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बरसीम की खेती कैसे की जाती है?

Published on: 09-Jan-2025
Updated on: 09-Jan-2025

बरसीम (ट्रीफोलियम एलेक्जेंड्रिनम) एक वार्षिक दलहनी चारा फसल है। यह 1700 मीटर की ऊंचाई से नीचे के क्षेत्रों के लिए सिंचाई सुविधाओं के साथ सबसे उपयुक्त चारा फसल है। 

यह सभी विकास चरणों में कोमल और रसीला बना रहता है। इसे उच्च जल स्तर वाले क्षेत्रों और जलभराव की स्थिति में बिना सिंचाई के उगाया जा सकता है।

बरसीम को मिस्र (Egypt) का मूल निवासी माना जाता है। यह मुख्य चारा दलहन है बरसीम हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सहित पश्चिमी और उत्तरी भारत के सिंचित क्षेत्रों में एक प्रमुख चारा दलहन के रूप में उगाई जाती है। 

इसे चारे और हरी खाद दोनों के लिए व्यापक रूप से उगाया जाता है। दक्षिण भारत में, यह लूसर्न की तुलना में कम लोकप्रिय है। इस लेख में हम बरसीम की खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी देंगे।

बरसीम का पोषा कैसे होता है? 

  • बरसीम एक नीची झाड़ीदार वार्षिक फसल है जो 60-90 सेमी ऊँची होती है। मुख्य, रसीला तना शाखाएँ देता है जो दो या तीन पत्तियों पर समाप्त होती हैं। 
  • फूल आने के बाद ये तने रेशेदार हो जाते हैं। पत्तियाँ छोटी, अंडाकार और सिरे पर गोल होती हैं, जो चमकीली हरी और थोड़ी रोएँदार होती हैं।

बरसीम की खेती के लिए जलवायु

  • बरसीम की खेती शुष्क और ठंडी जलवायु में की जाती है। इसको रबी मौसम में उच्च आर्द्रता के साथ उगाया जाता है। 
  • इसकी बढ़वार के लिए बादल वाले दिन अच्छे नहीं होते। अंकुरण के लिए तापमान - 25 से 30º C और फूल आने के लिए 35 से 37º C अच्छा माना जाता है। 

मिट्टी

  • बरसीम को हल्की ठंडी सर्दियों वाली सभी मिट्टियों में उगाया जा सकता है। 
  • बरसीम मध्यम से भारी मिट्टी में अच्छी तरह से उगता है साथ ही कुछ हद तक क्षारीय मिट्टी को सहन करता है।
  • कैल्शियम और फास्फोरस से समृद्ध चिकनी दोमट मिट्टी, मिट्टी अच्छी तरह से जल निकासी वाली होनी चाहिए।

बरसीम की उन्नत किस्में

बरसीम की उन्नत किस्मे और उनकी जानकारी निम्नलिखित हैं -

पुसा जायंट, IGFR-S-99-1, UPB-101, 103, 104 और 105

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मेसावी

  • यह तेजी से बढ़ने वाली किस्म है और फूल आने के चरण में लगभग 75 सेमी ऊँचाई प्राप्त करती है। 
  • औसतन, यह लगभग पाँच कटाई में प्रति हेक्टेयर 500-600 क्विंटल हरा चारा और 100-125 क्विंटल सूखी सामग्री का उत्पादन देती है। 
  • फूल आने के शुरुआती चरण में इसमें लगभग 20% कच्चा प्रोटीन होता है।

1. बीएल-1

  • यह सामान्य रूप से उगाई जाने वाली किस्म मेसावी की तुलना में लंबी अवधि की किस्म है। इसकी वजह से, जून के अंत तक इस किस्म से एक अतिरिक्त कटाई प्राप्त की जा सकती है। 
  • औसतन, यह 600 क्विंटल हरा चारा और 130 क्विंटल सूखी सामग्री प्रति हेक्टेयर देती है।

