी कम होगा। क्योंकि यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सामान्य बनाए रखने में सहायता करता है।

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काले गेंहू का सेवन मधुमेह में लाभकारी होता है

काला गेहूं एंथोसायनिन मधुमेह के रोगियों के ब्लड शुगर, मेटाबॉलिज्म में तीव्रता के साथ सुधार करता है। यदि डायबिटीज रोगी नियमित तौर पर काले गेहूं के उत्पादों का सेवन करते हैं, तो वह उनके लिए काफी लाभकारी साबित होगा।


 

काला गेंहू कैंसर के लिए काफी फायदेमंद होता है

काले गेहूं के एक शोध में पता चला है, कि इसमें कैंसर रोधी गुण विघमान रहते हैं, जो डीएनए के नुकसान से स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं। साथ ही, यह कैंसर की कोशिकाओं को फैलने से रोकती है।

जानें काले गेहूं की सम्पूर्ण जानकारी, काले गेहूं की क्या है खासियत ?

जानें काले गेहूं की सम्पूर्ण जानकारी, काले गेहूं की क्या है खासियत ?

काले गेहूँ की खेती भी आमतौर पर बोये जानें वाले सामान्य गेहूँ की तरह ही की जाति है। काले गेहूँ की खेती मुख्यत: उत्तर प्रदेश ,राजस्थान ,पंजाब ,हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में की जाती है। बाजार में इसकी कीमत 7000 -8000 रुपए प्रति क्विंटल रहती है। किसान ज्यादातर पारम्परिक खेती की और ध्यान देते है। लेकिन इसी बीच किसानो द्वारा काले गेहूँ की बुवाई पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है , क्योंकि किसान काले गेहूँ की खेती से अच्छे मुनाफा कमा सकता है।

सामान्य गेहूँ की तुलना में काले गेहूँ में 60% अधिक लोह पाया गया है। साथ ही इसमें एंथोसायनिन की अधिक मात्रा पायी जाती है , जिसकी वजह से इस गेहूँ का रंग काला होता है।  काला गेहूँ स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी माना जाता है। काला गेहूँ , गेहूँ की एक ऐसी किस्म है जो पोषक तत्वों के साथ साथ खनिजों से भी भरपूर है। 

काला गेहूँ क्या है ?

काला गेहूँ साबुत अनाज की जगह एक प्रकार के बीज होते है ,जिसका उपयोग भोजन के रूप में किया जाता है। काले गेहूँ की मुख्य खासियत यह है , यह सामान्य गेहूँ की तरह घास पर नहीं उगता है।  यह सामान्य कोशिकाओं वाले किनोआ के समूह में सम्मिलित है। काला गेहूँ ब्लैक वॉट एथोसायनिन से भरपूर माना जाता है। 

काला गेहूँ औषधीय गुणों से भरपूर है 

काले गेहूँ में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबायोटिक गुण पाए जाते है , जो स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक माने जाते है। काले गेहूँ की खेती सामान्य गेहूँ की खेती के जैसे ही की जाती है ,लेकिन बाद में बालियां का रंग पकने पर काला पड जाता है। काले गेहूँ का आटा पिसने पर लगभग चने के सत्तू की तरह दिखाई पड़ता है।  इसका उपयोग मैदे के स्थान पर भी किया जा रहा है , साथ ही इससे बहुत से बिस्कुट आदि भी बनाये जा रहे है। इसी कारण बाजार में इसकी मांग दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। यह शरीर को बहुत सी बीमारियों से बचाता है और स्वास्थ्य को भी स्वस्थ रखता है। 

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काले गेहूँ का बाजार भाव 

काला गेहूँ सामान्य गेहूँ की तुलना में महंगा होता है।  इसका बाजार भाव भी सफ़ेद गेहूँ की तुलना में अधिक है।  काले गेहूँ का बाजार भाव 7000 - 8000 रुपए प्रति क्विंटल है।  यह गेहूँ की किस्म किसानों के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित हुई है।  इसकी खेती से किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकते है। बड़े शहरों में काले गेहूँ की कीमत 10 -12 हजार रुपए प्रति क्विंटल है।  

काला गेहूँ है स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी जानें कैसे 

काले गेहूँ में कुदरती बहुत से ऐसे तत्व पाए जाते है , जो स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद साबित होते है।  काले गेहूँ के अंदर शुगर की मात्रा बहुत कम पायी जाती है , इस गेहूँ का सेवन मधुमेह के रोगी भी कर सकते है। साथ ही ये मानसिक तनाव और अन्य बीमारियों में भी राहत प्रदान करता है। 

दिल के रोगो से दूर रखता है 

काले गेहूँ का ज्यादातर सेवन दिल के रोगियों द्वारा किया जाता है , क्योंकि इसमें अधिक मात्रा में मैग्नेसियम पाया जाता है जो कैलेस्ट्रोल को कम करता है। कैलेस्ट्रोल के ज्यादा बढ़ने पर दिल से जुडी बहुत से बीमारियां हो सकती है , जैसे दिल के दोहरे पड़ना , हार्ट अटैक होना आदि सभी परेशानियों से दूर रहने के लिए हम काले गेहूँ का उपयोग कर सकते है। काला गेहूँ शरीर के अंदर कैलेस्ट्रोल का सामान्य स्तर बनाये रखता है।  

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कब्ज से राहत दिलाने में है फायदेमंद 

काले गेहूँ का उपयोग कब्ज से राहत पाने के लिए भी किया जाता है। यह पाचन किर्या को स्वस्थ बनाये रखता है और शरीर में बनने वाली गैस और कब्ज को दूर रखता है। जिन लोगों को पेट से जुडी कोई भी परेशानी है वो काले गेहूँ का सेवन कर सकते है , इन रोगों में गेहूँ फायदेमंद साबित होता है। काले गेहूँ का रोजाना सेवन से शरीर को पर्याप्त मात्रा में फाइबर मिलता है। 

