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सेवानिवृत फौजी महज 8 कट्ठे में सब्जी उत्पादन कर प्रति माह लाखों की आय कर रहा है

सेवानिवृत फौजी महज 8 कट्ठे में सब्जी उत्पादन कर प्रति माह लाखों की आय कर रहा है

राजेश कुमार का कहना है, कि उन्होंने वीएनआर सरिता प्रजाति के कद्दू की खेती की है। बुवाई करने के एक माह के उपरांत इसकी पैदावार शुरू हो गई। नौकरी से सेवानिवृत होने के उपरांत अधिकतर लोग विश्राम करना ज्यादा पसंद करते हैं। उनकी यही सोच रहती है, कि पेंशन के सहयोग से आगे की जिन्दगी आनंद और मस्ती में ही जी जाए। परंतु, बिहार में सेना के एक जवान ने रिटायरमेंट के उपरांत कमाल कर डाला है। उसने गांव में आकर हरी सब्जियों की खेती चालू कर दी है। इससे उसको पूर्व की तुलना में अधिक आमदनी हो रही है। वह वर्ष में सब्जी बेचकर लाखों रुपये की आमदनी कर रहे हैं। 

राजेश कुमार पूर्वी चम्पारण की इस जगह के निवासी हैं

सेवानिवृत फौजी पूर्वी चम्पारण जनपद के पिपरा कोठी प्रखंड मोजूद सूर्य पूर्व पंचायत के निवासी हैं। उनका नाम राजेश कुमार है, उन्होंने रिटायरमेंट लेने के पश्चात विश्राम करने की बजाए खेती करना पसंद किया। जब उन्होंने खेती आरंभ की तो गांव के लोगों ने उनका काफी मजाक उड़ाया। परंतु, राजेश ने इसकी परवाह नहीं की और अपने कार्य में लगे रहे। परंतु, जब मुनाफा होने लगा तो समस्त लोगों की बोलती बिल्कुल बंद हो गई। 

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कद्दू की बिक्री करने हेतु बाहर नहीं जाना पड़ता

विशेष बात यह है, कि राजेश कुमार को अपने उत्पाद की बिक्री करने के लिए बाजार में नहीं जाना पड़ता है। व्यापारी खेत से आकर ही सब्जियां खरीद लेते हैं। सीतामढ़ी, शिवहर, गोपालगंज और सीवान से व्यापारी राजेश कुमार से सब्जी खरीदने के लिए उनके गांव आते हैं। 

कद्दू की खेती ने किसान को बनाया मालामाल

किसान राजेश कुमार की मानें तो 8 कट्ठा भूमि में कद्दू की खेती करने पर 10 से 20 हजार रुपये की लागत आती थी। इस प्रकार उनका अंदाजा है, कि लागत काटकर इस माह वह 1.30 लाख रुपये का मुनाफा हांसिल कर लेंगे।

 

किसान राजेश ने 8 कट्ठे खेत में कद्दू का उत्पादन किया है

विशेष बात यह है, कि पूर्व में राजेश कुमार ने प्रयोग के रूप में पपीता की खेती चालू की थी। प्रथम वर्ष ही उन्होंने पपीता विक्रय करके साढ़े 12 लाख रुपये की आमदनी कर डाली। इसके पश्चात सभी लोगों का मुंह बिल्कुल बंद हो गया। मुनाफे से उत्साहित होकर उन्होंने आगामी वर्ष से केला एवं हरी सब्जियों की भी खेती शुरू कर दी। इस बार उन्होंने 8 कट्ठे भूमि में कद्दू की खेती चालू की है। वह 300 कद्दू प्रतिदिन बेच रहे हैं, जिससे उनको 4 से 5 हजार रुपये की आय अर्जित हो रही है। इस प्रकार वह महीने में डेढ़ लाख रुपये के आसपास आमदनी कर रहे हैं।

बिहार के इस किसान ने मधु उत्पादन से शानदार कमाई कर ड़ाली है

बिहार के इस किसान ने मधु उत्पादन से शानदार कमाई कर ड़ाली है

बिहार राज्य के मुजफ्फरपुर जनपद के मूल निवासी किसान आत्मानंद सिंह मधुमक्खी पालन के जरिए वार्षिक लाखों रुपये का मुनाफा उठा रहे हैं। उन्होंंने बताया कि मधुमक्खी पालन उनका खानदानी पेशा है। उनके दादा ने इस व्यवसाय की नीम रखी थी, जिसके पश्चात उनके पिता ने इस व्यवसाय में प्रवेश किया और आज वह इस व्यवसाय को काफी सफल तरीके से चला रहे हैं।

कुछ ही दिन पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने देश के किसानों को खेती के नए तरीके सीखने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा था कि खेती में कुछ नया करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। उनकी यह बात बिहार के एक किसान पर पूर्णतय सटीक बैठती है। उन्होंने फसलों की अपेक्षा मधुमक्खी पालन को आमदनी का जरिया बनाया और आज वे वार्षिक लाखों का मुनाफा अर्जित कर रहे हैं। दरअसल, हम बात कर रहे हैं, बिहार के किसान आत्मानंद सिंह की जो कि मुजफ्फरपुर जनपद के गौशाली गांव के निवासी हैं। वह एक मधुमक्खी पालक हैं और इसी के माध्यम से अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। अगर शिक्षा की बात करें तो उन्होंने स्नातक तक पढ़ाई की है। 

मधु उत्पादक किसान आत्मानंद के पास मधुमक्खी के कितने बक्से हैं ?

