Published on: 21-Jan-2023
अब भारत के किसान खेती बाड़ी के साथ-साथ पशुपालन भी करते हैं। इस तरह से अपनी आमदनी को दोगुना करने की कोशिश कर रहे हैं। किसानों द्वारा की जा रही यह पहल ना सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आगे ले जा रही है बल्कि भारत में बढ़ रहे डेयरी उत्पादों की मांग को पूरा करने के लिए भी यह बेहतरीन विकल्प है। कुछ समय पहले तक दुधारू पशुओं की संख्या एक चुनौती बनी हुई थी। लेकिन सरकार ने इस समस्या का हल निकालने के लिए काफी प्रयास किया है और अब देश में मादा दुधारू पशुओं की संख्या बढ़ाने के लिए कुछ तकनीक चलाई जा रही हैं। सेक्स सॉर्टेड सीमन तकनीक के तहत मादा भैंसों की पैदाइश बढ़ाई जाएगी और नर भैंसों को पैदा होने से रोका जा सकता है।
देशभर में पहले से ही राष्ट्रीय गोकुल मिशन चल रहा है और उसी के तहत नस्ल सुधार कार्यक्रम के भीतर इस तकनीक को प्रमोट किया जाएगा। इस तकनीक में सबसे ज्यादा ध्यान मादा भैंसों की संख्या बढ़ाने पर ही रहेगा।
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मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम ऑफ भोपाल मदर बुल फॉर्म में भी अब गौवंशों के साथ भैंसवंशों के नस्ल सुधार का काम चल रहा है। इससे राज्य में दूध उत्पादन बढ़ाने और श्वेत क्रांति में योगादान देने में खास मदद मिलेगी।
पैदा होंगी केवल मादा भैंस
सेक्स सीमन सॉर्टेड तकनीक पहले ब्राजील में इस्तेमाल की जाती रही है और इसके तहत वहां पर मादा भैंसों का जन्म करवाया जाता रहा है। इसी तकनीक की तर्ज पर अब भारत में भी यह अपनाया जाएगा। अब ब्राजील की तरह मादा पशुओं का उत्पादन बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश का कुटकुट विकास निगम अब भैंसों में सेक्स सॉर्टेड सीमन की तकनीक का परीक्षण करेगा।
इस तकनीक के तहत मादा पशुओं को आर्टिफिशियल तरीके से गर्भधारण करवाया जाएगा। इस तरह से गर्भधारण होगा कि केवल मादा भैंस ही जन्म लेगी और नर पशु के जन्म को रोक दिया जाएगा।
अगर पशुपालन विभाग में रहने वाले एक्सपर्ट लोगों की बात मानी जाए तो इस तकनीक के जरिए पैदा होने वाली भैंस में दूध की क्षमता बाकी के मुकाबले ज्यादा होगी। इस तकनीक से पैदा हुई भैंस रोजाना 20 लीटर तक दूध का उत्पादन करने में मदद करेगी।
इससे
किसान और पशुपालकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और उनकी आय भी बढ़ेगी। एक्सपर्ट्स ने बताया कि इसी तकनीक की तर्ज पर ब्राजील ने भारत के देसी पशुधन के जरिए 20 से 54 लीटर तक दूध उत्पादन लेने का रिकॉर्ड कायम किया है।
इन भैसों की नस्लों का होगा सुधार
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश कुटकुट विकास निगम के सहयोग से मदर बुल फॉर्म स्थित लैब मुर्रा नस्ल के बफेलो बुल से सेक्स सॉर्टेड सीमन से 50,000 स्ट्रा तैयार किए जा रहे हैं। भैंसों के इस नस्ल सुधार कार्यक्रम में मुर्रा, जाफराबादी और भदावरी प्रजाति की भैसों को शामिल किया गया है।
इस प्रोजेक्ट के पहले चरण की बात की जाए तो सबसे
पहले ज्यादा दूध उत्पादन करने वाली मुर्रा नस्ल की भैंस में सुधार होगा। माना जाता है, कि मुर्रा नस्ल की भैंस अभी 8 से 10 लीटर तक दूध देती है। अगर इस तकनीक के जरिए नस्ल बढ़ाई जाती है, तो दूध उत्पादन बढ़कर 18 से 20 लीटर तक हो जाएगा।
पशुपालन विभाग के विशेषज्ञों ने बताया कि मुर्रा प्रजाति हरियाणा से ताल्लुक रखती है। जिसे दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए तैयार करने में 35 साल का समय लगा। अब इससे दूसरी नस्लों का सुधार किया जा रहा है।
मादा पशु हैं दूध सेक्टर का भविष्य
अगर डेयरी सेक्टर की बात की जाए तो केवल मादा पशु ही इस सेक्टर का भविष्य माने गए हैं। क्योंकि डेयरी से जुड़ी हुई सभी तरह की डिमांड इन के दूध से पूरी हो सकती। ऐसे जब हम इस नस्ल के मादा पशु बना पाएंगे जो ज्यादा से ज्यादा दूध देते हों, तो यह हमारे दुग्ध सेक्टर के लिए काफी लाभकारी होगा।
इन्हीं सब कारणों के चलते सरकार काफी बढ़ चढ़कर राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत इस तकनीक को प्रमोट कर रही है। इससे मादा पशुओं के पैदा होने की संभावना 90 से 95% तक होती है।