एनीमिया (रक्त की कमी) को दूर करता है 

काले गेहूँ में प्रचुर मात्रा में फाइबर , मैग्नीशियम और अन्य पोषक तत्व पाए जाते है। काले गेहूँ की रोटी का रोजाना सेवन करें। काला गेहूँ शरीर के अंदर होने वाली रक्त की कमी को दूर करता है। साथ ही ये शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को भी संतुलित बनाये रखता है। 

तनाव से बचाव करता है 

शोध के अनुसार सामने आया है, कि काला गेहूँ तनाव जैसी समस्याओं को दूर करने में अपनी सकारात्मक भूमिका निभाता है। यह तनाव जैसे भयानक बीमारी को दूर करने में सहायक है। काले गेहूँ का सेवन मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर और उपयोगी बताया गया है। 

काले गेहूँ की खेती बहुत ही फायदेमंद और लाभकारी साबित हुई है,  इसकी बुवाई के लिए किसानो में होड़ लगी हुई है। किसान उच्च दामों पर भी काले गेहूँ के बीज को खरीदने के लिए तैयार है। क्योंकि किसान काले गेहूँ का उत्पादन कर ज्यादा मुनाफा कमा रहे है। काले गेहूँ का उपयोग बहुत सी बीमारियों में छुटकारा पाने के लिए भी किया जा रहा है, जैसे नेत्र रोग, मोटापा साथ ही इसका उपयोग कैंसर जैसी बीमारियों में राहत पाने के लिए किया जा रहा है।

ग्लैमर की चकाचौंध को छोड़ 5 साल से खेती कर रहे मशहूर एक्टर की दिलचस्प कहानी

ग्लैमर की चकाचौंध को छोड़ 5 साल से खेती कर रहे मशहूर एक्टर की दिलचस्प कहानी

आपने ये तो बहुत बार सुना और पढ़ा होगा कि किसी ने अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर खेती किसानी शुरू की। लेकिन, क्या आपने सुना है, कि कोई टीवी एक्टर अपने ग्लेमर के पीक पर पहुंचकर खेती किसानी का रुख करे। जी हाँ, आज हम आपको एक ऐसे ही मशहूर एक्टर की कहानी सुनाऐंगें, जिसने कि अपने कामयाब एक्टिंग करियर को छोड़कर किसान बनने का फैसला लिया। उन्होंने खुद इसके पीछे की वजह का चौंकाने वाला खुलासा किया है। 

एक्टिंग को ग्लैमर की दुनिया भी कहा जाता है और अगर कोई इस दुनिया में रच-बस जाए तो उसका इससे बाहर निकलना काफी कठिन हो जाता है। लेकिन एक एक्टर ऐसा भी है, जिसने एक्टिंग में एक कामयाब करियर होने के बावजूद इस दुनिया को अलविदा कह दिया और किसान बनकर खेती करने लगा। इस एक्टर ने पांच सालों तक गांव में रहकर खेती की और फसल उगाई।

ग्लैमर की दुनिया से खेती का रुख 

ग्लैमर की दुनिया छोड़ किसान बनने वाले इस एक्टर का नाम राजेश कुमार है। राजेश ने 'साराभाई वर्सेज साराभाई' में रोसेश बनकर खूब नाम कमाया। इसके अलावा वे 'यम किसी से कम नहीं', 'नीली छतरी वाले', 'ये मेरी फैमिली' जैसे शो में दिखाई दिए और अब हाल ही में रिलीज हुई फिल्म तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया में दिखाई दिए हैं। लेकिन इससे पहले राजेश 5 सालों तक बिहार में खेती करते रहे।

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मैं अगली पीढ़ी के लिए क्या कर रहा हूं?

मीडिया एजेंसी को दिए एक इंटरव्यू में राजेश ने कहा- '2017 में, टीवी पर मैं अपने एक्टिंग करियर की ऊंचाईयों पर था, जब मैंने खेती करने का फैसला किया। जब मैं टीवी करने का पूरा लुत्फ उठा रहा था, तो मेरा दिल मुझसे लगातार पूछ रहा था कि एंटरटेनमेंट के कुछ टेप छोड़ने के अलावा, मैं अगली पीढ़ी के लिए क्या कर रहा हूं?'

राजेश ने किस वजह से एक्टिंग से ब्रेक लिया ?

ग्लैमर की दुनिया छोड़ किसान का पेशा अपनाने के बारे में पूछने पर राजेश ने कहा, 'मैं समाज में योगदान देने के लिए कुछ खास या एक्स्ट्रा नहीं कर रहा था। मेरे बच्चे मुझे कैसे याद रखेंगे? एक्टिंग आपने अपने लिए की, अपनी सेफ्टी के लिए की, अपनी कमाई के लिए की। मैंने मन में सोचा कि मैं अपने पीछे कोई कदमों के निशान कैसे छोड़ूंगा? तभी मैं अपने होम टाउन वापस गया और फसलें उगाईं।'

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खेती करने के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया 

राजेश कुमार ने आगे कहा कि जब पांच साल तक वे खेती करते रहे तो कई आउटलेट्स ने कहा कि उन्होंने किसान बनने के लिए एक्टिंग छोड़ दी या फिर उनके पास पैसे नहीं थे। हालांकि, उन्होंने इस दौरान कई चुनौतियों का सामना किया और अपनी एजुकेशन के बलबूते सभी मुश्किलों से बाहर आ पाए। 