उन्होंने बताया कि मधु उत्पादन के क्षेत्र में अपने काम और योगदान के लिए उन्हें बहुत सारे पुरस्कार भी हांसिल हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि वैसे तो वार्षिक उनके पास 1200 बक्से तक हो जाते हैं। परंतु, वर्तमान में उनके पास 900 ही बक्से हैं। उन्होंने बताया कि इस बार मानसून और मौसम की बेरुखी के चलते मधुमक्खियों को भारी हानि हुई है। इस वजह से इस बार उनके पास केवल 900 डिब्बे ही बचे हैं। उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन एक सीजनल व्यवसाय है, जिसमें मधुमक्खी के बक्सों की कीमत बढ़ती है। उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन के इस व्यवसाय को चालू करने में किसी ने भी उनकी सहायता नहीं की। उन्होंने स्वयं ही इस व्यवसाय को खड़ा किया और आज बड़े पैमाने पर मधुमक्खी पालन कर रहे हैं।

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किसान आत्मानंद वार्षिक कितना मुनाफा कमा रहा है 

उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन की वार्षिक लागत बहुत सारी चीजों पर निर्भर करती है। वैसे तो इसमें वन टाइम इन्वेस्टमेंट होती है, जो शुरुआती वक्त में मधुमक्खियों के बॉक्स पर आती है। इसके अतिरिक्त लागत में मेंटेनेंस और लेबर कॉस्ट भी शम्मिलित होती है। उन्होंने बताया कि ये सब बाजार पर निर्भर करता है। मधुमक्खियों के बॉक्स की कीमत सीजन के अनुरूप बढ़ती घटती रहती हैं। इसी प्रकार वर्षभर विभिन्न तरह की चीजों को मिलाकर उनकी लागत 15 लाख रुपये तक पहुँच जाती है। वहीं, उनकी वार्षिक आमदनी 40 लाख रुपये के करीब है, जिससे उन्हें 10-15 लाख रुपये तक का मुनाफा प्राप्त हो जाता है।

1 अप्रैल को बिहार सरकार लांच करने जा रही है कृषि रोड मैप ; जाने किस तरह से होगा बदलाव

1 अप्रैल को बिहार सरकार लांच करने जा रही है कृषि रोड मैप ; जाने किस तरह से होगा बदलाव

बिहार सरकार प्रदेश का चौथा कृषि रोडमैप 1 अप्रैल को लॉन्च करने वाली है और माना जा रहा है कि यह बिहार के किसानों के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी बनकर सामने आएगा. बिहार सरकार में से जुड़ी हुई सभी तरह की तैयारियां कर ली है. इस कृषि रोडमैप की अवधि को 5 साल रखा गया है और कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार इसमें फसल विविधीकरण,  पशु चिकित्सा,  उच्च खाद्यान्न उत्पादन और कृषि की बेहतर विपणन सुविधाओं की तरफ ध्यान दिया जाएगा. इसके अलावा 21 फरवरी को पटना में राज्य भर के किसानों और कृषकों के लिए एक सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जहां पर आने वाले रोड मैप में शामिल करने के लिए अलग-अलग तरह की आवश्यकता के बारे में किसानों से फीडबैक लिया जाएगा. फिलहाल राज्य की कृषि नीतियां रोड मैप तीसरे संस्करण में चल रहा है जिसे कोविड-19 के कारण मार्च 2023 तक बढ़ाकर आगे कर दिया गया था. सरकार के कृषि सचिव एन सरवण कुमार ने कहा है कि पिछले कुछ समय से वैज्ञानिकों और एक्सपर्ट के अलावा हितधारकों से भी फीडबैक लेने का प्रचलन चालू हो गया है/ सरकार द्वारा इस बार के कृषि रोड मैप में बाजरा तिलहन और दाल जैसे फसल के उत्पादन पर जोर देने की बात की जा रही है.

2007 में  लांच किया गया था पहला संस्करण

अधिकारियों से हुई बातचीत से पता चला है कि डिजिटल कृषि की ओर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा और इसके तहत किसानों को मौसम से जुड़े हुए ताजा अपडेट पहले ही मिल जाएंगे.इसके अलावा ड्रोन के माध्यम से यूरिया का उपयोग भी रोड मैप का एक अहम बिंदु माना जा रहा है. नैनो यूरिया एक प्रकार का उर्वरक है जिसे दानेदार उर्वरक की तुलना में ज्यादा लाभकारी माना गया है और साथ ही यह कम मात्रा में भी इस्तेमाल होता. ये भी पढ़े: किसान ड्रोन की सहायता से 15 मिनट के अंदर एक एकड़ भूमि में करेंगे यूरिया का छिड़काव इस रोड मैप के तहत कृषि विपणन पर भी काफी ध्यान दिया जाएगा और खाद्यान्न का ज्यादा से ज्यादा उत्पादन करना इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा. कृषि रोडमैप का पहला संस्करण नीतीश कुमार द्वारा 2007 में लांच किया गया था.
भारत के 90 प्रतिशत मखाना उत्पादक राज्य में मखाने की खेती के लिए अनुदान दिया जा रहा है

भारत के 90 प्रतिशत मखाना उत्पादक राज्य में मखाने की खेती के लिए अनुदान दिया जा रहा है

