Published on: 14-Oct-2022
मक्के की फसल से बिहार में एथेनॉल (इथेनॉल; Ethanol) का उत्पादन किया जायेगा, जिसके लिए बिहार में बहुत बड़ा और नया प्लांट खुलने जा रहा है। इससे बिहार की अर्थव्यवस्था काफी हद तक बेहतर होगी, वहां के लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। साथ ही एथेनॉल उत्पादन से पेट्रोलियम के दामों में भी कमी आएगी। भारत में ग्रीनफ़ील्ड ग्रेन बेस्ड एथेनॉल प्लांट (Green Field Grain Based Ethanol Plant) की शुरुआत बिहार के पूर्णियां जिले में हुई है। यह प्लांट लगभग ६५ हजार लीटर उत्पादन करने में सक्षम है। देश में एथेनॉल से चलने वाली कार भी लॉन्च होने लगी है। आने वाले समय में एथेनॉल की मांग में बढ़ोतरी होने वाली है। मक्के की फसल से बिहार के लोग आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ने का कार्य कर रहे हैं।
एथेनॉल की कितनी मांग है बाजार में
बिहार से एथेनॉल खरीदने के लिए पूर्व उघोग मंत्री शाहनवाज हुसैन, केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री को पत्र लिखकर तेल कंपनियों को बिहार से एथेनॉल खरीदने के लिए मांग की गयी है। बिहार में लगभग १३९ उघोगों को एथेनॉल उत्पादन के लिए प्रथम चरण में स्वीकृति दी गयी है, जिससे कि उत्पादन ४ करोड़ लीटर से बढ़कर ५८ करोड़ हो सके। हालाँकि अब बिहार की बेहतरीन पोलिसी से प्रभावित होकर अन्य कम्पनियाँ भी प्लांट खोलने के लिए आग्रह कर रही हैं। भविष्य में एथेनॉल की मांग में अच्छी खासी वृद्धि होने जा रही है, इसलिए एथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कंपनियां पूर्ण प्रयास कर रही हैं।
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बिहार में एथेनॉल प्लांट की शुरुआत पुर्णिया जनपद से हुई है
बिहार के पुर्णिया जिले में सर्वप्रथम ग्रीनफ़ील्ड ग्रेन बेस्ड एथेनॉल प्लांट की शुरुआत हुई है, साथ ही यह बिहार का पहला वाटर बॉटलिंग प्लांट भी है। बिहार में एथेनॉल प्लांट के खुलने से करीबी क्षेत्रों में उन्नति होगी, जिसमें कतिहार, अररिया, किशनगंज और पुर्णिया जनपद सम्मिलित हैं। बिहार की अर्थव्यवस्था को देखते हुए वहां औघोगिक क्रांति की अत्यंत आवश्यकता है। बिहार में रोजगार के कम अवसर होने की वजह से वहां के ज्यादातर लोगों को अपनी आजीविका के लिए दूसरे प्रदेशों में जाना पड़ता है और वास्तविक मजदूरी से कम कीमत पर काम करना पड़ता है। एथेनॉल प्लांट खुलने से उनको गृह राज्य में ही रोजगार का अवसर प्राप्त हो पायेगा।
किसानों को एथेनॉल प्लांट खुलने से क्या लाभ होगा
एथेनॉल उत्पादन के लिए मक्का और धान जैसी फसलों की बेहद आवश्यता होती है और बिहार में मक्का की फसल से एथेनॉल उत्पादन किया जायेगा, जिसका प्रथम प्लांट पूर्णियां जिले में खुल चुका है। किसानों को मक्का और धान की फसल में काफी मुनाफा मिलेगा, साथ ही अच्छी कीमत पर उनकी फसल विक्रय हो पायेगी। किसानों को खाली समय में रोजगार का भी अवसर प्राप्त होगा।
एथेनॉल उत्पादन से देश को क्या लाभ होगा
इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल
(ईबीपी; EBP - Ethanol Blended Petrol) कार्यक्रम जनवरी 2003 में शुरू किया गया था। कार्यक्रम ने वैकल्पिक और पर्यावरण के अनुकूल ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने और ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए आयात निर्भरता को कम करने की मांग की। चूंकि इथेनॉल अणु में ऑक्सीजन होता है, यह इंजन में ईंधन को पूरी तरह से दहन करने देता है, जिसके परिणामस्वरूप उत्सर्जन कम होता है और इस तरह पर्यावरण कम प्रदूषित होता है।
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विश्व पर्यावरण दिवस, 5 जून 2021 के अवसर पर, माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक भारत में इथेनॉल सम्मिश्रण के रोडमैप पर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के मुताबिक, 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग अब संभव है। वर्ष 2025 तक, पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण के उत्पादन के लिए केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और वाहन निर्माताओं की विशिष्ट जिम्मेदारियों का सुझाव दिया गया है।
वर्ष 2025 तक 20% इथेनॉल सम्मिश्रण से देश को अपार लाभ मिल सकता है, जैसे प्रति वर्ष 30,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत के साथ ही ऊर्जा सुरक्षा, कम कार्बन उत्सर्जन, बेहतर वायु गुणवत्ता, आत्मनिर्भरता, क्षतिग्रस्त खाद्यान्न का उपयोग, किसानों की आय वृद्धि, रोजगार सृजन और अधिक निवेश के अवसर मिलेंगे।
एथेनॉल उत्पादन से देश की अर्व्यवस्था मजबूत होने के साथ साथ पेट्रोलियम का आयात भी कम होगा, जिससे देश का पैसा बचेगा। फ़िलहाल एथेनॉल सम्मिश्रण की मात्रा देश में ५% है, जिसको वर्ष २०२५ तक २०% तक करने की तैयारी है। इससे पेट्रोल के खर्च में कमी आएगी और भारत आत्मनिर्भरता की और बढ़ेगा। पेट्रोलियम के लिए पूर्णतया विदेशों पर निर्भर रहने से देश का अधिक खर्च होता है, देश में ही एथेनॉल उत्पादित करके जीडीपी में बढ़ोत्तरी भी होगी और देश की स्थिति भी बेहतर होगी।