एक बार फिर प्याज की महंगाई ने आम जनता के निकाले आँशू

एक बार फिर प्याज की महंगाई ने आम जनता के निकाले आँशू

आजकल त्योहारों का सीजन चल रहा है। ऐसे में महंगाई को लेकर आम लोगों के लिए एक चिंतिंत करने वाला समाचार है। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि आने वाली दिवाली से पूर्व ही प्याज की कीमतों में आग लग चुकी है। इसके भाव में 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से इजाफा दर्ज किया गया है। इससे आम जनता का की जेब काफी प्रभावित हो गई है। त्योहारों का समय आते ही महंगाई ने पुनः एक बार अपना रंग दिखाना चालू कर दिया है। इससे आम जनता का बजट डगमगा गया है। विशेष रूप से प्याज की कीमतों में आग लग चुकी है। बतादें कि 30 से 35 रुपये किलो बिकने वाला प्याज फिलहाल 45 रुपये के पार पहुंच चुका है। आंध्र प्रदेश में एक किलो प्याज का भाव 50 रुपये तक पहुँच चुका है। मतलब कि इसके भाव में 20 रुपये किलो तक की इजाफा दर्ज है। ऐसा कहा जा रहा है, कि आगामी दिनों में इसके भावों में और वृद्धि हो सकती है। ऐसी स्थिति में प्याज की कीमत ने एक बार पुनः लोगों की चिंता बढ़ा दी है।

प्याज 50 रुपए किलो बेचा जा रहा है

आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में प्याज 50 रुपये किलो विक्रय किया जा रहा है। वहीं, रायतु बाजार में प्याज की कीमत 40 रुपये प्रति किलो है। साथ ही, विशेषज्ञों ने बताया है, कि इस बार मानसून का आगमन विलंभ से हुआ था। ऐसी स्थिति में इसका प्रभाव प्याज की फसल के ऊपर भी देखने को मिला है। यही कारण है, कि बाजार में अब तक पर्याप्त मात्रा में प्याज की नवीन उपज नहीं आ पाई है। इसके चलते कीमतों में भी काफी इजाफा हुई है।

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सैकड़ों टन प्याज की आवक

टाइम्स ऑफ इंडिया के विश्लेषण के अनुसार, व्यापारियों ने बताया है, कि संपूर्ण आंध्र प्रदेश में प्याज की आपूर्ति रनूल और कर्नाटक के बेल्लारी से होती है। परंतु, इन दोनों स्थानों से प्याज की आपूर्ति आवश्यकता की तुलना में काफी कम हो रही है। इससे आंध्र प्रदेश में प्याज की बेहद समस्या हो गई। ऐसी स्थिति में यहां के व्यापारी महाराष्ट्र से प्याज खरीद रहे हैं। यही कारण है, कि लागत बढ़ने से प्याज की कीमत में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। जानकारी के लिए बतादें, कि आंध्र प्रदेश में प्रतिदिन 600 टन प्याज की आवक होती है।

प्याज की खेती में तकरीबन 120 दिन का विलंभ हुआ है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि सामान्य तौर पर इस बार बारिश विलंभ से होने की वजह प्याज की खेती में भी तकरीबन 120 दिन का विलंभ हुआ है। व्यापारियों की मानें तो नवंबर के प्रथम सप्ताह से प्याज की नवीन पैदावार मंडियों में आना शुरू हो जाएगी। इसके पश्चात प्याज के भावों में कुछ गिरावट भी देखने को मिल सकती है। हालांकि, इसके लिए लोगों को थोड़ी प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।
प्याज का भाव 70 रुपये किलो के पार, इस पर लगाम लगाएगी सरकार

प्याज का भाव 70 रुपये किलो के पार, इस पर लगाम लगाएगी सरकार

दिल्ली में प्याज का खुदरा भाव 25-50 फीसद तक बढ़ गया हैं। वर्तमान समय में गुणवत्ता के आधार पर 50-70 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रहा है। वहीं, दिवाली के चलते कीमतों में गिरावट दर्ज की जा सकती है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्याज का खुदरा मूल्य 25-50 प्रतिशत तक बढ़ गया हैं। वर्तमान समय में गुणवत्ता के आधार पर 50-70 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रहा है। यहां तक कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की सहायक कंपनी मदर डेयरी ने भी अपनी खुदरा दुकानों पर मूल्य बढ़ा दिया है। साथ ही, प्याज के भाव में बढ़ोतरी भारत सरकार विशेष रूप से दिवाली के दौरान कीमतों पर नियंत्रण करने के लिए तैयार है। अधिकारियों का मानना है, कि बाजारों में खरीफ फसल की आवक के साथ प्याज की कीमतें कम होने की आशा है। वहीं, भारत सरकार के पास वर्तमान समय में प्याज का 5.07 लाख टन बफर भंडारण है। उपभोक्ता मामले मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा, प्याज के बफर स्टॉक को और बढ़ाने के लिए सरकार 2 लाख टन और प्याज खरीद रही है। अब ऐसे में कुल बफर स्टॉक तकरीबन 7 लाख टन हो जाएगा।

सरकार बफर स्टॉक से थोक बाजारों में 1.74 लाख टन प्याज बाजार में उतार चुकी है

सचिव का कहना है, कि प्याज का भाव कम करने के लिए पूर्व में ही बफर स्टॉक से थोक बाजारों में तकरीबन 1.74 लाख टन उतारा जा चुका है। वहीं, इस प्याज को मोटे तौर पर भारत के 16 राज्यों में किया गया है, जिनमें आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु, पंजाब, उत्तर प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक और तेलंगाना शामिल हैं।

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दिवाली के समय प्याज के भाव नियंत्रण में रखेगी सरकार

