Ad

बंगानापल्ले आम की विशेषताएं (Benefits Of Banganapalli Mango)

Published on: 21-Jun-2022

दोस्तों आज हम बात करेंगे बंगानापल्ले आम की किस्म की, आम की वैसे तो कई प्रकार की किस्में मौजूद है, उनमें से एक बंगानापल्ले आम की किस्म है। जो लोगों को बेहद ही पसंद है बंगानापल्ले आम की विशेषताओं को जानने के लिए हमारे इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहे।

Ad

बंगानापल्ले आम:

बंगानापल्ले आम दिखने में पीले रंग के होते हैं आम की यह किस्म बहुत ही अच्छी होती है इसके गूदे गच्छेदार होते हैं। बंगानापल्ले आम को बहुत से लोग (बेनिशान) आम, बंगानापल्ली, बंगनपल्ले, बैगनपल्ली आम, बैगनफली (Banganapalle Mango or Benishan) भी कहते हैं। आम की यह किस्म भारतीय राज्य के आंध्र प्रदेश में स्थित कुरनूल जिले में आम की बंगानापल्ले किस्म का उत्पादन किया जाता है। कुरनूल जिले में लगभग बंगानपल्ले आम की 70% खेती की जाती है। भौगोलिक संकेत की दृष्टिकोण से आम की बंगानपल्ले आम का पंजीकरण भी किया जा चुका है। बंगानपल्ले आम मे विटामिन ए और सी यह दोनों ही मौजूद होता है। आंध्र प्रदेश में इस आम की बहुत ही ज्यादा मांग रहती है। अपने सर्वोत्तम स्वाद और आवश्यक तत्वों के आधार पर इस आम को, आम का राजा भी कहा जाता है।

ये भी पढ़ें:
दशहरी आम की विशेषताएं

बंगानापल्ले आम अब दक्षिण कोरिया में भी प्रसिद्ध:

बंगानापल्ले आम को दक्षिण कोरिया में, भारत द्वारा भेजा गया था। इस आम की किस्म को खाकर कोरिया वाले भी बहुत ही ज्यादा दीवाने हो गए। भारत सरकार ने कोविड-19 जैसे भयानक अवस्थाओं के बावजूद भी आम की इस किस्म को लगभग 2.5 टन कोरिया दक्षिण में भेजा था। इतना ही नहीं है बल्कि भौगोलिक संकेत यानी जीआई GI सर्टिफिकेट द्वारा बंगानापल्ले आम की इस किस्म को भेजा गया था। बंगानापल्ले आमो का बहुत ज्यादा निर्यात दक्षिण कोरिया को होता है। बंगानापल्ले आम दक्षिण कोरिया का बहुत ही पसंदीदा फल है।

ये भी पढ़ें:
हापुस आम की पूरी जानकारी (अलफांसो)

बंगानापल्ले आम का एक्सपोर्ट:

बंगानापल्ले आम बहुत ही महत्वपूर्ण किस्म है। जो लगभग 51 देशों में भारत द्वारा एक्सपोर्ट किया जाता है। बंगानापल्ले आम का निर्यात उच्च मात्रा में होता है। इस फसल को अन्य देशों में एक्सपोर्ट कर आय निर्यात का स्त्रोत बना रहता है।

बंगानापल्ले आम का बीज उपचार:

जैसा कि हम सब जानते हैं कि बंगानापल्ले आम की फसल किसानों के लिए कितनी आवश्यक है। इससे आय निर्यात का साधन बना रहता है। तो सुनिश्चि रूप से हमें इस फसल की देखरेख करनी चाहिए। बंगानपल्ले आम की फसल की देखरेख करने के लिए हमें बीज रोपण करने से कुछ मिनटों पहले डाइमेथोएट में पत्थरों को डूबा कर रखना चाहिए कुछ मिनटों के लिए। इस प्रक्रिया को अपनाने से फसल में किसी भी तरह का कोई फंगस या कीट नहीं लगते फसल सुरक्षित रहती है। बंगानपल्ले आम के बीजों को कैप्टन कवकनाशी बीज उपचार करने से फंगल संक्रमण से बीजों की पूर्ण रूप से सुरक्षा होती है।

ये भी पढ़ें: 
आम के फूल व फलन को मार्च में गिरने से ऐसे रोकें : आम के पेड़ के रोगों के उपचार

बंगानापल्ले आम की बुआई का समय:

बंगानपल्ले आम की बुआई किसान जिस क्षेत्र में वर्षा भारी होती है वहां बीज रोपण को बरसात के अंत में बुआई की जाती है। बीज रोपण जुलाई और अगस्त के महीने में करना उचित होता है। सिंचित क्षेत्रों में यह आमतौर पर फरवरी-मार्च के दौरान बोए जाते हैं।

