दोस्तों आज हम बात करेंगे, अरबी(Arbi) की बुवाई साल में दो बार फरवरी मार्च, जून-जुलाई में की जाती है। इसके लिए आपको पर्याप्त मात्रा में जीवांश तथा रेतीली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। वह भी उच्च कोटि वाली जो सबसे अच्छी रहे। अरबी(Arbi) की बुवाई के लिए गहरी भूमि की आवश्यकता होती है। क्योंकि इसके कंदों का पूर्ण रूप से उच्च कोटि का विकास हो सके। अरबी(Arbi) की फसल की बुवाई के लिए आपको आठ से 10 क्विंटल बीज तथा हेक्टेयर की आवश्यकता होती है।
अरबी(Arbi) की खेती से किसानों को बहुत लाभ होता है। क्योंकि अरबी(Arbi) के कंद के साथ इसके पत्तों का भी बहुत ज्यादा उपयोग किया जाता है।इस दृष्टिकोण से अरबी(Arbi) की खेती किसानों के लिए बहुत लाभदायक है। ज्यादातर अरबी के कंद का प्रयोग सब्जियां बनाने तथा अचार आदि के रूप में भी किया जाता है। व्यापार की दृष्टि से देखें तो लोग अरबी(Arbi) के पकोड़े बनाकर अच्छा व्यापार करते हैं और आय का साधन बना रहता है।
अरबी(Arbi) की खेती के लिए पहले खेतों को हल द्वारा अच्छी खुदाई की जरूरत होती है।एक नियमित रूप की गहराई प्राप्त करनी होती है। किसी भी हल द्वारा खेतों की मिट्टी को पलटना आवश्यक होता है। मिट्टी को भुरभुरी बनाने के लिए तीन से चार बार हल्की जुताई करनी चाहिए। ताकि खेत की मिट्टियों में भुरभुरा पन आ जाए। क्यारियां की ऊंचाई कम से कम 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए जमीन की सतह से लेकर। इन क्यारियों की दूरी कम से कम 60 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। इस प्रकार आप अरबी (Arbi) की खेती तैयार कर सकते हैं।
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अरबी(Arbi) की फसल की सिंचाई 7 से लेकर 10 दिन के अंदर करना शुरू कर देना चाहिए। रोपाई करने के बाद यह सिंचाई 5 महीने अंतराल पर लगातार करनी चाहिए। यदि किसी करण वर्षा नहीं हो रही है तो आपको यह सच्चाई 15 दिनों के भीतर करते रहना चाहिए। निराई - गुड़ाई करने के बाद खरपतवारों पर आसान तरीके से नियंत्रण पा लिया जाता है।
अरबी(Arbi) की फसल में मुख्य रूप से कुछ रोग एवं कीट पैदा हो जाते हैं। रोगों और कीटों के लगने से अरबी(Arbi) की फसल की पत्तियां गलकर गिरना शुरू हो जाती है। फसल उपज में काफी बुरा असर पड़ता है।कीटो और रोगों से बचने के लिए और इनकी रोकथाम के लिए किसान 15 से 20 दिन के अंदर खेतों में डाईथेन एम-45 2.5 ग्राम प्रति लिटर तथा कार्बेन्डाजिम 12 प्रतिशत डब्ल्यू. पी. 2 ग्राम प्रति लिटर, मेन्कोजेब 63 प्रतिशत का मिक्सर बनाकर पानी में घोलकर फसलों पर छिड़काव करते हैं। इन क्रियाओं द्वारा अरबी(Arbi) की फसल पूर्ण रूप से कीटो और रोगों से सुरक्षित रहती है। किसी तरह के अन्य कीट और रोगों की कोई संभावना नहीं होती है। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे इस आर्टिकल के जरिए ,आपको अरबी(Arbi) की बुवाई साल में दो बार फरवरी-मार्च तथा जून- जुलाई में की जाती है, यदि सभी प्रकार की जानकारियां प्राप्त कर आप संतुष्ट है, तो हमारी इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।