साथ ही, सरकार नवंबर में दिवाली सीजन के दौरान थोक एवं खुदरा बाजारों में अधिक बफर स्टॉक बाजारों में उपलब्ध करा देगी, जिससे मांग बढ़ने पर भी कीमतों में किसी भी प्रकार के इजाफे को रोका जा सकेगा।

खरीफ प्याज की आवक में विलंभ हुआ है

इसी कड़ी में उन्होंने आगे बताया कि बाजारों में खरीफ फसलों की आवक के साथ प्याज की कीमतें कम होने की आशा है। साथ ही, नवंबर के समापन तक कीमतों में भारी कमी आने की संभावना है। भारत के कुछ इलाकों में अनियमित वर्षा की वजह से इस वर्ष खरीफ प्याज की फसल में विलंभ हुआ है। भारत के 228 केंद्रों में प्याज का खुदरा भाव 36.37 रुपये प्रति किलोग्राम से कम बताया गया। प्याज का खुदरा भाव भारत के 274 केंद्रों में 36.37-50 रुपये प्रति किलोग्राम एवं भारत के 43 केंद्रों में 50 रुपये से ज्यादा था। उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे कि नागालैंड और मिजोरम में कीमतों में सर्वाधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
पशुपालक इस नस्ल की गाय से 800 लीटर दूध प्राप्त कर सकते हैं

पशुपालक इस नस्ल की गाय से 800 लीटर दूध प्राप्त कर सकते हैं

किसान भाइयों यदि आप पशुपालन करने का विचार कर रहे हो और एक बेहतरीन नस्ल की गाय की खोज कर रहे हैं, तो आपके लिए देसी नस्ल की डांगी गाय सबसे बेहतरीन विकल्प है। इस लेख में जानें डांगी गाय की पहचान और बाकी बहुत सारी महत्वपूर्ण जानकारियां। किसान भाइयों के समीप अपनी आमदनी को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के बेहतरीन पशु उपलब्ध होते हैं, जो उन्हें प्रति माह अच्छी आय करके दे सकते हैं। यदि आप पशुपालक हैं, परंतु आपका पशु आपको कुछ ज्यादा लाभ नहीं दे रहा है, तो चिंतित बिल्कुल न हों। आज हम आपको आगे इस लेख में ऐसे पशु की जानकारी देंगे, जिसके पालन से आप कुछ ही माह में धनवान बन सकते हैं। दरअसल, हम जिस पशु के विषय चर्चा कर रहे हैं, उसका नाम डांगी गाय है। बतादें कि डांगी गाय आज के दौर में बाकी पशुओं के मुकाबले में ज्यादा मुनाफा कमा कर देती है। इस वहज से भारतीय बाजार में भी इसकी सर्वाधिक मांग है। 

डांगी नस्ल की गाय कहाँ-कहाँ पाई जाती है

जानकारी के लिए बतादें, कि यह गाय देसी नस्ल की डांगी है, जो कि मुख्यतः गुजरात के डांग, महाराष्ट्र के ठाणे, नासिक, अहमदनगर एवं हरियाणा के करनाल एवं रोहतक में अधिकांश पाई जाती है। इस गाय को भिन्न-भिन्न जगहों पर विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। हालाँकि, गुजरात में इस गाय को डांग के नाम से जाना जाता है। किसानों व पशुपालकों ने बताया है, कि यह गाय बाकी मवेशियों के मुकाबले में तीव्रता से कार्य करती है। इसके अतिरिक्त यह पशु काफी शांत स्वभाव एवं शक्तिशाली होते हैं। 

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डांगी गाय कितना दूध देने की क्षमता रखती है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इस देसी नस्ल की गाय के औसतन दूध देने की क्षमता एक ब्यांत में तकरीबन 430 लीटर तक दूध देती है। वहीं, यदि आप डांगी गाय की बेहतर ढ़ंग से देखभाल करते हैं, तो इससे आप लगभग 800 लीटर तक दूध प्राप्त कर सकते हैं। 

डांगी गाय की क्या पहचान होती है

यदि आप इस गाय की पहचान नहीं कर पाते हैं, तो घबराएं नहीं इसके लिए आपको बस कुछ बातों को ध्यान रखना होगा। डांगी गाय की ऊंचाई अनुमान 113 सेमी एवं साथ ही इस नस्ल के बैल की ऊंचाई 117 सेमी तक होती है। इनका सफेद रंग होता है साथ ही इनके शरीर पर लाल अथवा फिर काले धब्बे दिखाई देंगे। साथ ही, यदि हम इनके सींग की बात करें, तो इनके सींग छोटे मतलब कि 12 से 15 सेमी एवं नुकीले सिरे वाले मोटे आकार के होते हैं। 

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इसके अतिरिक्त डांगी गायों का माथा थोड़ा बाहर की ओर निकला होता है और इनका कूबड़ हद से काफी ज्यादा उभरा हुआ होता है। गर्दन छोटी और मोटी होती है। अगर आप डांगी गाय की त्वचा को देखेंगे तो यह बेहद ही चमकदार व मुलायम होती है। इसकी त्वचा पर काफी ज्यादा बाल होते हैं। इनके कान आकार में छोटे होते है और अंदर से यह काले रंग के होते हैं।

छत्तीसगढ़ के ‘भरोसे का बजट’ कितना भरोसेमंद, जानिए असल मायने

छत्तीसगढ़ के ‘भरोसे का बजट’ कितना भरोसेमंद, जानिए असल मायने

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल जल्द ही बजट पेश करने वाले हैं. उन्हों इस बजट को भरोसे का बजट नाम दिया है, हालांकि सीएम के पिटारे से जनता के लिए क्या कुछ निकलने वाला है,न और क्या यह बजट जनता की कसौटियों पर उतर पाएगा, इस बात से पर्दा तो बजट पेश होने के बाद ही उठेगा. लेकिन इससे पहले सीएम ने जनता के नाम संबोधन दिया. जिसमें उन्होंने कई अहम बातों का जिक्र किया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस बार के बजट को भरोसे का बजट कहा है. उन्होंने बजट को यह नाम प्रदेश की जनता जो संबोधन करते वक्त दिया. बजट में क्या ख़ास है, और इसके मायने क्या हैं, इसका बेसब्री से जनता को इन्तजार है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीएम ने गृह विभाग, कृषि विभाग, सिंचाई विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, रोजगार विभाग और सड़क विभाग से जुड़े अलग अलग मंत्रियों के साथ साथ अफसरों से भी चर्चा की और उसी के आधार पर बजट की रूप रेखा को तैयार किया.

