मल्चिंग लगाने पर सरकार देगी 50 फीसदी सब्सिडी, जानिए किस राज्य के किसानों को मिलेगा लाभ

Published on: 16-Sep-2024
Updated on: 16-Sep-2024

कृषि में किसानों की मेहनत और संसाधनों को बचाने के लिए अब नवीनतम कृषि तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। मल्चिंग तकनीक, इनमें से एक है, जिसकी मदद से फसलों का काफी बेहतर उत्पादन मिलता है।

इतना ही नहीं, पानी की कमी वाले राज्यों में यह तकनीक किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। बिहार सरकार बागवानी फसलों को बढ़ावा देने और खेती में सुविधा देने के लिए किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है, क्योंकि ये फायदे हैं। किसानों को इस कार्यक्रम का लाभ लेने के लिए आवेदन करना होगा।

किसानों को कितना मिलेगा सब्सिड़ी का लाभ?

बिहार कृषि विभाग ने एक ट्वीट किया है कि राज्य में मल्चिंग तकनीक को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार 50 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है।

इसके तहत किसानों को मल्चिंग तकनीक लगाने पर इकाई लागत का पचास प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। किसानों के खाते में सीधे ये पैसे भेजे जाएंगे। किसानों को इससे खेती करना आसान होगा।

आवेदन की जानकारी

यदि आप बिहार के किसान हैं और मल्चिंग तकनीक का उपयोग करना चाहते हैं, तो सरकार इस पर सब्सिडी प्रदान कर रही है।

इसके लिए किसान ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए किसान सरकारी वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर जा सकते हैं।

इसके अतिरिक्त, किसान अपनी जिले के कृषि या बागवानी विभाग के कार्यालय से भी संपर्क कर सकते हैं।

मल्चिंग एक ऐसी कृषि तकनीक है जिसमें पौधों की जड़ प्रणाली के चारों ओर एक परत बिछाई जाती है।

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यह परत अक्सर पौधों की वृद्धि को बढ़ाने और विभिन्न पर्यावरणीय समस्याओं को कम करने के लिए उपयोग की जाती है। मल्चिंग के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:

  1. मिट्टी की नमी बनाए रखता है: मल्च मिट्टी की सतह को ढक कर नमी को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे पानी की आवश्यकता कम होती है और सूखे की स्थिति में पौधों को सहारा मिलता है।
  2. अवांछनीय घास की वृद्धि को नियंत्रित करता है: मल्च की परत घास और जड़ी-बूटियों की वृद्धि को नियंत्रित करती है, जो पौधों से नमी और पोषक तत्वों की प्रतिस्पर्धा करती हैं।
  3. मिट्टी की गुणवत्ता सुधारता है: मल्च, विशेष रूप से जैविक मल्च, मिट्टी में धीरे-धीरे मिलकर उसकी संरचना और पोषक तत्वों को सुधारता है।
  4. मिट्टी का कटाव कम करता है: मल्च की परत मिट्टी के कटाव और क्षरण को कम करती है, विशेष रूप से बारिश या हवा के दौरान।
  5. मिट्टी का तापमान नियंत्रित करता है: मल्च गर्मियों में मिट्टी को ठंडा और सर्दियों में गर्म रखता है, जिससे पौधों की जड़ों को तापमान की चरम स्थितियों से बचाया जाता है।
  6. पौधों की वृद्धि को प्रोत्साहित करता है: मल्च का उपयोग पौधों की वृद्धि को प्रोत्साहित करता है और उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
  7. रोग और कीटों से सुरक्षा: कुछ प्रकार के मल्च, जैसे कि सजीव मल्च, रोग और कीटों से सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं, क्योंकि वे कीटों के लिए अवरोधक का काम करते हैं।
  8. कृषि में ऊर्जा और संसाधनों की बचत: मल्चिंग द्वारा पानी की बचत, कीटनाशकों की कमी, और मशीनीकरण की जरूरत को कम किया जा सकता है, जिससे संसाधनों की बचत होती है।
  9. वातावरणीय लाभ: जैविक मल्च उपयोग करने से कार्बन सर्कुलेशन में मदद मिलती है और कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।

मल्चिंग की तकनीक के लाभों का पूरा फायदा उठाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि उचित प्रकार का मल्च और सही विधि का चयन किया जाए।

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मल्चिंग लगाने की विधि

  • खेतों में प्लास्टिक मल्चिंग को सीधे बिछाने की बजाय बैड बना कर लगाएं। इसके लिए सुबह या शाम का समय सबसे उपयुक्त होता है।
  • उच्च गुणवत्ता वाली प्लास्टिक मल्चिंग का प्रयोग करें ताकि प्लास्टिक के सूक्ष्म कण मिट्टी में न मिलें और मिट्टी प्रदूषण से बचा जा सके।
  • प्लास्टिक मल्चिंग के छेदों के अनुसार ड्रिप सिंचाई पाइप में छेद करें, जिससे पानी की बर्बादी न हो और सीधे फसल की जड़ों तक पहुंचे।
  • प्लास्टिक मल्चिंग को फटने या उड़ने से रोकने के लिए चारों ओर से मिट्टी का कवर दें। इस तकनीक से बागवानी फसलों में कीट और रोगों का खतरा भी कम होता है।

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