शिमला मिर्च की खेती किसानों के लिए अच्छा वरदान साबित हो सकती है. जैसा की आजकल सामान्य खेती से ज्यादा लोग सब्जियों की खेती पर ध्यान देने लगे हैं. जिससे उनकी आय भी बढ़ने लगी है |
और ऐसी सब्जियों को नगदी फसल बोला जाता है. इसमें विटामिन A और C पाया जाता है. इसकी सब्जी बनाई जाती है तथा जो लोग अपनी सेहत को लेकर ज्यादा जागरूक होतें हैं उन्हें इसकी सब्जी या सलाद के रूप में खाने की सलाह दी जाती है.
इसको ग्रीन पेपर, स्वीट पेपर, बेल पेपर आदि विभिन्न तरह के नामों से भी जाना जाता है. इसके फल को मिर्च भले ही बोला जाता है लेकिन ये खाने में उतनी तीखी नहीं होती है.
इसका फल गूदेदार और कम चरपरा होता है. इसका आकार भी अलग ही तरह का होता है. इसकी फसल के कई रंग होते हैं.
शिमला मिर्च की खेती से किसान 2 से 4 महीने में ही अच्छी आमदनी ले सकता है. बशर्ते उसको इसकी खेती की बारीकियां पता हों.
शिमला मिर्च की खेती के लिए भूमि का चयन करते समय ध्यान रखना चाहिए की जमीन में पानी निकासी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए.
इससे पानी भरने पर हमारी फसल ख़राब होने की संभावना नहीं रहती है. किसी नीची या गाढ़ जमीन में इसकी खेती नहीं करें. नहीं तो फायदे की जगह नुकसान ही होगा.
शिमला मिर्च के लिए बलुई और दोमट मिटटी मुफीद रहती है. इसमें इसकी फसल अच्छे से जमती है. जिसमें मिटटी का पी एच मान 5 से 6.5 के आस पास होना चाहिए.
इसके लिए चिकनी मिटटी भी अच्छी रहती है. इसके पेड़ को गोबर की सड़ी खाद से मिलने वाले पोषण तत्व ज्यादा फायदे देते हैं. इनकी मदद से इसका रंग और स्वाद दोनों ही अच्छे रहते हैं.
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उत्तरी भारत में शिमला मिर्च की फसल को पाले से बचाने के लिये बसन्त ऋतु की फसल की बुवाई फरवरी से मार्च तथा खरीफ फसल की बुवाई जून-जुलाई में की जाती है।
शिमला मिर्च का बीजोत्पादन भारत में समशीतोष्ण क्षेत्रों में होता है। पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी बुआई का उपयुक्त समय मार्च से अप्रेल है। नर्सरी की बुआई के लिये प्रति हैक्टेयर 600 ग्राम शिमला मिर्च का बीच पर्याप्त होता है।
एक हेक्टेयर में पौधा रोपण करने हेतु 10-12 नर्सरी की क्यारियां बनाए। इनमें 5 से 6 सेंटीमीटर की दूरी में लाइन से जो 0.5 सेमी गहरी हो उसमें बीज को बोना है।
बीज को एग्रोसिन, थाइरम, कैप्टान आदि किसी एक से 2 ग्राम दवा प्रति किलो बीज की दर से उपचार कर ही बोना चाहिये।
शिमला मिर्च की खेती के लिए कम तापमान और आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है.
शिमला मिर्च की उन्नत किस्मों में अर्का गौरव, अर्का मोहिनी, अर्का बंसत, ऐश्वर्या, अंलकार, अनुपम, हरी रानी, भारत, पूसा ग्रीन गोल्ड, हीरा, इंदिरा आदि प्रमुख है.
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सामान्यतः 10-15 सेमी लंबा तथा 4 से 5 पत्तियों वाला पौधा जो कि लगभग 40-45 दिनों में तैयार हो जाता है, रोपण के लिए उसका प्रयोग करें. पौधा रोपण से एक दिन पूर्व शाम के समय क्यारियों में सिंचाई कर देनी चाहिए.
इससे पौधा आसानी से निकाला जा सकता है. और पौध को शाम को मुख्य खेत में 60 से 45 सेमी की दूरी पर लगा देना चाहिए. रोपण के बाद खेत की हल्की सिंचाई कर दें. ज्यादा पानी न भरें नहीं तो पौध को जमने में परेशानी हो सकती है.