मिर्च की खेती करके किसान भाई जल्द ही कमा सकते हैं अच्छा खासा मुनाफा, इतना आएगा खर्च

Published on: 20-May-2023

भारत में मिर्च सब्जी और मसाले के रूप में प्रयोग की जाती है। इसका प्रयोग भारतीय उपमहाद्वीप के लगभग हर घर में किया जाता है। यह स्वाद में बेहद तीखी होती है, जिसकी वजह से व्यंजनों का स्वाद बढ़ाने के लिए किचन में इसका इस्तेमाल किया जाता है। भारत में लाल के साथ-साथ हरी मिर्च का भी बहुतायत में उत्पादन किया जाता है। भारत दुनिया में मिर्च का एक प्रमुख निर्यातक देश है। भारत के मिर्च की दुनिया भर के बाजारों में अच्छी खासी मांग रहती है।

मिर्च की खेती में इतना आता है खर्च

अगर किसान भाई एक हेक्टेयर खेत में मिर्च का उत्पादन करना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए 10 किलोग्राम बीज की जरूरत होगी। देशी मिर्च के 10 किलोग्राम बीज की बाजार में कीमत 2500 रुपये प्रति किलो है। जबकि हाइब्रिड बीज की कीमत 3500 से 4000 रुपये प्रति किलो तक हो सकती है। इसके अलावा एक हेक्टेयर खेत में सिंचाई, खाद डालना, कीटनाशक डालना और कटाई में 3 लाख रुपये तक का खर्च आ सकता है।

इतना होगा फायदा

एक हेक्टेयर खेत में लगभग 300 क्विंटल मिर्च का उत्पादन हो सकता है। जबकि मिर्च की औसत कीमत 40 रुपये प्रति किलो होती है। इस हिसाब से एक हेक्टेयर खेत में 12 लाख रुपये की मिर्च का उत्पादन हो सकता है। अगर मिर्च की खेती में आने वाली लागत को अलग कर दें तब भी किसान भाइयों को एक हेक्टेयर खेत में मिर्च उत्पादन करने पर लगभग 9 लाख रुपये का मुनाफा हो सकता है। इस हिसाब से किसान भाई बेहद कम समय में मिर्च की खेती से ज्यादा से ज्यादा रुपये कमा सकते हैं।

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ऐसी जमीन पर करें मिर्च की खेती

मिर्च की खेती हर तरह की जमीन में की जा सकती है। अच्छे उत्पादन के लिए हल्की उपजाऊ और पानी के अच्छे निकास वाली ज़मीन का चयन करना चाहिए। मिर्च की खेती के लिए जमीन का चुनाव करने के पहले मिट्टी का परीक्षण अवश्य करवाएं। इस खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए। मिर्च की रोपाई हमेशा मिट्टी के बेड पर ही करना चाहिए। इससे पौधों के आस पास पानी जमा नहीं होता है और पौधे सड़ने से बच जाते हैं। मिर्च के पौधों को हमेशा नर्सरी में तैयार करना चाहिए। जिसके लिए उपचारित बीजों का इस्तेमाल करें। बीजों की बुवाई के 40 दिनों के बाद पौध तैयार हो जाती है। जिसे बाद में खेत में लगाया जा सकता है। पौध को खेत में लगाते समय ध्यान रखें कि पौधे स्वास्थ्य हों और उनकी ऊंचाई 15 से 20 सेंटीमीटर होनी चाहिए। मिर्च की खेती में हानिकारक रोगों के साथ ही कीटों का आक्रमण होता रहता है। जिससे निपटने के लिए किसान भाई जैविक कीटनाशकों का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा रोगों से निपटने के लिए मिथाइल डैमेटन, एसीफेट, प्रॉपीकोनाज़ोल या हैक्साकोनाज़ोल जैसी दवाइयों का भी उपयोग किया जा सकता है। फसल आने पर मिर्च को हरे रूप में ही तोड़ लिया जाता है और बाजार में बेंच दिया जाता है। इसके अलावा जब मिर्च लाल हो जाती है तो उसे तोड़कर सुखा लिया जाता है और मिर्च के आकार के हिसाब से अलग कर लिया जाता है। इसके बाद सूखी मिर्च को पैक करके स्टोर कर लिया जाता है और बाजार में बेंचने के लिए भेज दिया जाता है।

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