लॉकडाउन में रोजमर्रा की चीजों की आपूूर्ति अवाध बनाए रखने के लिए सरकारेें लाख प्रयास कर रही हैं लेकिन हकीकत इसके इतर है। हकीकत में बाजारों में आटे की किल्लत पैदा होने लगी है। सामान्य चक्की आटे का दाम भी 30 के पार पहुंच गया है। यह बात अलग है कि गेहूं अभी 2300 रुपए प्रति कुंतल के करीब चल रहा है। गेहूं और आटे की कीमतों में इतना अंतर तो रहता ही है। थोक बाजार में 27 रुपए प्रति किलोग्राम चल रहा आटा अब 30 के पार पहुंचेगा तो आम उपभोक्ता को इसकी तीन से चार रुपए प्रति किलोेग्राम ज्यादा कीमतें चुकानी होंगी। जिलों के प्रशासनिक अफसर बड़े मिल मालिकों से संबंध स्थापित कर जनपदों में अवाध आटे की आपूूर्ति सुनिश्चत कर रहे हैं।
छोटी बड़ी पैकिंग के हिसाब से रेटों का निर्धारण भी किया गया है। इस सबके बाद भी खुदरा बाजार में आटे की कीमतों में खासा उछाल आया हुआ है। दुकानों का कम समय के लिए खुलना, पुलिस के अलग अलग इलाकों में मनमाने नियम दिक्कतें पैदा कर रहे हैं। कई इलाके ऐसे भी हैं जहां मेडिकल स्टोर्स को भी 11 बजे तक ही खुलने दिया जा रहा है। मथुरा जनपद के गोवर्धन क्षेत्र स्थित गांव अड़ींग में लॉकडाउन के दिन से अभी तक 11 बजे के बाद मेडिकल स्टोरों को नहीं खुलने दिया जा रहा है। इससे मरीजों को थोड़ी दिक्कत हो रही है।
मूल आवश्यकता वाले आटे के दामों में उछाल की कई वजह हैं। इस समय गेेहूं का ज्यादातर स्टाक निल हैं। किसानों के पास गेहूं अपने उपयोग भर के लिए है। इसके अलावा मिलों में आटा बनाने के लिए एफसीआई आदि से इंतजाम करने में टेंडरिंग एवं माल आने में समय लगना तय है। इससे आटे की कालाबाजारी को रोकना दिक्कत जदा होगा। लोगों को आटा हर दिन और दोनेां समय चाहिए होता है।