बिहार राज्य मखाना उत्पादन में काफी बड़ा राज्य है। बिहार में भारत का 90 प्रतिशत मखाने का उत्पादन होता है। वर्तमान बिहार की राज्य सरकार मखाना उत्पादन में 72 हजार रुपये तक अनुदान मुहैय्या करा रही है। भारत के कुछ राज्यों में मखाने का अत्यधिक उत्पादन किया जाता है। बिहार भी उन्हीं में से एक राज्य है। जानकारी के लिए बतादें कि बिहार का मखाना भारत के विभिन्न राज्यों में भेजा जाता है। इतना ही नहीं बिहार के मखाने को विदेशों में भी बड़े स्वाद और जायके के साथ खाया जाता है। क्योंकि, मखाने की खपत काफी ज्यादा होती है, इस वजह से बिहार के किसान बेहतर आमदनी भी कर लेते हैं। बिहार सरकार की तरफ से मखाने की खेती हेतु किसानों प्रोत्साहित कर रही है। अब राज्य सरकार की तरफ से किसानों के फायदे में बड़ी पहल की गई है।

बिहार के मखाना किसानों को कितना अनुदान दिया जाएगा

बिहार सरकार के कृषि विभाग द्वारा मिली जानकारी के अनुसार, मखाने का उत्पादन करने वाले किसान भाइयों के लिए सुनहरा अवसर है। मखाना विकास योजना के अंतर्गत मखाने के उच्च किस्म के बीज का प्रत्यक्षण करने हेतु अनुदान मुहैय्या कराया जाएगा। राज्य सरकार की तरफ से प्रति हेक्टेयर इकाई खर्च 97,000 रुपये निर्धारित किया गया है। इस पर लगभग 72750 रुपये अनुदान प्रदान किया जा रहा है। यह समकुल खर्च का 75 प्रतिशत है। यह भी पढ़ें: मखाने की खेती करने पर मिल रही 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी : नए बीजों से हो रहा दोगुना उत्पादन

अनुदान हेतु किसान कहाँ संपर्क करें

बिहार निवासी जो भी किसान भाई अनुदान का फायदा उठाना चाहते हैं अथवा योजना से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी लेना चाहते हैं। वह जनपद में उपस्थिति कृषि विभाग में जाकर योजना के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। कृषि अधिकारी से योजना से जुड़े समस्त नॉर्म्स की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

बिहार में भारत का कुल 90 प्रतिशत उत्पादन होता है

बिहार राज्य में मखाना उत्पादकता का अनुमान इसी बात से लगा सकते हैं, कि एकमात्र बिहार राज्य में ही मखाने की 90 प्रतिशत पैदावार की जाती है। इसमें प्रोटीन काफी अधिक और प्रचूर मात्रा मेें पायी जाती है। बिहार सरकार के अधिकारियों ने बताया है, कि मखाना उत्पादन करने के मामले में किसानों को प्रोत्साहित करने हेतु अनुदान दिया जा रहा है। बिहार सरकार की तरफ से किसानों को अच्छी किस्मों के बीज मुहैय्या कराए जा रहे हैं। बतादें, कि बिहार के अंदर वर्ष में दो बार मखाने का उत्पादन किया जाता है। पहली फसल की बुवाई मार्च के माह में की जाती है। अगस्त-सितंबर तक पैदावार हो जाती है। द्वितीय फसल सितंबर-अक्टूबर के मध्य होती है, इसकी पैदावार फरवरी-मार्च के बीच प्राप्त होती है।
इस राज्य में किसानों को घर बैठे अनुदानित दर पर बीज मुहैय्या कराए जाएंगे

इस राज्य में किसानों को घर बैठे अनुदानित दर पर बीज मुहैय्या कराए जाएंगे

खेती किसानी में बेहतर पैदावार जब ही प्राप्त हो सकती है, जब उर्वरक भूमि के साथ-साथ बेहतरीन गुणवत्ता के बीज भी होने चाहिए। बिहार सरकार फिलहाल उत्तम गुणवत्ता के बीजों को किसानों के घर तक पहुंचाएगी। बेहतरीन खेती के लिए अच्छी गुणवत्ता के बीजों का होना काफी आवश्यक होता है। किसान बीज प्राप्त करने के लिए बाजार एवं बीज केंद्रों के चक्कर काटते रहते हैं। उत्तम गुणवत्ता का बीज न मिलने की वजह से किसानों की फसल उतनी खास नहीं हो पाती है। किसानों के समक्ष चुनौती यह भी रहती है, कि बेहतरीन गुणवत्ता के बीजों की पहचान किस तरह की जाए। राज्य सरकार के स्तर से भी किस तरह अच्छे बीज प्राप्त हो सकें। किसान इसको लेकर भी मांग करते रहते हैं। फिलहाल, बिहार सरकार ने इसी दिशा में पहल की जा रही है। किसानों की काफी परेशानियां भी समाप्त कर दी है।

बिहार सरकार की तरफ से बीजों की होम डिलीवरी की सुविधा दी गई है

बिहार सरकार खरीफ सीजन में उगाई जाने वाली विभिन्न फसलों के बीजों को अनुदान देकर मुहैय्या करा रही है। बीजों को किसानों के घर तक मुहैय्या कराने के लिए होम डिलीवरी की सुविधा भी दी गई है। राज्य सरकार के अधिकारियों ने बताया है, कि जो किसान घर पर बीज प्राप्त करना चाहते हैं। उनको एक अलग विकल्प भरना होगा। होम डिलीवरी हेतु उनसे अतिरिक्त धन भी लिया जाएगा। यह भी पढ़ें:
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बिहार सरकार द्वारा किया अपील की गई है

