पौधे को देखकर पता लगाएं किस पोषक तत्व की है कमी, वैज्ञानिकों के नए निर्देश

Published on: 02-Aug-2022

पहले के जमाने में किसान भाई पौधे की पत्तियों और उसके आकार को देखकर पता लगा पाते थे, कि इसमें कौन से पोषक तत्वों की कमी देखी जा रही है, पर अभी के युवा किसान इस तरह से पोषक तत्वों की कमी को पहचान नहीं पाते हैं। इसी वजह से, बिना अपने खेत की मिट्टी की जांच करवाए हुए ही केमिकल का अंधाधुंध इस्तेमाल किया जा रहा है। बिना पोषक तत्वों की कमी के भी किसी भी खेत में यूरिया डाला जा रहा है, इसी वजह से उस खेत की उत्पादकता कम होने के साथ-साथ वहां की जमीन भी अनुर्वर होती जा रही है। पिछले कुछ सालों से कृषि विभाग के द्वारा सॉइल हेल्थ कार्ड (Soil Health Card) के जरिए किसानों को अपने खेत में मौजूद मृदा में होने वाले पोषक तत्वों की कमी की जानकारी दी जाती है, लेकिन बहुत से लोगों को इस प्रकार के कार्ड की कोई जानकारी ही नहीं होती है।

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पौधों को देखकर पोषक तत्वों की कमी को ऐसे पहचानें

आज, हम सभी किसान भाइयों को उनके खेत में उगने वाले पौधों को देखकर, पोषक तत्वों की कमी को पहचानने की कुछ जानकारी बताएंगे। भारत के सभी खेतों में नाइट्रोजन की मात्रा लगभग उचित मात्रा में पाई जाती है, लेकिन फिर भी यूरिया पर सब्सिडी मिलने की वजह से इसका गलत इस्तेमाल होता है।

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  • सभी किसान भाइयों को जान लेना होगा कि यदि आप के खेत में उगने वाले पौधे की पत्तियां आगे से नुकीली हो जाए और उनका रंग गहरा पीला हो जाए तो उस स्थिति में पौधे का आकार भी छोटा ही रह जाएगा, इस स्थिति में आप पहचान पाएंगे कि उस में नाइट्रोजन की कमी है।
  • यह बात ध्यान रखें कि की पत्तियों का रंग हरा हो जाए तो उस में सल्फर की कमी भी पाई जा सकती है और पत्तियों के बाहरी किनारे पीले शुरू हो जाते है।
  • मेंगनीज पोषक तत्व की कमी के दौरान पत्तियां पीली पड़ जाती है और कुछ समय तक उन्हें पर्याप्त उर्वरक नहीं मिलने पर टूट कर नीचे भी गिर सकती है।
  • जिंक और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों की कमी होने से पतियों का आकार बहुत छोटा रह जाता है और उनका रंग बहुत पीला हो जाता है, इस स्थिति से बचने के लिए किसान भाइयों को मैग्नीशियम और जिंक की पूर्ति करने वाले फर्टिलाइजर का इस्तेमाल करना चाहिए।


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  • यदि आप के खेत की मिट्टी में फास्फोरस की कमी रहती है तो आपके पौधे का आकार बहुत ही छोटा दिखाई देगा और उसका रंग तांबे के जैसा हो जाता है, इसके अलावा उस पौधे का तना इतना कमजोर हो जाता है कि वह वजन भी सम्भाल नहीं पता और पत्तियां धीरे-धीरे नीचे गिरना शुरू हो जाती है।
  • कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार कैल्शियम की कमी होने पर पौधे का ऊपरी सिरा धीरे धीरे सूखना शुरू कर देता है और कुछ ही समय में पत्तियां टूट जाती है, इसके अलावा जो नीचे की पत्तियां होती है कैल्शियम की कमी से सबसे ज्यादा प्रभावित होती है और उन्हें निकलने में ही अधिक समय लगता है।
  • यदि आप के खेत में मक्के की खेती की जा रही है, तो कैल्शियम की कमी से पौधे के नाले चिपक जाते हैं और उनसे मक्का बाहर ही नहीं निकल पाता है।
  • बोरोन जैसे कम इस्तेमाल होने वाले पोषक तत्व की कमी से भी पत्तियों का रंग पीला पड़ सकता है और उसकी कलियां सफेद या फिर भूरे रंग की दिखाई देती लगती है।
  • पूसा के वैज्ञानिकों के अनुसार आयरन की कमी होने पर पत्तियों की शिरा एकदम हरी हो जाती है और उसके कुछ समय बाद ही इनका रंग धीरे-धीरे पीला पड़ना शुरू हो जाता है, इन पत्तियों को ध्यान से देखने पर इनमें कोई धब्बा भी नजर नहीं आता है,जिससे कि पौधे की आगे की ग्रोथ पूरी तरीके से रुक सकती है और फिर पत्तियां धीरे-धीरे नीचे की तरफ झुकना शुरू हो जाती है।
  • आयरन की ही कमी होने से इन पत्तियों से एक चिपचिपा पदार्थ निकलने लगता है, जो कि इस पौधे के आसपास में उगने वाले दूसरे छोटे पौधों को भी प्रभावित कर सकता है।
यह बात सभी किसान भाइयों को ध्यान रखना होगा कि भारत की मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा पहले से ही पर्याप्त पाई जाती है, लेकिन कुछ मुख्य पोषक तत्वों की कमी की वजह से हमारी खेती की उत्पादकता कम मिलती है।

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आशा करते हैं, कि हमारे किसान भाइयों को इस जानकारी से पौधों को देखकर ही उस में होने वाले पोषक तत्वों की कमी का अंदाजा लगाया जाना आसान हो गया होगा। अब जिन सूक्ष्म तत्वों की कमी होगी, सिर्फ उन्हीं का ही इस्तेमाल खेत में करना पड़ेगा। इससे उर्वरकों पर होने वाले खर्चे भी काफी कम हो जाएंगे, साथ ही खेत की उपज बढ़ने के अलावा आपके मुनाफे में भी अच्छी वृद्धि हो सकेगी।

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