तीतर में नर और मादा दोनों ही व्यवसाय के हिसाब से बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि जहां पर मादा आपको बहुत ही उत्तम क्वालिटी के अंडे और चूजे दे सकती है, वहीं पर नर तीतर का मांस आजकल बाजार में बहुत प्रचलन में है।
तीतर बर्ड का रंग भूरा काला और लाल होता है और मादा और नर दोनों ही पक्षियों की बनावट और आकार में थोड़ा अंतर देखने को मिलता है।
मुर्गी पालन और बत्तख पालन के बारे में हमने बहुत पहले से ही कई तरह की चीजें सुनी हैं और यह दोनों ही व्यवसाय प्रचलन में रहे हैं।
लेकिन क्या कभी आपने तीतर पालन के बारे में सुना है? जी हां वही तीतर (Teetar; Grey Partridge) जिसे आप बचपन में तीतर या फिर कभी कभी बटेर कहकर बुलाते थे,
और साथ ही तीतर के नाम पर बचपन में हम सब ने कई मुहावरे सुने हैं, ‘आधा तीतर-आधा बटेर ‘, तीतर लड़ाना ‘, तीतर बाज़ होना और ना जाने क्या-क्या, उस समय बड़े आश्चर्य से सोचते थे, ये तीतर किस बला का नाम है।
आज हम आपको बताने वाले हैं कि तीतर केवल मुहावरों में ही नहीं बल्कि असल जिंदगी में भी आपके बहुत फायदे का हो सकता है।
उस समय हो सकता है कि आपने इस पक्षी के बारे में ज्यादा सोच विचार करने के बारे में ना सोचा हो और ना ही इसके फायदों के बारे में किसी भी तरह की जानकारी रखी हो।
लेकिन आज हम आपको बताने वाले हैं कि कबूतर जैसा दिखने वाला ये पक्षी बाकि सभी पक्षियों से बेहद अलग है और आपके लिए बहुत फायदेमंद भी है।
तीतर पक्षी का रंग भूरा काला और लाल होता है और मादा और नर दोनों ही पक्षियों की बनावट और आकार में थोड़ा अंतर देखने को मिलता है।
तीतर में नर और मादा दोनों ही व्यवसाय के हिसाब से बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि जहां पर मादा आपको बहुत ही उत्तम क्वालिटी के अंडे और चूजे दे सकती है, वहीं पर नर तीतर का मांस आजकल बाजार में बहुत प्रचलन में है।
अगर तीतर पक्षी के थोड़े से इतिहास के बारे में बात करें तो विश्व भर में तीतर के लगभग 156 किस्म देखने को मिलते हैं, जिसमें से 46 तरीके के तीतर भारत में देखने को मिल जाते हैं।
तीतर पक्षी की एक खासियत है कि वो अपना घोंसला जमीन पर ही बनाता है और उसे जंगल, झाड़ी और खेतों में रहना पसंद है।
यही कारण भी है कि खेतों में कीटनाशक आदि के इस्तेमाल और बहुत ज्यादा शिकार के कारण ये पक्षी विलुप्त होता जा रहा है।
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत सरकार ने इसके शिकार पर प्रतिबंध भी लगा दिया है इसलिए ही अगर आप तीतर का पालन करना चाहते हैं तो आपको बाकायदा सरकार से लाइसेंस लेना पड़ता है।
आपको लग रहा होगा कि तीतर पर इतनी जानकारी ले कर हमें क्या फायदा होने वाला है। तो हम आपको बता दें कि अगर आप एक नए बिज़नेस के बारे में सोच रहे हैं और आप यह बिज़नेस अगर कम लागत लगाकर करना चाहते हैं,
तो आपको ये सब जानकारी होना आवश्यक है। साथ ही आप अगर मुर्गी और बत्तख पालन से हटकर कुछ करना चाहते हैं तो भी तीतर पालन आपके लिए एकदम सटीक बिज़नेस है।
आज के समय में तेज़ी से ये बिज़नेस लोगों को अपनी ओर खींच रहा है और आप इसे बहुत ही कम लागत में शुरू कर सकते हैं।
आप चाहें तो शुरूआत 5-6 तीतर पाल कर ही कर सकते हैं। आइए जरा देखते हैं कि कैसे आप यह बिज़नेस कर मुनाफ़ा कमा सकते हैं।
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तीतर बर्ड बाकि पक्षी पालन की तरह ही इसके लिए आपको एक जगह लेकर सेटअप करना आवश्यक है। आप इसके लिए जाल बना सकते हैं और उसमें इन पक्षियों को रख सकते हैं।
इसके अलावा तीतर को पालते समय एक बात जो ध्यान में रखनी बेहद ज़रूरी है, वो है इनकी फीडिंग मतलब कि इसके खानपान की। इनके भोजन का हमें खास ख्याल रखना पड़ता है क्योंकि इसी आधार पर ही मादा अंडे भी देती है। लगभग 35-40 दिन में मादा अंडे देने के लिए तैयार हो जाती है और ये लगभग 10-12 अंडे एक साथ दे सकती है।
अगर मादा तीतर स्वस्थ है, तो अंडे और आगे चल कर चूजे भी स्वस्थ रहते हैं। तीतर बर्ड के आहार में हमें एक बात का खास ख्याल रखना पड़ता है कि, गर्मियों में इन्हें चिकन या बत्तख की अपेक्षा ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है।
साथ ही आप सूखे दाने के साथ-साथ इन्हें कुछ ना कुछ हरे पदार्थ भी खिला सकते हैं। साथ ही इस बात का खास ध्यान रखें कि आप दिन में तीन से चार बार या फिर कम से कम दो से तीन बार इन्हें दाना जरूर खिलाएं।