बिहार सरकार, कृषि विभाग द्वारा सोशल मीडिया पर यह जानकारी प्रदान की है। बिहार सरकार की तरफ से बताया गया है, कि किसान भाइयों एवं बहनों, कृपया गौर करें! खरीफ मौसम, 2023 में विभिन्न फसलों के बीज की सब्सिड़ी दर पर उपलब्धता से जुड़ी सूचना। कृषि विभाग द्वारा बिहार राज्य बीज निगम के जरिए से खरीफ मौसम, 2023 की विभिन्न योजनाओं में खरीब फसलों के बीज अनुदानित दर पर वितरण करने की योेजना तैयार कर ली है।

किसान ऑनलाइन आवेदन यहां कर सकते हैं

इच्छुक किसान अनुदानित दर पर विभिन्न खरीफ फसलों के बीज प्राप्त करने के लिए DBT Portal (https://dbtagriculture.bihar.gov.in) / BRBN Portal (brbn.bihar.gov.in) के बीज अनुदान / आवेदन लिंक पर दिनांक 15 अप्रैल, 2023 से 30 मई, 2023 तक आवेदन किया जा सकता है। किसान सुविधानुसार   साइबर कैफ / वसुधा केंद्र / कॉमन सर्विस सेंटर अथवा स्वयं के Android Mobile के उपयोग से आवेदन किया जा सकता है।

बीज की डिलीवरी इस प्रकार से की जाएगी

किसानों का आवेदन संबंधित एग्रीकोऑर्डिनेटर को भेजा जाएगा। एग्री कोऑर्डिनेटर जिस स्थान पर बीज आवंटित करेगा, उस जगह की जानकारी किसान को दी जाएगी। किसान बीज विक्रेता को बीज वितरण के दौरान आधार कार्ड आधारित फिंगर प्रिंट अथवा आईरिस पहचान द्वारा आधार प्रमाणीकरण करवाकर एवं पंजीकृत मोबाइल नंबर साझा करना होगा। इसके उपरांत पंजीकृत नंबर पर ओटीपी आ जाएगा। उसको दर्ज करने के उपरांत अनुदान की धनराशि भी घट जाएगी एवं शेष धनराशि का भुगतान कर दें।
इस राज्य में धान की खेती के लिए 80 फीसद अनुदान पर बीज मुहैय्या करा रही राज्य सरकार

इस राज्य में धान की खेती के लिए 80 फीसद अनुदान पर बीज मुहैय्या करा रही राज्य सरकार

किसानों की उन्नति एवं प्रगति के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है बिहार सरकार की तरफ से किसानों के लिए सहूलियत प्रदान की गई है। राज्य के किसान भाइयों को 50 से 80 प्रतिशत तक के अनुदान पर धान का बीज मुहैय्या कराया जा रहा है। किसान भाइयों को सस्ती दर पर बीज प्राप्त हो जाएगा। धान हो या गेहूं समस्त फसलों की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से कवायद की जा रही है। बिहार राज्य के अंतर्गत भी लाखों की तादात में किसान खेती-किसानी से जुड़े हैं। राज्य सरकार का प्रयास कोशिश यही रहता है, कि किसान भाइयों को अनुदानित दर पर बीज प्राप्त हो सके। प्रत्येक किसान अच्छी गुणवत्ता का बीज हांसिल कर सके। अब धान की पैदावार को लेकर बिहार सरकार द्वारा किसानों को बड़ी राहत प्रदान की है। किसानों को बीज अच्छे-खासे अनुदान पर उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य सरकार ने बताया है, कि किसान निर्धारित समय सीमा तक पंजीकरण करवाके धान का बीज प्राप्त कर सकते हैं।

बिहार सरकार 80 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

बिहार सरकार की तरफ से मधेपुरा जनपद में धान की खेती को बढ़ावा देने के लिए बीज पर मोटा अनुदान दिया जा रहा है। बिहार सरकार अच्छी गुणवत्ता के बीज 50 से 80 प्रतिशत अनुदान पर मुहैय्या करा रही है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है, कि अनुदान पर बीज देने को लेकर कृषकों को जागरूक किया जा रहा है। किसान भाइयों को 3 किस्मों के बीजों पर अनुदान प्रदान किया जाएगा। ये भी पढ़े: इस राज्य सरकार ने की घोषणा, अब धान की खेती करने वालों को मिलेंगे 30 हजार रुपये

पंजीकरण की प्रक्रिया 30 मई तक ही हो पाएगी

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है, कि अनुदान पर बीज प्राप्त करने के लिए किसानों का पंजीकरण होना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए किसानों को अधिकारिक वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण करवाना होगा। पंजीकरण कराने की आखिरी तारीख 30 मई है। इसके उपरांत आवेदन मंजूर नहीं किए जाएंगे। इसके पश्चात विभागीय स्तर से आवेदकों का सत्यापन सुनिश्चित कराया जाएगा। जो किसान असलियत में पात्र हैं, उनको 15 मई से बीज बाटने की प्रक्रिया चालू कर दी जाएगी।

इस तरह अनुदान प्राप्त हो रहा है

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है, कि मुख्यमंत्री तीव्र बीज उत्थान योजना के अंतर्गत धान के बीज पर 80 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान किया जाएगा। वहीं, बीज वितरण योजना के अंतर्गत किसान को 50 फीसद अनुदान मुहैय्या कराया जाएगा। मधेपुरा जनपद में होने वाली सर्वाधिक धान की खेती संकर धान पर 50 फीसद तक अनुदान मिलेगा। बतादें, कि बिहार राज्य धान की खेती के लिए काफी मशूहर है। परंतु, विगत वर्ष बारिश कम होने की वजह से धान के उत्पादन रकबे में 4.32 लाख हेक्टेयर तक गिरावट दर्ज हुई है।
विदेशों में लीची का निर्यात अब खुद करेंगे किसान, सरकार ने दी हरी झंडी