सीएम के कार्यकाल का आखिरी बजट बेहद ख़ास

बताया जा रहा है कि, भूपेश सिंह बघेल सीएम और वित्त मंत्री दोनों का जिम्मा खुद उठा रहे हैं. उनके कार्यकाल का यह आखिरी बजट है. जिस वजह से इस बजट को बेहद खास बताया जा रहा है. विधानसभा चुनाव साल 2023 के चलते हर वर्ग और हर तबके के लोगों को साधने की तैयारी है. वहीं जो कर्मचारी सरकार की नीतियों से रूठे हैं, उन्हें मनाने की कोशिश भी इस बार के बजट में की जाएगी. इसके अलावा सालों से लम्बित पड़ी मांगों को भी पूरा किया जा सकता है. वहीं छत्तीसगढ़ के इस साल के बजट में नियमित समय कई तरह की जनता से जुड़ी घोषणाएं की जा सकती हैं.

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ग्रामीण किसानों की समस्या का तुरंत किया समाधान

बजट में किसानों को मिल सकती है सौगात

किसानों के जरिये सत्ता हासिल करने वाली कांग्रेस सरकार किसानों के हित में बजट के पिटारे से कुछ खास घोषणाएं कर सकती है. हालांकि राज्य में धान की खेती सबसे ज्यादा की जाती है, जिसपर राजनीती भी केन्द्रित रहती है. बताया जा रहा है कि, धान पर बोनस को लेकर केंद्र से लेकर राज्य सरकार के बीच हमेशा से ही खींचतान रहती है. जिस बझ से छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के हित में बड़ा ऐलान कर सजती है. खबरों के मुताबिक धान के अलावा अन्य खाद्यान के समर्थन मूल को लेकर बड़ा तोहफा दिया जा सकता है. वहीं खेती और किसानी से जुड़े उपकरणों में करों में छूट देने के साथ सब्सिडी को बढ़ाया जा सकता है.

अनियमित संविदा कर्मचारियों के सपने हो सकते हैं पूरे

छत्तीसगढ़ के बजट में अनियमित संविदा कर्मचारियों को अच्छी खबर मिल सकती है. बजट के जरिये उनका सपना पूरा हो सकता है. बताया जा रहा है कि, कर्मचारियों के संविलियन की राह आसान हो सकती है. इसके अलावा युवाओं के लिए नौकरी, पुलिस में भर्ती और और शिक्षक में भर्ती समेत कई अहम ऐलान हो सकता है.

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युवाओं और महिलाओं के लिए भी खास है बजट

इस बजट में युवाओं और महिलाओं के लिए भी काफी कुछ हो सकता है. जिसमें स्टार्टअप योजना से लेकर इनोवेशन सेंटर खोलने और महिलाओं को सेल्फ डिपेंड बनाने को लक्सर बड़ा ऐलान किया जा सकता है.

यहां पर भी सरकार की नजर

अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग और आदिवासी वर्ग को वोट को साधने का सरकार का सबसे बड़ा मास्टर प्लान है. जिसके लिए सरकार कई बड़े ऐलान कर सकती है.
उत्तर प्रदेश में स्टांप ड्यूटी को लेकर लिया जा रहा है सराहनीय फैसला

उत्तर प्रदेश में स्टांप ड्यूटी को लेकर लिया जा रहा है सराहनीय फैसला

अगर आप उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए ही है. हाल ही में उत्तर प्रदेश में राजस्व विभाग ने सरकार को एक प्रस्ताव दिया है जिसमें खेती से जुड़ी हुई जमीन पर स्टांप ड्यूटी को पूरी तरह से खत्म करने की बात कही गई है. आगे चलकर आप चाहे तो इस जमीन पर घर बना सकते हैं या फिर से किसी बिजनेस के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं. किसी भी तरह से इस्तेमाल करने पर इसमें 1% लगने वाली स्टांप ड्यूटी नहीं ली जाएगी. विभाग द्वारा दिए गए इस प्रस्ताव को अगर कैबिनेट से मंजूरी मिल जाती है तो यह उत्तर प्रदेश में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए एक बहुत ही बड़ी खुशी की बात होगी. कहने को स्टांप ड्यूटी केवल 1% होती है लेकिन जब इन्वेस्टर बड़ी बड़ी जमीन खरीदते हैं तो यह ड्यूटी लाखों रुपए की होती है.

अभी क्या है निवेशक और स्टांप ड्यूटी को लेकर नियम

उत्तर प्रदेश में सरकार अभी से ही  निवेशकों को यहां पर अलग-अलग यूनिट लगाने के लिए जमीन उपलब्ध करवाने की कोशिश में लगी हुई है. यहां पर कोई भी अगर औद्योगिक यूनिट बनाना चाहता है तो उन्हें कृषि भूमि को व्यवसायिक इस्तेमाल में तब्दील करवाना जरूरी है.

