Ad

जई की खेती कैसे की जाती हैं, जानिए बुवाई का समय

Published on: 18-Oct-2024
Updated on: 19-Nov-2024

जई रबी मौसम की फसल है, इसकी खेती ठंडे क्षेत्रों में की जाती हैं। जई को मुख्य रूप से चारा फसल के रूप में उगाया जाता है, जई का उपयोग खाद्य पदार्थों में किया जाता है इसको कई स्थानों पर अनाज की फसल के रूप में भी उगाया जाता है।

जई की खेती के लिए पर्याप्त सिंचाई की व्यवस्था होना बहुत आवश्यक है। इस लेख में हम आपको जई की खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी देंगे।

जई की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी की स्थिति

जैसा की आप जानते है ये एक रबी की फसल है तो इसकी खेती के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती हैं।

जई सर्दियों में 15-25 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले ठंडे वातावरण में अच्छी तरह से अनुकूलित हो जाती है। नम स्थितियों के साथ जई ठंड-प्रतिरोधी हैं और यह पाले एवं अधिक ठंड को सहन कर सकती है।

जई को जल जमाव वाली मिट्टी को छोड़कर सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। यह पर्याप्त जल निकासी वाली दोमट से चिकनी दोमट मिट्टी में अच्छी उपज देती हैं।

ये भी पढ़ें: बार्नयार्ड बाजरा की खेती कैसे की जाती है?

बुवाई के लिए भूमि की तैयारी

जई की बुवाई के लिए भूमि की अच्छे से जुताई कर लेनी चाहिए जिससे की बुवाई करनी आसान हो। खेत की तैयारी करने के लिए हर्रो या कल्टीवेटर से दो या तीन जुताईयां करनी चाहिए।

जई की उन्नत किस्में

अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए केंट, यूपीयू-212, वेस्टन II, एफएसओ-29, जेएचओ-851, ओएस-6, यूपीओ-94, ईसी-1185, आईजीएफआरआई-3021, रडार, अल्जीरियाई, ईसी-54807, आईसी-4263, फ्लेमिंग्स गोल्ड, एफसी-13594, वाहर जई-1, जई-2 और जई-03-91 आदि जैसी किस्मों की बुवाई करें।

जई का बीज और बुवाई का समय

देश के उत्तर-पश्चिम से पूर्वी क्षेत्र में जई की बुआई अक्टूबर के आरंभ से नवंबर के अंत तक शुरू कर देनी चाहिए। दिसम्बर से मार्च तक चारे की नियमित आपूर्ति हेतु, लेट बुवाई भी की जा सकती हैं।

चारे के लिए 100 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती हैं। किंतु दाने के लिए केवल 80 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है।

ये भी पढ़ें: कुटकी (Panicum Sumatrense) की खेती - बुवाई, कटाई, और इसके पोषक तत्वों के फायदे

जई की फसल में खाद और उर्वरक प्रबंधन

जिस खेत में जई की बुवाई करनी हैं उसमें 10 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद अंतिम जुताई के समय डालनी चाहिए।

फसल में प्रति हेक्टेयर 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम सल्फर व 20 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर देना चाहिए। नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा तथा सल्फर एवं पोटाश की मात्रा बुवाई के समय देना चाहिए।

फसल में सिंचाई प्रबंधन

जई को बुआई पूर्व सिंचाई सहित 4-5 सिंचाईयों की आवश्यकता होती है। चारे के लिए बोई गई फसल में कई बार कटाई करने पर, प्रत्येक कटाई के बाद खेत की सिंचाई करनी चाहिए। सिंचाई 20-25 दिन के अंतराल पर दी जा सकती है।

जई की कटाई और उपज

एकल कट किस्म में कटाई 50% फूल अवस्था पर की जाती है। पहली कटाई 60 दिन पर करनी चाहिए, उसके बाद दूसरी कटाई 50% फूल आने की अवस्था पर करनी चाहिए।

जबकि मल्टीकट किस्मों में पहली कटाई 60 दिन की अवस्था में की जाती है, उसके बाद दूसरी कटाई 45 दिन की अवस्था में की जाती है।

पहली कटाई के कुछ दिन बाद और तीसरी कटाई 50% फूल आने की अवस्था पर करें। हरे चारे की उपज जई में 400-500 क्विंटल/हेक्टेयर लिया जा सकता है।

Ad