विदेशों में लीची का निर्यात अब खुद करेंगे किसान, सरकार ने दी हरी झंडी

लीची बिहार की एक प्रमुख फसल है। पूरे राज्ये में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। बिहार के मुजफ्फरपुर को लीची उत्पादन का गढ़ माना जाता है। यहां की लीची विश्व प्रसिद्ध है, इसलिए इस लीची की देश के साथ विदेशों में भी जबरदस्त मांग रहती है। लीची को लोग फल के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। साथ ही इससे जैम बनाया जाता है और महंगी शराब का निर्माण भी किया जाता है। जिससे दिन प्रतिदिन बिहार की लीची की मांग बढ़ती जा रही है। बढ़ती हुई मांग को देखते हुए सरकार ने प्लान बनाया है कि अब किसान खुद ही अपनी लीची की फसल का विदेशों में निर्यात कर सेकेंगे। अब किसानों को अपनी फसल औने पौने दामों पर व्यापारियों को नहीं बेंचनी पड़ेगी। अगर भारत में लीची के कुल उत्पादन की बात करें तो सबसे ज्यादा लीची का उत्पादन बिहार में ही किया जाता है। यहां पर उत्पादित शाही लीची की विदेशों में जमकर डिमांड रहती है। इसलिए सरकार ने कहा है कि किसान अब इस लीची को खुद निर्यात करके अच्छा खास मुनाफा कमा सकेंगे। इसके लिए सरकार ने मुजफ्फरपुर जिले के चार प्रखंडों में 6 कोल्ड स्टोरेज और 6 पैक हाउस का निर्माण करवाया है। इसके साथ ही 6 पैक हाउस को निर्देश दिए गए हैं कि वो किसानों की यथासंभव मदद करें। इन 6 पैक हाउस में प्रतिदिन 10 टन लीची की पैकिंग की जाएगी, जिसका सीधे विदेशों में निर्यात किया जाएगा।

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बिहार लीची एसोसिएशन के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने बताया है कि निर्यात का काम बिहार लीची एसोसिएशन देखेगी, तथा इस काम में किसानों की यथासंभव मदद की जाएगी। उन्होंने बताया कि पहले मुजफ्फरपुर में मात्र एक प्रोसेसिंग यूनिट की व्यवस्था थी, लेकिन अब मांग बढ़ने के कारण सरकार ने जिले में 6 प्रोसेसिंग यूनिट लगवा दी हैं। अगर भविष्य में कोल्ड स्टोरेज और पैक हाउस की मांग बढ़ती है तो उसकी व्यवस्था भी की जाएगी। जिससे किसान बेहद आसानी से अपने उत्पादों को विदेशों में निर्यात कर पाएंगे। बिहार के कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि इस प्रोजेक्ट को बागवानी मिशन के तहत लॉन्च किया गया है। जिससे किसानों को अपने उत्पादों को मनचाहे बाजार में एक्सपोर्ट करने में मदद मिले। लीची की प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर 4 लाख रुपये का खर्च आता है, जिसमें 50 फीसदी सब्सिडी सरकार देती है। ऐसे में अगर किसान चाहें तो खुद ही लीची की प्रोसेसिंग यूनिट लगा सकते हैं और खुद के साथ अन्य किसानों की भी मदद कर सकते हैं। उत्पादन को देखते हुए आने वाले दिनों में जिलें में लीची की प्रोसेसिंग यूनिट्स में बढ़ोत्तरी होगी।

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लीची की वैरायटी (Litchi varieties information in Hindi)
कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि वर्तमान में मुजफ्फरपुर के मानिका, सरहचियां, बड़गांव, गंज बाजार और आनंदपुर में कोल्ड स्टोरेज और पैक हाउस खोले गए हैं। जहां लीची को सुरक्षित रखा जा सकेगा। इनका उद्घाटन आगामी 19 मई को किया जाएगा। किसानों को मदद करने के लिए बिहार लीची एसोसिएशन, भारतीय निर्यात बैंक और बिहार बागवानी मिशन तैयार हैं। ये किसानों को यथासंभव मदद उपलब्ध करवाएंगे, ताकि मुजफ्फरपुर की लीची का विदेशों में बड़ी मात्रा में निर्यात हो सके।
जर्दालु आम की इस बार बेहतरीन पैदावार होनी की संभावना है

जर्दालु आम की इस बार बेहतरीन पैदावार होनी की संभावना है

जर्दालु आम उत्पादक संघ के अध्यक्ष अशोक चौधरी ने बताया है, कि प्रत्येक वर्ष तुड़ाई करने के उपरांत ट्रेन से जर्दालु आम को दिल्ली रवाना किया जाता है। साथ ही, विगत वर्ष इंग्लैंड एवं बहरीन समेत बहुत सारे देशों में इसका निर्यात किया गया था। संपूर्ण भारत में विभिन्न प्रजाति के आम की खेती की जाती है। कहीं का मालदा आम प्रसिद्ध है, तो कहीं का दशहरी आम अपने स्वाद के लिए जाना जाता है। परंतु, भागलपुर में उत्पादित किए जाने वाले जर्दालु आम की बात ही कुछ और है। इसका नाम कानों में पड़ते ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है। इसके चाहने वाले लोग स्पेशल ऑर्डर देके इसे खाने के लिए मंगवाते हैं। जर्दालु के चाहने वाले प्रति वर्ष बेसब्री से इस भागलुपरी आम के पकने की प्रतीक्षा करते रहते हैं। इस बार जर्दालु आम के चाहने वाले लोगों का इंतजार शीघ्र ही समाप्त होने वाला है। क्योंकि अगले माह से जर्दालु आम का विक्रय शुरू होने वाली है।