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क्या है स्टाम्प ड्यूटी

जब भी हम घर खरीदते हैं तो हमें उससे जुड़ी हुई कई तरह की वित्तीय कार्यवाही करनी पड़ती है. जैसे कि हो सकता है आपने अपने घर पर लोन लिया हो तो आपको लोन का आवेदन देने की जरूरत पड़ती है.  साथ ही आपको घर के लिए डाउन पेमेंट आदि भी करना अनिवार्य है.

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यह सब खत्म हो जाने के बाद जब अंत में जाकर घर का पंजीकरण आपके नाम पर होता है तो नगरपालिका रिकॉर्ड में घर को अपने नाम पर रजिस्टर करवाने के लिए आपको स्टांप ड्यूटी देने की जरूरत पड़ती है.सरल शब्दों में बताया जाए तो यह सरकार को दिया जाने वाला एक कर है जिसके बाद आपको अपनी संपत्ति का स्वामित्व मिल जाता है. स्टांप ड्यूटी अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हो सकती है और यह एक ऐसा भुगतान होता है जिसे आपको एक बार में ही देना होता है नहीं तो आप पर जुर्माना लगाया जा सकता है.  यह है सरकार की तरफ से दिया जाने वाला एक कानूनी कागज है जिसे अदालत में सबूत के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है. यह आपकी संपत्ति की खरीद और बिक्री की पूर्ण जानकारी का एक कानूनी दस्तावेज माना गया है.

दूसरे राज्यों में भी दिए गए हैं ऐसे ही बस में

हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार ने स्टांप ड्यूटी और सर्कल रेट पर दी गई छूट को अगले 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है. इसे करने का सबसे बड़ा कारण है कि वहां पर रियल एस्टेट बाजार में एक उछाल आ सके.

इससे होने वाले फायदे को समझिए

यहां पर राज्य सरकार का सबसे बड़ा मकसद था कि कोरोना वायरस स्टेट को झटका ना लगे. सरकार द्वारा लिए गए फैसले से रियल एस्टेट जगत को बहुत फायदा भी मिला है और यहां पर छोटे फ्लैट में इन्वेस्ट करने वाले लोगों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई है. उत्तर प्रदेश में भी अगर यह फैसला लिया जाता है तो यहां पर भी जमीन में लोगों का इन्वेस्टमेंट बढ़ जाएगा. इसके अलावा बिल्डर भी बड़ी बड़ी योजनाओं के लिए जमीन खरीदना पसंद करेंगे. राज्य सरकार को जमीन बिक्री से अतिरिक्त राजस्व मिलने की संभावना भी कहीं ना कहीं बढ़ जाएगी.
अब अक्षय कुमार और वीरेंद्र सहवाग ने भी शुरू की खेती किसानी, लोगों को खिलाएंगे ऑर्गेनिक खाना

अब अक्षय कुमार और वीरेंद्र सहवाग ने भी शुरू की खेती किसानी, लोगों को खिलाएंगे ऑर्गेनिक खाना

पहले जहां बॉलीवुड और क्रिकेट सितारे फिल्म और स्पोर्ट्स के अलावा विज्ञापन और बिजिनेस से कमाई करते थे, वही अब खेती किसानी की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। इन सितारों ने खेती किसानी से संबंधित युवा उद्यमियों के बिजनेस वेंचर में पैसा लगाना शुरू कर दिया है। हाल ही में दिग्गज फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार और क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने 2 यंग एन्टरप्रिन्योर के स्टार्टअप में अपना पैसा निवेश किया है। इस स्टार्टअप का नाम 'टू ब्रदर्स ऑर्गेनिक फार्म' है जो जैविक खेती से संबंधित है। इस स्टार्टअप ने हाल ही में 14 करोड़ रुपये से ज्यादा की फंडिंग जुटा ली है। कंपनी ने बताया है कि इस रुपये का इस्तेमाल वो जैविक खेती को प्रमोट करने के लिए करेंगे। साथ ही कुछ रकम का इस्तेमाल कंपनी के बिजनेस और कैपिसिटी के विस्तार में किया जाएगा। कंपनी की ऑर्गेनिक खेती की पहल को लेकर अभिनेता अक्षय कुमार ने कहा है कि वो कंपनी के प्रयासों को लेकर रोमांचित हैं। उन्होंने कहा कि वो बेहतर भविष्य और अच्छी सेहत की दिशा में आगे बढ़ने के लिए कंपनी के निवेशक बनना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने इस कंपनी में निवेश किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं 'टू ब्रदर्स ऑर्गेनिक फार्म' के विजन और कमिटमेंट में विश्वास करता हूं। मुझे पूरी आशा है कि यह कंपनी स्वस्थ जैविक खाद्य उत्पादन और ग्रामीण क्षेत्र के विकास पर अच्छा काम करेगी।

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वहीं क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने कंपनी में निवेश पर कहा है कि वो किसान परिवार से आते हैं। इसके साथ ही 'टू ब्रदर्स ऑर्गेनिक फार्म' जैविक कृषि क्षेत्र में जिस प्रकार से काम करने के लिए आगे बढ़ रहा है वो इससे बहुत ज्यादा प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि 'टू ब्रदर्स ऑर्गेनिक फार्म' ने अभी तक भारत में जो भी कार्य किये हैं, उनके सकारात्मक प्रभावों को देखकर उन्हें खुशी हो रही है। इसलिए उन्होंने इस कंपनी में निवेश किया है। 'टू ब्रदर्स ऑर्गेनिक फार्म' के कर्मचारियों ने बताया है कि कंपनी नेचुरल और ऑर्गेनिक एग्रीकल्टर प्रोडक्ट्स बनाती है। इस कंपनी की स्थापना सत्यजीत हांगे और अजिंक्य हांगे के द्वारा की गई है। जिसका हेडकॉर्टर भोदानी, पुणे में स्थित है। कर्मचारियों ने बताया कि फंडिंग के पैसों का उपयोग कंपनी की क्षमता को बढ़ाने और बिजनेस के विस्तार में किया जाएगा। अगले कुछ सालों में कंपनी दूसरे देशों में बड़े स्तर पर व्यापार करेगी। फिलहाल भारत के 1 हजार से ज्यादा शहरों में कंपनी के उत्पाद उपलब्ध है। साथ ही कई अन्य देशों में भी कंपनी के उत्पादों की सप्लाई की जाती है।
किसान फसल की देखभाल के लिए 7 करोड़ का हेलीकॉप्टर खरीद रहा है

