भारत के अंदर रबी सीजन में सरसों व गेहूं की खेती Mustard and wheat cultivation अधिकांश की जाती है। गेहूं की खेती wheat cultivation में चार से छह सिंचाईयों की जरूरत होती है। ऐसे कृषकों को गेहूं की उपज बढ़ाने के लिए गेहूं की निर्धारित समय पर सिंचाई करनी चाहिए। अगर कृषक भाई गेहूं की समय पर सिंचाई करते हैं तो उससे काफी शानदार पैदावार हांसिल की जा सकती है। इसके साथ ही सिंचाई करते वक्त किन बातों का ख्याल रखना चाहिए। कृषकों को इस बात की भी जानकारी होनी आवश्यक है। सामान्य तौर पर देखा गया है, कि बहुत सारे किसान गेहूं की बिजाई करते हैं। परंतु, उनको प्रत्याशित उपज नहीं मिल पाती है। वहीं, किसान गेहूं की बुवाई के साथ ही सिंचाई पर भी विशेष तौर पर ध्यान देते हैं तो उन्हें बेहतर उत्पादन हांसिल होता है। गेहूं एक ऐसी फसल है, जिसमें काफी पानी की जरूरत होती है। परंतु, सिंचाई की उन्नत विधियों का इस्तेमाल करके इसमें पानी की काफी बचत की जा सकती है। साथ ही, शानदार उत्पादन भी हांसिल किया जा सकता है।
गेहूं की फसल Wheat Crop की कब सिंचाई की जाए यह बात मृदा की नमी की मात्रा पर निर्भर करती है। अगर मौसम ठंडा है और भूमि में नमी बरकरार बनी हुई है, तो सिंचाई विलंभ से की जा सकती है। इसके विपरीत अगर जमीन शुष्क पड़ी है तो शीघ्र सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। वहीं, अगर मौसम गर्म है तो पौधों को सिंचाई की ज्यादा जरूरत होती है। ऐसी स्थिति में समय-समय पर सिंचाई की जानी चाहिए ताकि जमीन में नमी की मात्रा बनी रहे और पौधे बेहतर ढ़ंग से बढ़ोतरी कर सके। गेहूं की शानदार उपज के लिए इसकी फसल को 35 से 40 सेंटीमीटर जल की जरूरत होती है। इसकी पूर्ति कृषक भिन्न-भिन्न तय वक्त पर कर सकते हैं।
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