2. बीएल-22

  • यह एक लंबी अवधि की किस्म है, जो जून में एक अतिरिक्त कटाई देती है। 
  • औसतन, यह प्रति हेक्टेयर 750 क्विंटल हरा चारा और 135 क्विंटल सूखी सामग्री देती है।

क्षेत्र की तैयारी

  • इसकी खेती के लिए अच्छे और समतल बीज बिस्तर तर करना चाहिए जो मिट्टी के ढेलों से मुक्त हो साथ ही खेत की जमीन दीमक और चींटियों से भी मुक्त होनी चाहिए। 
  • बुवाई करने से पहले भूमि को अच्छी तरह से जुताई करके समतल और खरपतवार रहित कर देना चाहिए। 

बीज दर

  • बोने के लिए 20-25 किलोग्राम/हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती हैं।
  • कतारों के बीच 25 सेमी का अंतर रखें और फिर हल्की जुताई करें।

बुवाई

  • रबी के मौसम में इसकी बुवाई की जाती हैं। बरसीम की बुवाई अक्टूबर-नवंबर के महीने में की जाती हैं। 
  • विधि: प्रसारण या कतार विधि से बुवाई करें साथ ही छोटे आकार के बीज सरसों के साथ मिलाकर बोएं।

बुवाई के तरीके

1. जलमग्न खेतों में।

2. सूखे खेतों में।

3. धान के खेतों में रिले फसल के रूप में।

इनोक्युलेशन

- यदि किसी खेत में पहली बार बरसीम की बुवाई की जा रही हो, तो बीज को राइजोबियम कल्चर के साथ इनोक्युलेट करना अनिवार्य है।

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बरसीम में इनोक्युलेशन की विधि

1. 10% गुड़ का घोल तैयार करें और इसे उबालने के बाद ठंडा करें।

2. बीजों पर गुड़ का घोल छिड़ककर उन्हें गीला करें।

3. राइजोबियम कल्चर को गुड़ से उपचारित बीजों पर पतली परत में फैलाएं और अच्छी तरह मिलाएं।

4. बीजों को छाया में सुखाकर बुवाई करें।

बीज दर और बुवाई की विधि

- 25 किलोग्राम/हेक्टेयर बीज को जलमग्न स्थिति में प्रसारण विधि से बोएं।

- बीज को खरपतवार जैसे कसनी के बीजों से मुक्त रखें।

- कसनी के बीजों को हटाने के लिए बीज को 1% नमक के घोल में डुबोकर तैरते हुए बीजों को निकाल दें।

- अधिक उपज के लिए 500 ग्राम चीनी सरसों के बीज बरसीम के साथ मिलाकर बोएं।

- बरसीम और जई का 50:50 मिश्रण अधिक उपज देता है।

- उल्टरा स्थिति में बुवाई धान की कटाई से 8-10 दिन पहले करें।

पोषक तत्व प्रबंधन

- जैविक खाद: 15-20 टन/हेक्टेयर।

- फास्फोरस का अच्छा प्रतिसाद। 

- 20-40-0 किग्रा एनपीके/हेक्टेयर और 1 किग्रा मोलिब्डेनम।

खरपतवार प्रबंधन

- 25 डीएएस (दिन बुवाई के बाद) तक खेत खरपतवार मुक्त रखें।

- 21 डीएएस और 35-40 डीएएस पर दो हाथ से खरपतवार निकालें।

जल प्रबंधन

  • अक्टूबर में सिंचाई का अंतराल: 10 दिन के अंतराल पर ।
  • नवंबर से जनवरी: 15 दिन के अंतराल पर ।
  • उसके बाद: 8-10 दिन के अंतराल पर ।
  • कुल: 10-12 सिंचाइयां बरसीम की फसल में की जाती हैं।

कटाई

- पहली कटाई बुवाई के 40-45 दिनों के बाद की जाती हैं।

- अगली कटाई: 20-25 दिनों के अंतराल पर की जाती हैं।

- सर्दियों के मौसम के अनुसार कटाई की संख्या 6-8 बार होती हैं।

- कुल उपज: 50-100 टन हरा चारा।