बंगानापल्ले आम के लिए अनुकूल जलवायु:

बंगानापल्ले आम की फसल के विषय में किसान सबसे उचित जलवायु उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय को बताते हैं। इन दो जलवायु में बंगानपल्ले आम की फसल की उत्पत्ति उच्च दर पर होती है। किसानों का यह मानना है कि इन दो जलवायु के आधार पर फसलें काफी अच्छी तरह से पनपती है। यह जलवायु पेड़ों को पूर्ण रूप से प्रभावित करती हैं। बंगानपल्ले आम के लिए शुष्क मौसम सबसे अच्छा माना जाता है।

बंगानापल्ले आम की फसल की सिचाई:

किसानों का कहना है कि बंगानपल्ले आम की फसल में ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। गर्मियों के मौसम में इस फसल की सिंचाई लगभग 7 से 8 दिनों के अंदर करनी चाहिए। बीच-बीच में हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए जिससे की फसल में नमी बनी रहे।

ये भी पढ़ें: 
हिमसागर आम की विशेषताएं
 

फसलों के लिए हल्की सिंचाई सबसे सर्वोत्तम मानी जाती है। किसान दूसरी सिंचाई लगभग 25 से 30 दिनों के अंदर करते हैं। जब वर्षा का मौसम शुरू हो जाए, उससे पहले खेतों में जल निकास की व्यवस्था को बना लेना चाहिए। ताकि जल एकत्रित होकर किसी भी प्रकार से फसलों में सड़न न पैदा हो। इस प्रकार से किसान बंगानपल्ले आम की सिंचाई करते हैं।

बंगानापल्ले आम की फसल के लिए उपयुक्त मिट्टी का चयन:

बंगानपल्ले आम की फसल के लिए सभी प्रकार की मिट्टी उपयुक्त होती है। लेकिन किसानों के अनुसार सबसे उपयुक्त मिट्टी दोमट मिट्टी होती है। खेत को अच्छी तरह से जोत लेने के बाद मिट्टियों को भुरभुरा कर लेना चाहिए। बीज रोपण करने से पहले खेत को हल्का सा नम कर देना चाहिए।

ये भी पढ़ें: 
आम की बागवानी से कमाई

बंगानापल्ले आम को मिला जीआई टैग :

आंध्र प्रदेश में लगभग बंगानापल्ले आम की फसल को 100 साल से भी ज्यादा वक्त से उगाया जा रहा है। इस बंगानापल्ले आम की फसल को आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा जीआई टैग द्वारा पंजीकृत कर दिया गया है। यह रसीला बंगानापल्ले आम भौगोलिक संकेत जीआई टैग द्वारा प्रमाणित है। बंगानापल्ले आम के विषय में आंध्र प्रदेश सरकार का कहना है और जीआई टैग वाले दस्तावेजों में भी लिखा है कि यह बंगानापल्ले आम 3 महीनों तक कोल्ड स्टोरेज में भी अपनी पूरी गुणवत्ता को बनाए रखने की क्षमता रखता हैं। जीआई टैग का मतलब होता है कि किसी क्षेत्र के उत्पादन अथवा उत्पत्ति को प्रमाणित करना। किसी भी उत्पादन फल अथवा अन्य वस्तु की उत्पाद की गुणवत्ता उसके मूल स्थान के आधार पर ही निर्भर होती है। जीआई टैग के द्वारा किसानों को बाजार या फिर अन्य निर्माताओं से बंगानापल्ले आम को बाजार में बहुत अच्छी कीमत मिलती है। जीआई टैग के माध्यम से किसानों को आय की अच्छी प्राप्ति होती है।

ये भी पढ़ें: 
लंगड़ा आम की विशेषताएं

बंगानापल्ले आम की विशेषताएं:

बंगानापल्ले आम मिठास के लिए आंध्र प्रदेश में आम की किस्मों का मालिक कहा जाता है। आम की इस किस्म को बनगनपल्ली, बंगिनापल्ली, बनगनपल्ली भी कहा जाता है। बंगानापल्ले आम मे फाइबर पूर्ण रूप से पाया जाता है। बंगानापल्ले आम का सेवन करने से त्वचा स्वस्थ रहती है। 

उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल बंगानापल्ले आम की विशेषताएं बहुत पसंद आया होगा। इस आर्टिकल में बंगानपल्ले आम से जुड़ी सभी प्रकार की आवश्यक बातें मौजूद है। यदि आप हमारी दी हुई जानकारियों से संतुष्ट हैं तो हमारे इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों और अन्य सोशल प्लेटफॉर्म पर शेयर करें। धन्यवाद।

Ad