Ad

भारत में भेड़ों की 5 शीर्ष नस्लें - जानिए इनकी विशेषताएँ

Published on: 06-Nov-2024
Updated on: 06-Nov-2024

भारत में भेड़ की कई नस्लों का पालन किया जाता हैं। देश में लगभग 20 से ज्यादा भेड़ो की नस्लें पाई जाती हैं।

भेड़ का इस्तेमाल कपडे कालीन और मटन बनने के लिए किया जाता हैं इसलिए देश की अर्थव्यवस्था में भी भेड़ का बहुत योगदान हैं।

इन सभी बातों को देखते हुए आज के दिन भेड़ पालन बहुत मुनाफे का कारोबार बन गया हैं।

अगर आप भी भेड़ पालन करने के बारे में सोच रहे हैं तो आप सही जगह आए हैं, इस लेख में हम आपको भेड़ की सभी उत्तम नस्लों के बारे में जानकारी देंगे।

भारत में भेड़ की शीर्ष 5 नस्लों के नाम और उनकी विशेषताएँ

1. गद्दी नस्ल 

  • इस नस्ल की भेड़ें आकार में छोटी होती हैं, और जम्मू की किश्तवाड़ और भदरवाह तहसीलों में पाई जाती हैं।
  • गद्दी नस्ल की भेड़ हिमाचल प्रदेश की सर्दियों में कुल्लू घाटियों में बड़ी संख्या में निवास करते हैं, और गर्मियों में वे पीर पंजाल पर्वत की सबसे ऊंची चोटियों पर चरते हैं, ज्यादातर पद्दार रेंज में।
  • इस नस्ल के नर भेड़ सींग वाले होते हैं, मादा भेड़ें सींग रहित होती हैं।
  • गद्दी नस्ल के ऊन का रंग आमतौर पर सफेद होता है और चेहरे पर भूरे रंग के बाल होते हैं, इस से प्राप्त होने वाली ऊन बढ़िया और चमकदार होती है। 
  • इस भेड़ की ऊन की औसत वार्षिक उपज 1.13 किलोग्राम प्रति भेड़ है, जिसे वर्ष में तीन बार काटा जाता है। 
  • भेड़  से प्राप्त ऊन का उपयोग उच्च गुणवत्ता वाले कुल्लू शॉल और कंबल के निर्माण के लिए किया जाता है।

ये भी पढ़ें: भारत में पाई जाने वाली बकरियों की प्रमुख नस्लें और उनके फायदे

2. मारवाड़ी भेड़

  • मारवाड़ी नस्ल की भेड़ राजस्थ के अजमरे, बाड़मेर, जालोर, जोधपुर, नागौर और पाली में पाई जाती हैं। इस नस्ल का पालन ऊन और मांस के लिए किया जाता हैं। 
  • मारवाड़ी भेड़ की नस्ल गर्मी के मौसम में आसानी से रह सकती हैं, इसलिए इनका पालन राजस्थान के रेगिस्तान में आसानी से किया जा सकता हैं। 
  • भेड़ की इस नस्ल का चेहरा आमतोर पर काला होता हैं और गर्दन के निचले हिस्से तक फैले होते हैं, इस नस्ल की ऊन सफ़ेद रंग की होती हैं।        
  • इनके कान टयुबलर और आकार में बहुत छोटे होते हैं वही इनकी नाक सीधी, चपटी और पतली होती हैं।

3. मेचेरी नस्ल

  • इस नस्ल की भेड़े सेलम, इरोड, करूर, नमक्कल और तमिलनाडु के धर्मपुरी जिलों के कुछ हिस्सों में पाई  जाती है। 
  • मेचेरी नस्ल नस्ल की भेड़ को मांस उत्पादन के लिए पाला जाता है।
  • इसका शरीर मध्यम आकार का और त्वचा का रंग हल्का बैंगनी होता है।
  • इस नस्ल में नर मादा दोनों में कोई सींग नहीं होते और पूँछ छोटी और पतली होती है।
  • वयस्क नर का औसत शरीर का वजन 36 कि.ग्रा. होता हैं और वयस्क मादा के शरीर का औसत वजन 22 कि.ग्रा. होता है।

4. डेक्कनी नस्ल

  • भेड़ की डेक्कनी नस्ल राजस्थान की ऊनी प्रजातियों और आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की बालों वाली प्रजातियों का मिश्रण है।
  • यह बॉम्बे-डेक्कन क्षेत्र और कर्नाटक और आंध्र प्रदेश राज्यों के कुछ हिस्सों में पाई जाती है।
  • इस नस्ल की भेड़ छोटी और कठोर होती है, और ख़राब चरागाह परिस्थितियों के लिए अच्छी तरह से अनुकूलित होती है।
  • इसमें रंगीन ऊन होता है, काले और भूरे रंग अधिक प्रभावी होते हैं।
  • ऊन की औसत वार्षिक उपज 4.54 किलोग्राम प्रति भेड़ है।
  • ऊन निम्न श्रेणी का होता है और बाल और महीन रेशों का मिश्रण होता है, जिसका उपयोग ज्यादातर मोटे कंबल के निर्माण के लिए किया जाता है।
  • इस नस्ल के झुंडों को मुख्यत मटन के लिए पाला जाता है।

ये भी पढ़ें: भारत की शीर्ष देशी गायों की नस्लें

5. चोकला भेड़ 

  • इस भेड़ का पालन उत्तरी भारत के कई राज्यों में किया जाता हैं, इसका पालन ऊन और मास के लिए किया जाता हैं। 
  • इस भेड़ के ऊन का रंग सफ़ेद होता हैं और चेहरे का रंग भूरा और गर्दन तक फैला हुआ हो सकता हैं। 
  • इस नस्ल के भेड़ हलके से माध्यम आकार के जानवर होते हैं और चेहरे पर बाल नहीं होते हैं।
  • इस नस्ल के कान का आकार छोटे से माध्यम होता हैं।

Ad