भागलपुर में जर्दालु आम का बेहतरीन उत्पादन होता है

किसान तक की खबरों के अनुसार, मई माह के आखिरी सप्ताह से जर्दालु आम की बिक्री चालू हो जाएगी। ऐसी स्थिति में जर्दालु प्रेमी इसके स्वाद का खूब लुफ्त उठा सकते हैं। जर्दालु आम का स्वाद अन्य आम की तुलना में बेहद स्वादिष्ट होता है। इसका सेवन करने से शरीर को विभिन्न प्रकार के विटामिन्स मिलते हैं। बिहार के भागलपुर जनपद में इसका बड़े स्तर पर उत्पादन किया जाता है। विशेष बात यह है, कि जर्दालु आम को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ- साथ राज्यपालों को भी उपहार स्वरुप दिया जाता है। इस आम का सेवन मधुमेह के रोगी भी कर सकते हैं। यह एक प्रकार से शुगर फ्री आम होता है। यह भी पढ़ें : मिर्जा गालिब से लेकर बॉलीवुड के कई अभिनेता इस 200 साल पुराने दशहरी आम के पेड़ को देखने…

जर्दालु आम अपनी मनमोहक सुगंध की वजह से जाना जाता है

यही कारण है, कि बिहार सरकार वर्ष 2007 से भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं समस्त राज्यों के राज्यपालों व एलजी को जर्दालु आम उपहार स्वरुप भेज रही है। जर्दालु आम उत्पादक संघ के अध्यक्ष अशोक चौधरी का कहना है, कि प्रत्येक वर्ष तुड़ाई करने के उपरांत ट्रेन के जरिए जर्दालु आम को दिल्ली पहुँचाया जाता है। साथ ही, विगत वर्ष इंग्लैंड एवं बहरीन समेत बहुत से देशों में इसका निर्यात किया गया था। यदि इस आम की गुणवत्ता के पर प्रकाश डालें, तो इसकी सुगंध बेहद ही मनमोहक होती है। यह खाने में भी सुपाच्य फल है।

किसानों को इस वर्ष जर्दालु आम की बेहतरीन पैदावार मिलने की उम्मीद

अशोक चौधरी का कहना है, कि इस वर्ष जर्दालु आम के बेहतरीन उत्पादन की आशा है। मई के आखिरी सप्ताह में इसकी तुड़ाई आरंभ हो जाएगी। इसके उपरांत यह बाजार में ग्राहकों के लिए मौजूद हो जाएगी। बतादें, कि साल 2017 में जर्दालु आम को जीआई टैग हांसिल हुआ था। इसके उपरांत से इसकी मांग बढ़ गई है। दरअसल, इस बार भी बेहतरीन पैदावार होने की आशा है। ऐसी स्थिति में इसका निर्यात विदेशों में भी किया जाएगा।
इस राज्य में किसानों को निःशुल्क पौधे, 50 हजार रुपये की अनुदानित राशि भी प्रदान की जाएगी

इस राज्य में किसानों को निःशुल्क पौधे, 50 हजार रुपये की अनुदानित राशि भी प्रदान की जाएगी

बिहार सरकार बागवानी को प्रोत्साहन दे रही है। कृषकों को बागवानी क्षेत्र से जोड़ने के लिए सब्सिडी दी जा रही है। उनको शर्ताें के मुताबिक फ्री पौधे, आर्थिक तौर पर सहायता भी की जा रही है। भारत के कृषक अधिकांश बागवानी पर आश्रित रहते हैं। बतादें कि देश के राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार सहित समस्त राज्यों में बागवानी की जाती है। किसान लाखों रुपए की आमदनी कर लेते हैं। साथ ही, राज्य सरकारों के स्तर पर कृषकों को काफी सहायता दी जाती है। इसी कड़ी में बिहार सरकार की तरफ से एक अहम कवायद की गई है। राज्य सरकार से कृषकों को बागवानी हेतु नि:शुल्क पौधे मुहैय्या किए जाऐंगे। साथ ही, उनको मोटा अनुदान भी प्रदान किया जाएगा। राज्य सरकार की इस योजना से किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं।

इस प्रकार किसानों को निःशुल्क पौधे दिए जाऐंगे

बिहार सरकार के अधिकारियों के मुताबिक, नालंदा जनपद में निजी जमीन पर 15 हेक्टेयर में आम का बगीचा लगाता है, तो उसको निःशुल्क पौधे दिए जाएंगे। सघन बागवानी मिशन के अंतर्गत 10 हेक्टेयर जमीन में आम का बगीचा लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एक किसान 8 कट्ठा साथ ही ज्यादा से ज्यादा एक हेक्टेयर में पौधे लगा सकते हैं। 5 हेक्टेयर में अमरूद और 5 हेक्टेयर में केला और बाग लगाने वाले किसानोें को भी सब्सिड़ी प्रदान की जाएगी। ये भी पढ़े: बागवानी के साथ-साथ फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर हर किसान कर सकता है अपनी कमाई दोगुनी

