Published on: 20-Feb-2023
आज का अधिकांश युवा वर्ग खेती किसानी की तरफ रुख कर रहा है. इससे उन्हें उनके सुनहरे भविष्य को नये पंख लग रहे हैं. नई सोच और नई तकनीक से खेती के मायने बदलने वाले युवाओं में से एक हैं MBA पास राजीव भास्कर. जो अमरूद बेचकर करोड़पति बन गये हैं.
राजीव भास्कर का जन्म नैनीताल में हुआ था. उन्होंने रायपुर की एक बीज कंपनी में भी काम किया. जिसमें उन्हें विशेषज्ञता मिली. जिस वजह से वो आज एक समृद्ध और उद्यमी किसान बन सके. राजीव ने बताया कि, उन्होंने बिक्री और मार्केटिंग के मेंबर के तौर पर VNR सीड्स कंपनी में करीब चार सालों तक काम किया. इस दौरान उन्होंने देश के अलग अलग क्षेत्र के कई किसानों के साथ मुलाकात की. जिसके बाद उन्हें खेती और किसानी से जुड़ी कई अहम जानकारियां मिली. इन्हीं जानकारियों के दम पर राजीव भास्कर ने नौकरी छोड़ कर खेती करने का फैसला किया.
MBA पास कर शुरू की खेती
राजीव भास्कर ने कृषि से BSC पूरा किया. हालांकि जब तक उन्होंने VNR बीजों के साथ काम करना नहीं शुरू किया था, तब तक खेती किसानी की दिशा में उन्होंने आगे बढ़ने के बारे में भी नहीं सोचा था. जिस बीच राजीव ने MBA का कोर्स कर लिया. जो Distance Learning था. राजीव भास्कर बताते हैं कि, जैसे जैसे उन्होंने बीजों और पोधौं को बेचने का काम शूरू किया, वैसे वैसे कृषि में उनकी दिलचस्पी भी बढ़ती गयी. जिसके बाद उन्होंने इस ओर काम करने का मन बना लिया. नौकरी के साथ ही राजीव ने अमरूद की थाई किस्म के बारे में जाना और समझा. जिसने बाद उन्होंने इसकी खेती करने का फैसला लिया, और काम शुरू कर दिया.
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5 एकड़ जमीन पर की खेती, चमक गयी किस्मत
राजीव ने अमरूद की खेती के लिए सबसे पहले 5 एकड़ जमीन किराए पर ली. उन्होंने इसकी खेती हरियाणा के पंचकुला में की. उन्होंने अमरूद की थाई किस्म की खेती की और उसके लिए अपनी नौकरी तक छोड़ दी. जिसके बाद राजीव के उगाए थाई किस्म के अमरूदों ने पूरे हरियाणा में तहलका मचा दिया और इसकी डिमांड बढ़ गयी. जिसके चलते सिर्फ पांच सालों में ही राजीव करोड़पति बन गये. लेकिन इन पांच सालों में उनकी खेती का रकबा बढ़ा और आज वो 5 नहीं बल्कि 25 एकड़ की जमीन में थाई किस्म के अमरूद की खेती कर रहे हैं.
अच्छी पैदावार के लिए जैविक खेती जरूरी
राजीव भास्कर की उम्र महज 30 साल ही है. उनकी मानें तो अब तक उनके खेत में लगभग 12 हजार अमरूद के पेड़ हैं. जिसके चलते वो एक साल में करीब एक से डेढ़ करोड़ तक की कमाई कर रहे हैं. राजीव बताते हैं कि, नौकरी छोड़ने के बाद जब उन्होंने पहली बार खेती करनी शुरू की थी तो, उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि, ज्यादा विकास और ज्यादा उत्पादन के लिए अच्छे उर्वरक और सिंचाई की जरूरत होती है.
राजीव भास्कर अपने उगाए हुए
अमरूद की खेती के बारे में बताते हुए कहते हैं कि, उनके अमरूद ना सिर्फ टेस्टी बल्कि हेल्दी और पौष्टिक तत्वों से भरपूर हैं. इसके अलावा उनका यह भी कहना है कि, अगर आप जमीन पर खेती कर रहे हैं, और उर्वरकों का कम इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उस जगह पर जैविक खेती करने से अच्छी पैदावार मिल सकती है.
राजीव कहते हैं कि, वो अपना सारा सामान दिल्ली एपीएमसी मार्केट तक पहुंचाते है. जहां उन्हें एक हफ्ते की पेमेंट दी जाती है. अच्छी वैरायटी और मौसम के हिसाब से उन्हें प्रति किलो अमरूद के 40 से 100 रुपये के बीच तक होती है. जिस तरह वो सालाना प्रति एकड़ के हिसाब से लगभग 6 लाख रुपये तक कमाते हैं.