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आने वाले समय में तिलहन, दलहन व खाद्य तेलों की कीमतों में इजाफा हो सकता है

Published on: 01-Sep-2023

विशेषज्ञों का कहना है, कि खरीफ फसलों के लिए अगस्त एवं सितंबर माह की बारिश काफी महत्व रखती है। अगर इन दो महीनों में अच्छी-खासी वर्षा होती है, तो दलहन एवं तिलहन का उत्पादन बढ़ जाता है। परंतु, इस वर्ष अगस्त में औसत से कम वर्षा हुई है, जिसका प्रभाव धान, दलहन, तिलहन और गन्ने की पैदावार पर भी देखने को मिल सकता है। वर्तमान में महंगाई से सहूलियत मिलने की संभावना नहीं दिखाई दे रही है। आगामी दिनों में तिलहन एवं दलहन के भाव में और इजाफा हो सकता है। इससे आम जनता के ऊपर महंगाई का भार और अधिक बढ़ जाएगा। ऐसा बताया जा रहा है, कि अगस्त में औसत से भी कम बारिश हुई है और सितंबर तक ऐसी ही स्थिति बनी रहेगी. यानि कि अगले महीने भी मानसून कमजोर ही रहेगा. ऐसे में दलहन और तिलहन की पैदावार पर असर पड़ेगा, जिससे उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है. ऐसे में आने वाले दिनों में दलहन और तिलहन की कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है। किसान इस बार दलहनी फसलों का उत्पादन करके अच्छा मुनाफा कमाने के साथ साथ बेहतर ढंग से खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित कर सकते हैं। बतादें कि बारिश का प्रभाव पड़ने से दलहन और तिलहन फसलों की कीमतों में वृद्धि देखी गई है।

इस बार अगस्त में विगत 8 वर्षों से कम बारिश दर्ज की गई है

भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, इस वर्ष अगस्त माह में 8 वर्षों के अंतर्गत काफी कम बारिश दर्ज की गई है। दरअसल, अलनीनो फैक्टर के कारण आगामी महीनों में भी औसत से कम बारिश होने की संभावना है। बतादें, कि भारत भर में दलहन और तिलहन की बुआई हो चुकी है। अब कुछ दिनों के उपरांत फसलों में फूल आने शुरू हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में फसलों की सिंचाई की अधिक आवश्यकता पड़ती है। परंतु, पानी के अभाव की वजह से दलहन और तिलहन के उत्पादन पर प्रभाव पड़ेगा, जिससे पैदावार में कमी भी देखने को मिल सकती है। यह भी पढ़ें: दलहन की फसलों की लेट वैरायटी की है जरूरत

भारत के केवल इन हिस्सों में अच्छी-खासी वर्षा दर्ज की गई है

मौसम विभाग ने बताया है, कि भारत के केवल उत्तर पश्चिम भाग में ही बेहतरीन वर्षा रिकॉर्ड की गई है। इन हिस्सों में विगत वर्ष की तुलना में 6 प्रतिशत अधिक बरसात दर्ज की गई है। साथ ही, मध्य भारत में औसत से 7 प्रतिशत कम, पूर्व उत्तर भारत में 15 प्रतिशत कम और दक्षिण भारत में औसत से 17 प्रतिशत कम वर्षा रिकॉर्ड की गई है। ऐसी स्थिति में मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया है, कि अगस्त माह के दौरान संपूर्ण भारत में विगत वर्ष की तुलना में 35 प्रतिशत कम बारिश रिकॉर्ड की गई है। अधिकारियों की मानें तो अगर सितंबर में सामान्य से अधिक भी बारिश होती है, तो भी अगस्त महीने की कमी की भरपाई नहीं की जा सकती है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य 332 मिलियन टन निर्धारित किया गया है। हालांकि, फसल सीजन 2022-23 में भारत में खाद्यान्न पैदावार में 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई थी। भारत का खाद्यान्न भंडार 330.5 मिलियन टन पर पहुंच गया था। वहीं, इस वर्ष खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य 332 मिलियन टन निर्धारित किया गया है।

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