जैसा कि हमने बताया कि तीतर के लिए भोजन का बहुत महत्व है इसलिए ही अगर तीतर को सही तरह से आहार दिया जाए तो अंडों के उत्पादन और क्वालिटी को भी बढ़ाया जा सकता है।
इसके अंडे बाकि पक्षियों के मुकाबले ज्यादा सेहतमंद माने जाते हैं और इसका कारण है कि तीतर के अंडों में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट और मिनरल काफी मात्रा में पाये जाते हैं। प्रति ग्राम जर्दी में 15-23 मिलीग्राम तक कोलेस्ट्रॉल होता है।
हो सकता है, आपने कभी तीतर के मांस के बारे में ना सुना हो लेकिन आप तीतर के मांस से भी अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।
तीतर के मांस में चिकन के मुकाबले ज्यादा पोषण पाया जाता है क्योंकि इसका मांस चिकन के मुकाबले पतला होता है। इसमें प्रोटीन और बाकी सभी मिनरल्स बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।
साथ ही इसमें कोलेस्ट्रॉल कम होता है, जो आजकल हेल्थ के लिए सजग लोगों की मांग है, इसके अलावा इसमें मैग्नीशियम जिंक सोडियम और विटामिन B12, B6 मिलता है।
औसतन देखा जाए तो 10 से 20 किलो के तीतर को आप लगभग ₹350 में बेच सकते हैं। और यहां पर अगर हम अवधि की बात करें तो लगभग हर एक तीतर पर 25 हफ्ते की अवधि में आप 300 से 350 ₹ बचा सकते हैं।
पेपर के मांस और अंडों की तरह ही इसके चीजों की भी मार्केट में बहुत ज्यादा मांग है। आप चाहें तो स्वस्थ चूजों को आगे चलकर मांस के लिए पाल सकते हैं और उनके पोषण के लिए आप उन्हें दूध और अंडे दे सकते हैं।
तीतर के चूजे प्रोटीन से भरपूर होते हैं, इसलिए बाजार में उनका बहुत ज्यादा प्रचलन है। यहां पर हमें एक बात ध्यान में रखने की जरूरत है, कि तीतर के चूजों में सबसे ज्यादा मौत भुखमरी के कारण होती है।
इसीलिए हमें उनके खान-पान का बेहद ध्यान रखना पड़ता है और उन्हें समय-समय पर दाना और पानी देते रहने की आवश्यकता है।
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तीतर बर्ड छोटे केंचुए और कीड़े मकोड़े खाने में सक्षम है, इससे तीतर को प्रोटीन भी मिलता है और उनकी सेहत भी बनी रहती है।
इसलिए तीतर के पालन में आपको एक फायदा यह है कि इससे आपके आसपास के इलाके की सफाई भी हो जाती है। और साथ ही तीतर की सेहत पर भी इससे कोई असर नहीं पड़ता है।
चिकन या मुर्गी पालन से तीतर का पालन करने का व्यवसाय सस्ता पड़ता है, क्योंकि हम जानते हैं कि मुर्गी पालन में हमें साफ सफाई का बेहद ध्यान रखना पड़ता है।
लेकिन तीतर पक्षी में ऐसा नहीं है, आप कम लागत पर इसका रखरखाव और सफाई कर सकते हैं। इसके पालन के लिए आपको कम जगह की जरूरत पड़ती है, साथ ही इसके पालन में आपको निवेश भी कम करना पड़ता है।
अगर आपने यह मन बना लिया है कि आप तीतर पालन का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं और उसे मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो यह बात ध्यान में रखना बहुत जरूरी है कि इसे आप बिना लाइसेंस के शुरू नहीं कर सकते हैं।
जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है, भारत सरकार ने तीतर के शिकार को प्रतिबंधित कर रखा है क्योंकि यह एक विलुप्त प्रजाति का पक्षी माना जाता है।
बहुत ज्यादा शिकार और अलग-अलग तरह के दवाइयों और केमिकल के इस्तेमाल के कारण यह पक्षी विलुप्त प्रजाति में आ गया था। इसीलिए इसके संरक्षण के लिए सरकार ने लाइसेंस पद्धति का सहारा लिया है।
जानें अगर आपने तीतर पालन के लिए सेटअप तैयार कर लिया है और अपना मन बना लिया है, तो आपको इसके लिए लाइसेंस लेने की जरूरत है।
साथ ही आप यह व्यवसाय करके विलुप्त होते हुए तीतर की प्रजाति को बचाने में भी अपना अहम योगदान दे सकते हैं। इस तरह से हम यह समझ सकते हैं कि आजकल मार्केट में जहां आपको हर जगह मुर्गी या बतख पालन करने वाले व्यवसाय मिल जाएंगे, वहीं पर तीतर तीतर पालन एक नया व्यवसाय है।
लेकिन इन दोनों ही व्यवधान से ऊपर आप यहां पर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं, इसके अलावा यहां पर आपको लागत भी कम लगानी पड़ेगी।
आने वाले समय में इसकी मांग और बढ़ने वाली है, जिस तरह से हम आए दिन लोगों का स्वास्थ्य के प्रति ध्यान बढ़ता हुआ देख रहे हैं, और नई नई चीजों के प्रति लोगों का आकर्षण देख रहे हैं।
तो जल्द ही तीतर का यह व्यवसाय शिखर तक पहुंचने वाला है, तो किसी भी तरह से देर ना करें और कम लागत पर ही तीतर का या बिजनेस शुरू करें।