योजना का लाभ पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर मिलेगा

किसान भाई इसका फायदा उठाने के लिए ऑनलाइन माध्यम से आवेदन किया जा सकता है। इसमें पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर चुनाव होगा। मतलब योजना के अंतर्गत जो पहले आवेदन करेगा। उसे ही योजना का फायदा मिल सकेगा। द्यान विभाग के पोर्टल (horticulture.bihar.gov.in) पर ऑनलाइन आवेदन कर आप योजना का फायदा उठा सकते हैं।

धनराशि इस प्रकार से खर्च की जाएगी

बिहार सरकार के मुताबिक, 50 फीसद अनुदान के उपरांत प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये के प्रोजेक्ट पर तीन किस्तों में धनराशि व्यय की जानी है। प्रथम वर्ष में 60 प्रतिशत तक धनराशि प्रदान की जाएगी। जो कि 30,000 रुपये तक होगी। एक हेक्टेयर में लगाए जाने वाले 400 पौधों का मूल्य 29,000 रुपये होगा। शेष धनराशि कृषकों के खाते में हस्तांतरित की जाएगी। द्वितीय वर्ष में 10 हजार, तीसरे वर्ष में भी 10 हजार रुपये का ही अनुदान मिलेगा। हालांकि, इस दौरान पौधों का ठीक रहना काफी जरूरी है। मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के अंतर्गत 5 हेक्टेयर में आम का बाग लगाया जाना है। प्रति हेक्टेयर 100 पौधों पर 18 हजार रुपये खर्च किए जाऐंगे। आम की किस्मों में मल्लिका, बंबइया, मालदाह, गुलाब खास, आम्रपाली शम्मिलित हैं।
मधुमक्खी पालन के लिए दी जा रही है 75% तक सब्सिडी, जाने किसान कैसे उठा सकते हैं इसका लाभ

मधुमक्खी पालन के लिए दी जा रही है 75% तक सब्सिडी, जाने किसान कैसे उठा सकते हैं इसका लाभ

आजकल देश भर में किसान खेती के साथ-साथ कोई ना कोई वैकल्पिक इनकम सोर्स भी रखते हैं ताकि उन्हें खेती के साथ-साथ कुछ अलग से मुनाफा भी होता रहे।  ऐसा ही एक बिजनेस जिसकी तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है वह है मधुमक्खी पालन। बहुत ही राज्य सरकारें किसानों को मधुमक्खी पालन करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं और इनमें ही एक और सरकार जो इसके लिए बहुत ही बेहतरीन कदम उठा रही है वह है बिहार सरकार.

मधुमक्खी पालन के लिए बिहार सरकार दे रही है सब्सिडी

अगर सब्सिडी की बात की जाए तो बिहार सरकार
मधुमक्खी पालन के लिए अच्छी खासी सब्सिडी किसानों को दे रही है.  अगर किसी किसान का रुझान मधुमक्खी पालन की तरह है और वह इसे एक व्यवसाय के तौर पर लेना चाहता है तो बिहार सरकार की तरफ से उसे 75% तक सब्सिडी दी जाएगी. बिहार सरकार ने मधुमक्खी पालन के लिए एक परियोजना शुरू की है, जिसे 'बिहार मधुमक्खी विकास नीति' के नाम से जाना जाता है। इस नीति के अंतर्गत, सरकार किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए विभिन्न उपकरणों, जैसे कि मधुमक्खी बक्से, जहाज, रासायनिक उपकरण आदि की आपूर्ति करती है।उदाहरण के लिए अगर आपको यह व्यवसाय शुरू करने में ₹100000 का खर्चा पढ़ रहा था तो इसमें से ₹75000 आपको बिहार सरकार द्वारा दिए जाएंगे.

 क्या है आवेदन करने का तरीका?

आप इस परियोजना के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरह से रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं.  एक तो आप आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर इसके लिए आवेदन दे सकते हैं जहां पर आवेदन कर्ता को कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट अपलोड करने की जरूरत है.  अगर आप यह आवेदन ऑनलाइन नहीं देना चाहते हैं तो आप उद्यान विभाग में जाकर भी अपना पंजीकरण करवा सकते हैं.  यहां पर भी आपको मांगे गए सभी दस्तावेज दिखाने की जरूरत है.  

केंद्र सरकार कैसे कर रही है मदद?

राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्र सरकार की तरफ से भी मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं जिससे किसानों को काफी लाभ मिलने वाला है. राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन द्वारा शहद की क्वालिटी को चेक करने के लिए प्रशिक्षण प्रयोगशाला और क्षेत्रीय प्रयोगशाला बनाने की परमिशन दी गई है.  इस योजना के तहत 31 मिनी प्रशिक्षण प्रयोग चलाएं और चार क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं को बनाने की परमिशन के लिए सरकार द्वारा दे दी गई है.  इसके अलावा जो भी शहर पालन का व्यवसाय की तरह आगे बढ़ाना चाहते हैं तो उन कृषि उद्यमियों या सभी तरह की स्टार्टअप की भी सरकार के द्वारा मदद की  जाएगी. ये भी पढ़े: मधुमक्खी पालकों के लिए आ रही है बहुत बड़ी खुशखबरी

भारत में क्या है शहद प्रोडक्शन के आंकड़े

अगर आंकड़ों की बात की जाए तो भारत देश को शहद के उत्पादन का एक हग माना गया है और यहां पर सालाना कई लाख टर्न शहद का प्रोडक्शन हो रहा है. वर्ष 2021-22 के आंकड़ों को ही देखें तो देश में इस समय 1,33,000 मीट्रिक टन (एमटी) शहद का उत्पादन हो रहा है. इसके अलावा भारत में उत्पादित किया हुआ शहद विश्व के कई देशों में भी निर्यात किया जाता है.

