विदेशी बकरियों की बेहतरीन नस्लें: दूध उत्पादन और ऊन के लिए सबसे लाभकारी नस्लें

Published on: 25-Feb-2025
Updated on: 25-Feb-2025

देश में बकरी पालन धीरे-धीरे एक लाभकारी व्यवसाय बनता जा रहा है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।

जबकि कई दशकों से गांवों में बकरी पालन किया जाता रहा है, आज यह व्यवसाय आधुनिक कृषि क्षेत्र में तेजी से विकसित हो रहा है।

भारत में पाई जाने वाली अधिकांश बकरियां मुख्य रूप से मांस उत्पादन के लिए उपयुक्त हैं, लेकिन विदेशी बकरियों की नस्लों को भी अब भारत में आयात किया जाता है।

इन नस्लों का पालन किया जाता है, ताकि भारतीय बकरियों की दूध उत्पादन क्षमता में सुधार किया जा सके और उच्च गुणवत्ता वाली बकरियों का उत्पादन हो सके।

इस लेख में हम विदेशी बकरियों की प्रमुख नस्लों की जानकारी देंगे।

विदेशी बकरियों की प्रमुख नस्लें

भारत में विदेशों से आयातित बकरियों की प्रमुख नस्लें टोगेनबर्ग, सैनेन, फ्रेंच अल्पाइन, न्युबियन और अंगोरा जैसी नस्लें हैं। इन नस्लों को दूध उत्पादन और उच्च गुणवत्ता वाले रेशे के लिए जाना जाता है।

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इन नस्लों का पालन करने से भारतीय किसानों को उच्च दूध उत्पादन, बेहतर नस्लों और उत्कृष्ट प्रजनन की सुविधा मिल रही है।

1. टोगेनबर्ग नस्ल की बकरी

  • यह नस्ल स्विट्जरलैंड के टोगेनबर्ग घाटी से आती है। टोगेनबर्ग बकरियों का शरीर मजबूत और त्वचा नरम होती है।
  • इनकी औसत दूध उत्पादन क्षमता 5.5 किलोग्राम प्रति दिन होती है।
  • इस नस्ल की बकरियों का दूध मक्खन वसा से भरपूर होता है।
  • इनकी त्वचा लचीली होती है और सींग नहीं होते हैं।

2. सैनेन नस्ल की बकरी

  • स्विट्जरलैंड की सैनेन घाटी से निकली सैनेन बकरियाँ उच्च दूध उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं।
  • इनका रंग सफेद या हल्का क्रीम होता है।
  • इन बकरियों का औसत दूध उत्पादन 2-5 किलोग्राम प्रति दिन होता है और दूध में वसा की मात्रा 3-5% होती है।
  • ये बकरियाँ अपने उच्च दूध उत्पादन और स्थिरता के लिए जानी जाती हैं।

3. अल्पाइन बकरी

  • अल्पाइन नस्ल फ्रेंच, स्विस और रॉक अल्पाइन के नाम से जानी जाती है।
  • यह एक दुग्ध उत्पादक नस्ल है, जिसका औसत दूध उत्पादन 2-3 किलोग्राम प्रति दिन होता है।
  • इन बकरियों का दूध वसा 3-4% होता है और ये बकरियाँ विभिन्न रंगों में पाई जाती हैं।

4. न्युबियन बकरी

  • यह नस्ल उत्तर-पूर्वी अफ्रीका के नूबिया क्षेत्र से है, और इन बकरियों को आम तौर पर लंबी टांगों और मजबूत शरीर की विशेषता प्राप्त है।
  • न्युबियन बकरियों का क्रॉस ब्रिटेन की देशी नस्लों और भारत की जमुनापारी बकरियों से किया गया है।
  • इन बकरियों की दूध उत्पादन क्षमता बहुत उच्च होती है, औसतन 3-4 किलोग्राम दूध प्रति दिन प्राप्त किया जा सकता है।

5. अंगोरा बकरी

  • यह तुर्की या एशिया माइनर की नस्ल है, जो उच्च गुणवत्ता वाले रेशे का उत्पादन करती है।
  • अंगोरा बकरियों का आकार छोटा होता है और उनके शरीर से उच्च गुणवत्ता वाली ऊन प्राप्त होती है, जो फाइबर उद्योग में उपयोगी होती है।
  • यह नस्ल विशेष रूप से ऊन के लिए प्रसिद्ध है, और यदि इनकी ऊन समय पर नहीं काटी जाती, तो गर्मियों में स्वाभाविक रूप से गिर जाती है।

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विदेशी बकरियों की नस्ल को पालने के लाभ

विदेशी नस्लों के पालन से भारतीय किसानों को अनेक लाभ हो रहे हैं। उच्च दूध उत्पादन, उन्नत नस्लों का प्रजनन, और इन बकरियों से मिलने वाले उत्कृष्ट रेशे का बाजार में अच्छा मूल्य होता है।

इसके अलावा, विदेशी नस्लों का पालन करके भारत में बकरी पालन को व्यवसाय के रूप में एक नया आयाम मिल रहा है।

किसान इन बकरियों से लाभ प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षित हो सकते हैं और विभिन्न प्रकार के कृषि उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार ला सकते हैं।