Published on: 26-Sep-2023
किसान भाई बेहतरीन मुनाफा पाने के लिए पालक की खेती कर सकते हैं। बतादें, कि भारत में पालक की खेती रबी, खरीफ एवं जायद तीनों फसल चक्र में की जाती है।
इसके लिए खेत में बेहतर जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही, हल्की दोमट मृदा में पालक के पत्तों का शानदार उत्पादन होता है।
किसान भाई इन बातों का विशेष रूप से ख्याल रखें
एक हेक्टेयर भूमि पर
पालक की खेती करने के लिए 30 किग्रा बीज की जरूरत पड़ती है। वहीं, छिटकवां विधि के माध्यम से खेती करने पर 40 से 45 किग्रा बीज की जरूरत होती है।
बुवाई से पूर्व 2 ग्राम कैप्टान प्रति किलोग्राम बीजों का उपचार करें, जिससे पैदावार अच्छी हो। पालक की बुवाई के लिए कतार से कतार की दूरी 25–30 सेंटीमीटर और पौध से पौध की 7–10 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
पालक की खेती के लिए जलवायु एवं मिट्टी के अनुसार ज्यादा उत्पादन वाली उन्नत किस्मों का चयन कर सकते हैं।
ऑल ग्रीन
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि 15 से 20 दिन में हरे पत्तेदार पालक की किस्म तैयार हो जाती है। एक बार बुवाई करने के उपरांत यह छह से सात बार पत्तों को काट सकता है।
यह किस्म बेशक ज्यादा उत्पादन देती है। परंतु, सर्दियों के दौरान खेती करने पर 70 दिनों में बीज और पत्तियां लगती हैं।
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पूसा हरित
साल भर की खपत को सुनिश्चित करने के लिए बहुत सारे किसान पूसा हरित से खेती करते हैं। पालक की बढ़वार सीधे ऊपर की ओर होती है।
साथ ही, इसके पत्ते गहरे हरे रंग के बड़े आकार वाले होते हैं। क्षारीय जमीन पर इसकी खेती करने के बहुत सारे फायदे हैं।
देसी पालक
देसी पालक बाजार के अंदर बेहद अच्छे भाव में बिकता है। देसी पालक की पत्ती छोटी, चिकनी और अंडाकार होती हैं। यह बेहद शीघ्रता से तैयार हो जाती है। इस वजह से ज्यादातर किसान भाई इसकी खेती करते हैं।
विलायती पालक
विलायती पालक के बीज गोल एवं कटीले होते हैं। कटीले बीजों को पहाड़ी एवं ठंडे स्थानों में उगाना ज्यादा फायदेमंद होता है। गोल किस्मों की खेती भी मैदानों में की जाती है।