किसान फसल की देखभाल के लिए 7 करोड़ का हेलीकॉप्टर खरीद रहा है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि नक्सल प्रभावित जनपदों में रहने वाले एक किसान ने अपने खेत की देखरेख करने के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं। तकरीबन 1000 एकड़ जमीन में खेती की देखभाल के लिए 7 करोड़ रुपये का हेलीकॉप्टर उन्होंने पसंद किया है। भारत के सर्वश्रेष्ठ किसान सम्मान से नवाजे गए छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कोंडा गांव जनपद के निवासी उन्नत किसान राजाराम त्रिपाठी अपनी एक हजार एकड़ खेती की देखरेख करने के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं। राजाराम त्रिपाठी राज्य के पहले ऐसे किसान हैं, जो कि हेलीकॉप्टर खरीद रहे हैं। 7 करोड़ के खर्चे से खरीदे जा रहे हेलीकॉप्टर के लिए उन्होंने हॉलैंड की रॉबिन्सन कंपनी से सौदा भी कर लिया है। वर्ष भर के अंतर्गत उनके समीप R-44 मॉडल का 4 सीटर हेलीकॉप्टर भी आ जाएगा।

राजाराम सैकड़ों आदिवासी परिवारों के साथ 1000 एकड़ में खेती करते हैं

बतादें, कि किसान राजाराम त्रिपाठी सफेद मूसली, काली मिर्च एवं
जड़ी बूटियों की खेती करने के साथ-साथ मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के संचालन में अपनी अलग पहचान स्थापित कर चुके हैं। हाल ही में उनको लगभग 400 आदिवासी परिवार के साथ 1000 एकड़ में सामूहिक खेती करने एवं यह खेती सफल होने के चलते उन्हें सम्मानित भी किया गया था। उन्हें जैविक खेती के लिए भी बहुत बार राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। साथ ही, वर्तमान में अपनी खेती किसानी में एक और इतिहास रचते हुए 7 करोड़ की लागत से हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं।

बैंक की नौकरी छोड़ शुरू की खेती

बस्तर के किसान राजाराम त्रिपाठी ने कहा है, कि उनका पूरा परिवार खेती पर ही आश्रित रहता है। कई वर्ष पहले उन्होंने अपनी बैंक की छोड़ के वह दीर्घकाल से खेती करते आ रहे हैं। साथ ही, वह मां दंतेश्वरी हर्बल समूह का भी बेहतर ढ़ंग से संचालन कर रहे हैं। बस्तर जनपद में पाई जाने वाली जड़ी बूटियों की खेती कर इसे प्रोत्साहन देने के साथ ही संपूर्ण राज्य में बड़े पैमाने पर इकलौते सफेद मूसली की खेती करते आ रहे हैं। राजाराम त्रिपाठी का कहना है, कि उनके समूह द्वारा यूरोपीय एवं अमेरिकी देशों में काली मिर्च का भी निर्यात किया जा रहा है। वर्तमान में अपनी करीब एक हजार एकड़ खेती की देखभाल के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं। ये भी देखें: आने वाले दिनों में औषधीय खेती से बदल सकती है किसानों को तकदीर, धन की होगी बरसात

राजाराम को हेलीकॉप्टर से खेती करने का विचार कैसे आया

राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि अपने इंग्लैंड एवं जर्मनी प्रवास के दौरान वहां उन्होंने देखा कि दवा और खाद के छिड़काव के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल हो रहा है। जिससे पैदावार का बेहतरीन परिणाम भी मिल रहा है। इसी को देखते हुए उन्होंने अपने किसान समूह के 1 हजार एकड़ के साथ आसपास के खेती वाले इलाकों में हेलीकॉप्टर से ही खेतो की देखभाल करने का संकल्प किया। साथ ही, हेलीकॉप्टर खरीदने का पूर्णतय मन बना लिया और हॉलैंड की रॉबिंसन कंपनी से सौदा भी कर लिया। राजाराम त्रिपाठी का कहना है, कि वे कस्टमाइज हेलीकॉप्टर बनवा रहे हैं। जिससे कि इसमें मशीन भी लगवाई जा सकें। उन्होंने कहा है, कि फसल लेते वक्त विभिन्न प्रकार के कीड़े फसलों को हानि पहुंचाते हैं। हाथों से दवा छिड़काव से भी काफी भूमि का हिस्सा दवा से छूट जाता है, जिससे कीटों का संक्रमण काफी बढ़ जाता है। हेलीकॉप्टर से दवा छिड़काव से पर्याप्त मात्रा में फसलों में दवा डाली जा सकती है, जिससे फसलों को क्षति भी नहीं पहुंचती।

