इस राज्य में किसानों की बढ़ी परेशानी, यूरिया में मिलने वाली सब्सिडी से हैं वंचित

Published on: 15-Sep-2022

इस साल लम्बे समय तक कई राज्यों में उर्वरक की कमी महसूस की गई है। इसके साथ ही ओडिशा में भी किसानों को उर्वरक की कमी के कारण परेशानी झेलनी पड़ी। लेकिन अब केंद्र सरकार के उर्वरक मंत्रालय की तरफ से राज्य को पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध करवाया गया है ताकि राज्य के किसानों को इसकी कमी न होने पाए। इसको लेकर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने केंद्र सरकार का आभार जताया है। ओडिशा राज्य में अब उर्वरक के पर्याप्त भण्डार मौजूद हैं, इसके बावजूद राज्य के किसानों को उर्वरक की कमी खल रही है, क्योंकि केंद्र द्वारा भेजा गया उर्वरक किसानों को सब्सिडी वाले दामों में नहीं मिल पा रहा है। यह उर्वरक खुले बाजार में ब्लैक में बेचा जा रहा है।

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इस बारे में ओडिशा की एक वेबसाइट ने खबर प्रकाशित की है, जिसमें वेबसाइट ने बताया कि ओडिशा के बलांगीर में उर्वरक की जमकर कालाबाजारी की जा रही है। यहां पर यूरिया की एक बोरी 500 रूपये में खुले बाजार में बेची जा रही है, जिसे खरीदने के लिए किसान मजबूर हैं, क्योंकि सब्सिडी वाली यूरिया किसानों को उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है। राज्य में सब्सिडी वाली यूरिया की 45 किलोग्राम की एक बोरी का मूल्य 266.50 रुपये प्रति बोरी है। इस हिसाब से किसान अपने खेत में यूरिया डालने के लिए ज्यादा पैसे चुका रहे हैं। वेबसाइट ने बताया कि बलांगीर जिले में खरीफ की फसलों के लिए मात्र 22,000 मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत है। जबकि सरकार ने इस जिले को 30,000 मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध करवाई है। इसके बावजूद बाजार में यूरिया की कालाबाजारी रुकने का नाम नहीं ले रही है। जिले में यूरिया का पर्याप्त स्टॉक होने का बावजूद किसान ब्लैक में यूरिया लेने पर मजबूर हैं और इसके लिए वो अतिरिक्त दाम भी चुका रहे हैं। यह स्थिति पूरे ओडिशा में है जहां किसान अपने खेतों में डालने के लिए ऊंचे दामों में यूरिया खरीद रहा है।

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ओडिशा में राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड ( मार्कफेड-ओडिशा (Odisha State Co-Operative Marketing Federation Ltd. (MARKFED) ) किसानों को उर्वरक मुहैया करवाने का काम करता है। यह काम मार्कफेड प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के माध्यम से पूरा करता है, जिसमें उर्वरक बेचने पर किसानों को 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी प्रदान की जाती है। राज्य को मिलने वाले 50 प्रतिशत उर्वरक को मार्कफेड खुले बाजार में एजेंसियों के माध्यम से बेचता है। जबकि 50 प्रतिशत उर्वरक को सब्सिडी के साथ प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को उपलब्ध करवाया जाता है। इस मामले में किसानों का कहना है कि राज्य में उर्वरक उपलब्ध करवाने वाली एजेंसियां सही से काम नहीं कर रही है। उनके अंदर बैठे लोग उर्वरक के इस वितरण से मोटा पैसा कमाना चाहते हैं, जिसके कारण वो उर्वरक वितरण में धांधली कर रहे हैं।

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ओडिशा में यूरिया की बढ़ती हुई कालाबाजरी से किसान परेशान हैं। बहुत सारे किसान इन बढ़े हुए दामों पर यूरिया खरीदने में सक्षम भी नहीं हैं। कई सहकारी समितियों ने मार्कफेड को अभी तक करोड़ों रूपये का भुगतान नहीं किया है। जिसका फायदा निजी कंपनियां उठा रही हैं। वो मार्कफेड के यूरिया को खरीदकर बाजार में ऊंचे दामों में बेंच रही हैं। यह किसानों के साथ-साथ सरकार के लिए भी चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि यदि किसान यूरिया नहीं खरीद पाए तो इसका असर खरीफ में होने वाली खेती के उत्पादन में दिख सकता है। बिना यूरिया के फसलें कमजोर हो सकती हैं और उनके उत्पादन में भी गिरावट आ सकती है।

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