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जानिए भारत के कितने किसानों पर कितना कर्जा है और किन- किन बैंकों से है

Published on: 11-Aug-2023

वर्तमान समय में भारत के समस्त प्रकार के बैंकों का तकरीबन 16 करोड़ किसानों पर 21 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। इन 16 करोड़ किसानों पर इस कर्ज को समान हिस्सों में विभाजित कर दिया जाए तो प्रति किसान कर्ज 1.35 लाख रुपये हो जाएगा। सवाल इतना भर नहीं है, कि देश की सरकार ने किसानों का बीते 9 सालों में कितना कर्ज माफ किया। सवाल ये भी नहीं है, कि राज्य की क्षत्रप सरकारों ने भी किसानों को कर्ज से राहत दी या नहीं। सवाल इस बात का भी नहीं है, कि इस दौर में सरकार ने कॉरपोरेट का कितना कर्ज माफ कर दिया है? सवाल तो यह है, कि वर्तमान समय में भारत का किसान कितना कर्जदार है। ये कर्ज केवल कुछ हजार में नहीं लाखों में है। जब आप नाबार्ड के डाटा को खंगालने की कोशिश करेंगे तो पाएंगे कि मौजूदा वक्त में भारत के सभी प्रकार के बैंकों का लगभग 16 करोड़ किसानों पर 21 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। इन 16 करोड़ किसानों पर इस कर्ज को समान रूप से बांट दिया जाए तो प्रति किसान कर्ज 1.35 लाख रुपये हो जाएगा।

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11.9 लाख किसानों का कर्ज माफ कर रही है शिवराज चौहान सरकार, बनाई गई है लिस्ट आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि हाल ही में वित्त मंत्रालय ने एग्रीकल्चर लोन पर पूछे गए सवाल का जवाब देने के लिए इस पूरे ब्योरे को समक्ष रखा। जो आंकड़ें प्रस्तुत किए गए जो उसका सोर्स था वो नाबार्ड थी। चलिए आज पटल पर रखे उन आंकड़ों को बारीकी के साथ देखने का प्रयास करते हैं और समझते हैं, कि आखिर भारत के किसानों पर किस वर्ग के बैंक का कितना कर्जा है।

किसानों पर सबसे ज्यादा कर्ज प्राइवेट-सरकारी बैंकों से है

प्रारंभ तो आज मेन स्ट्रीम बैंकों के साथ होना चाहिए, जिनमें भारत के प्राइवेट और सरकारी दोनों बैंक शम्मिलित हैं। कमर्शियल कैटेगिरी के बैंकों से भारत के 10.80 करोड़ किसानों ने कर्जा लिया है, जिनका कुल कर्ज 16.40 लाख करोड़ रुपये है। अगर इसका औसत निकाला जाए तो हरेक किसान पर 1.51 लाख रुपये से ज्यादा का कर्ज निकलेगा, जोकि कुल औसत से अधिक है।

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किसानों पर को-ऑपरेटिव बैंकों का कर्ज भी कम नहीं है

साथ ही, दूसरी तरफ को-ऑपरेटिव बैंकों के लोन की बात की जाए तो रिपोर्ट में साफ तौर पर लिखा है, कि भारत के 2.67 करोड़ किसानों ने कर्ज लिया है। जिन पर इन बैंकों का 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है। मुख्य बात तो यह है, कि 37 राज्यों में 9 राज्यों के किसानों ने इन बैंकों से कोई भी कर्जा ही नहीं लिया। इसका अर्थ है, कि यह आंकड़ा केवल 28 राज्यों का ही है। यदि इस कर्ज को किसानों में विभाजित कर बांट दिया जाए तो 75,241.35 रुपये प्रति किसान कर्ज बन रहा है।

किसानों पर रीजनल बैंकों के कर्ज का भी भार

वहीं, दूसरी ओर रीजनल बैंकों की बात की जाए तो 9 राज्य ऐसे हैं, जिनके किसानों ने इन बैंकों से कर्ज नहीं लिया। परंतु, लोन के मामले में को—ऑपरेटिव बैंकों के कर्ज के आंकड़ें को पीछे छोड़ दिया। भारत के 27 राज्यों के लगभग 2.76 करोड़ किसानों ने रीजनल बैंकों से 2.58 लाख करोड़ रुपये का लोन ले रखा है। यदि इस कर्ज को सभी किसानों में विभाजित कर दिया जाए तो प्रत्येक किसान पर 93,657.29 रुपये का कर्ज होगा।

सबसे ज्यादा कर्जा यूपी-राजस्थान के किसानों पर

राज्यों की बात करें तो सर्वाधिक कर्जा राजस्थान के किसानों पर है। आंकड़ों के मुताबिक, 99.97 लाख किसानों ने बैंकों से कर्जा लिया है। इस लोन की धनराशि 1.47 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की है। उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो यहां पर 1.51 करोड़ किसानों ने बैंकों से कर्ज लिया है और कर्ज की धनराशि 1.71 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। गुजरात में भी 47.51 लाख किसानों ने भी कर्ज लिया है, जो कि एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का है।

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