हेलीकॉप्टर उड़ाने का प्रशिक्षण ले रहे राजाराम के भाई और बेटा

राजाराम त्रिपाठी ने कहा है, कि हेलीकॉप्टर को चलाने के लिए उनके भाई व बेटे को उज्जैन में स्थित उड्डयन अकादमी में हेलीकॉप्टर उड़ाने का प्रशिक्षण लेने के लिए भेजने की तैयारी हो चुकी है। प्रशिक्षण लेने के बाद उनके भाई व बेटे हेलीकॉप्टर से खेती की देखभाल करेंगे। उन्होंने कहा कि बस्तर में किसान की छवि नई पीढ़ी को खेती किसानी के लिए प्रेरित नहीं कर सकती। नई पीढ़ी के युवा आईटी कंपनी में नौकरी कर सकते हैं। लेकिन वह खेती को उद्यम बनाने की कोशिश नहीं करते। इसी सोच में तब्दीली लाने के लिए वह हेलीकॉप्टर खरीद रहे हैं। जिससे कि युवा पीढ़ी में खेती किसानी को लेकर एक सकारात्मक सोच स्थापित हो सके। ये भी देखें: Ashwgandha Farming: किसान अश्वगंधा की खेती से अच्छी-खासी आमदनी कर रहे हैं

सालाना कितने करोड़ का टर्न ओवर है

राजाराम का कहना है, कि उनके भाई व बच्चे भी नौकरी की वजह खेती किसानी कर रहे हैं। साथ ही, खेती बाड़ी में उनको काफी रूचि भी है। खेती-बाड़ी और दंतेश्वरी हर्बल समूह से उनका वार्षिक टर्न ओवर लगभग 25 करोड़ रुपए है। अब उनके साथ-साथ आसपास के आदिवासी किसान भी उन्नत किसान की श्रेणी में आ गए हैं। उनके द्वारा भी हर्बल उत्पादों का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें सफेद मूसली एवं बस्तर की जड़ी-बूटी भी शम्मिलित है। गौरतलब है, कि उनकी इसी सोच व खेती किसानी के लिए किए जा रहे नए नए प्रयास और उससे मिल रही सफलता की वजह से राजाराम त्रिपाठी चार बार सर्वश्रेष्ठ किसान अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं।
किसान इस खांसी, सर्दी और जुकाम जैसे रोगों से निजात दिलाने वाले औषधीय पौधे से अच्छी आय कर सकते हैं

किसान इस खांसी, सर्दी और जुकाम जैसे रोगों से निजात दिलाने वाले औषधीय पौधे से अच्छी आय कर सकते हैं

बनफशा बहुत सारी खतरनाक बीमारियों को जड़ से समाप्त करने की क्षमता रखता है। आइए इस पौधे के विषय में विस्तार पूर्वक जानते हैं। क्या आपने कभी बनफशा के विषय में सुना है ? बहुत सारे लोग यह नाम शायद पहली बार सुन रहे होंगे। दरअसल, यह एक औषधीय पौधा होता है। जो मेडिकल लाइन में काफी प्रसिद्ध है। इसका इस्तेमाल उन औषधियों को तैयार करने में किया जाता है। जो कि जुकाम, सर्दी और खांसी आदि में काम आते हैं। बनफशा बेहद सुगंधित पौधा होता है, जो फूलों के जरिए से पहचाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Viola odorata है। यह पौधा सामान्य तौर पर भारत, दक्षिण एशिया, यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका में पाया जाता है। इसके पत्ते छोटे एवं हरे रंग के होते हैं, जबकि इसके फूल लवंगी अथवा नीले रंग के होते हैं।

बनफशा का इस्तेमाल सर्वाधिक यहां होता है

बनफशा के पत्तों, फूलों और गुच्छों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है। इसको प्रमुख तौर पर मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करने के लिए जाना जाता है। यह सांस की समस्याओं को कम करने और श्वसन तंत्र को सुधारने में काफी ज्यादा सहयोग कर सकता है। यह अपच और आंत्र-संबंधित समस्याओं में उपयोगी भूमिका अदा कर सकता है। ये भी पढ़े: इन फूलों का होता है औषधियां बनाने में इस्तेमाल, किसान ऐसे कर सकते हैं मोटी कमाई

जुकाम और साइनस संक्रमण

बनफशा के पानी को जुकाम और साइनस संक्रमण को खत्म करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके द्वारा नाक से संक्रमण और जुकाम के लक्षणों को कम किया जा सकता है।

शांतिदायक गुण

बनफशा की शांतिदायक गुणों की वजह से भी प्रशंसा की जाती है। इसका इस्तेमाल तनाव, चिंता, अस्थायी नींद जैसी समस्याओं एवं मानसिक तनाव को कम करने में किया जाता है। ये भी पढ़े: इस औषधीय गुणों वाले बोगनविलिया फूल की खेती से होगी अच्छी-खासी कमाई

त्वचा समस्याओं का समाधान

बनफशा का तेल त्वचा की देखभाल के लिए उपयोग किया जाता है। यह त्वचा को मुलायम एवं चमकदार बनाने में काफी सहायता कर सकता है। साथ ही, त्वचा संबंधी समस्याओं, जैसे कि खुजली, छाले, दाग-धब्बे आदि को कम करने में भी सहयोग कर सकता है। हालांकि, बीमारियों को दूर भगाने के लिए कितनी मात्रा में बनफशा का इस्तेमाल किया जाता है। इस सन्दर्भ में सिर्फ डॉक्टर ही बता सकते हैं। डॉक्टर संदीप का कहना है, कि बनफशा को दवा बनाने वाली कई कंपनियां इस्तेमाल करती हैं। वनफशा को काफी महंगी कीमत पर खरीदा जाता है। वैसे तो बनफशा प्रमुख तौर पर दक्षिण एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में पाया जाता है। परंतु, भारत में भी इसकी कुछ किस्में पाई जाती हैं। भारत में बनफशा प्राकृतिक तौर पर कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। कुल मिलाकर बनफशा के पौधे गर्म तापमान को सहन नहीं कर सकते। इनके लिए ठंडा तापमान सबसे सही होता है।