क्या है मधुमक्खी पालन के मुख्य लाभ?

मधुमक्खी पालन के कुछ मुख्य लाभ हैं:

अतिरिक्त आय: मधुमक्खी पालन से किसान अतिरिक्त आय कमा सकते हैं। मधुमक्खी से निर्मित शहद, मधुमक्खी की चारा और मधुमक्खी की बीज से कमाई होती है। स्थान संरक्षण: मधुमक्खी पालन एक स्थान संरक्षण व्यवसाय है। मधुमक्खी के बीज से पौधे उगाए जाते हैं जो वनों के बीच रखे जा सकते हैं तथा वनों को संभाला जा सकता है। पर्यावरण के लिए फायदेमंद: मधुमक्खी पालन पर्यावरण के लिए फायदेमंद है। मधुमक्खी नेक्टार उत्पादन करती है जो न केवल शहद के रूप में उपयोग किया जाता है बल्कि भी नेक्टार जैसी जड़ी बूटियों और औषधि के उत्पादन में भी उपयोग किया जाता है। जीवन की गुणवत्ता में सुधार: मधुमक्खी नेक्टार से उत्पन्न शहद एक स्वस्थ और गुणवत्ता वाला प्राकृतिक खाद है। इससे कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ती है और यह खाद पौधों के विकास के लिए भी यह उपयोगी है.
बिहार सरकार कोल्ड स्टोरेज खोलने पर 50% प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

बिहार सरकार कोल्ड स्टोरेज खोलने पर 50% प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

एकीकृत बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत राज्य में कोल्ड स्टोरेज यूनिट की स्थापना हेतु किसानों को अनुदान देने का निर्णय किया गया है। बिहार राज्य में पारंपरिक खेती समेत बागवानी फसलों का भी उत्पादन किया जाता है। बिहार राज्य के किसान सेब, अंगूर, केला, अनार, आम और अमरूद की खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। इससे कृषकों की आय में काफी बढ़ोत्तरी भी हुई है। परंतु, कोल्ड स्टोरेज के अभाव की वजह से किसान उतना ज्यादा लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार द्वारा इस परेशानी को दूर करने के लिए किसानों के फायदे हेतु बड़ा निर्णय लिया है। सरकार के इस निर्णय से प्रदेश में बागवानी फसलों की खेती में अत्यधिक गति आएगी। साथ ही, कृषकों की आमदनी में भी इजाफा हो सकता है।

कोल्ड स्टोरेज से किसानों को काफी फायदा होगा

बिहार सरकार ऐसा मानती है, कि कोल्ड स्टोरेज होने से किसानों की आमदनी बढ़ जाएगी। बाजार में कम भाव होने पर वह अपनी फसल को कोल्ड स्टोरेज में स्टोर कर सकते हैं। जैसे ही भाव में वृद्धि आएगी, वह इसको बाजार में बेच सकते हैं। इससे अच्छा भाव मिलने से किसानों की आमदनी निश्चित रूप से बढ़ेगी। वैसे भी कोल्ड स्टोर के भीतर बहुत दिनों तक खाद्य पदार्थ बेकार नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति में किसान भाई हरी सब्जियों एवं फल की तुड़ाई करने के उपरांत कोल्ड स्टोरेज में रखेंगे तो फसलों का खराब होना भी कम हो पाएगा। साथ ही, काफी समय तक वह खराब नहीं होंगे।

बिहार सरकार किसानों को 4000 रुपये अनुदान स्वरूप प्रदान करेगी

बिहार सरकार द्वारा एकीकृत बागवानी मिशन योजना के चलते कोल्ड स्टोरेज यूनिट (टाइप-1) की स्थापना करने के लिए 8000 रुपये की लागत धनराशि तय की गई है। बिहार सरकार की तरफ से इसके लिए किसान भाइयों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में कृषकों को 4000 रुपये मुफ्त में प्राप्त होंगे। जो किसान भाई इस योजना का फायदा उठाना चाहते हैं, तो वह कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

आम उत्पादन के मामले में बिहार कौन-से स्थान पर है

जानकारी के लिए बतादें, कि बिहार में बागवानी की खेती काफी बड़े पैमाने पर की जाती है। आम के उत्पादन के मामले में बिहार पूरे भारत में चौथे स्थान पर आता है। तो उधर लीची की पैदावार के मामले में बिहार का प्रथम स्थान पर है। मुज्फ्फरपुर की शाही लीची पूरी दुनिया में मशहूर है। बतादें, कि इसके स्वाद की कोई टक्कर नहीं है। इसके उपयोग से जूस एवं महंगी- महंगी शराबें तैयार की जाती हैं।
पंपसेट लगाने पर नहीं सिंचाई पर अनुदान प्रदान कर रही बिहार सरकार, यह है अंतिम तारीख

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बिहार सरकार द्वारा कम बारिश अथवा सूखाग्रस्त क्षेत्रों के लिए सिंचाई योजना का आरंभ किया है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को प्रति एकड़ सिंचाई के लिए सरकार अनुदान प्रदान करेगी। पूरी जानकारी के लिए पढ़ें यह खबर। आपने सरकार से मिलने वाले अनुदान पर पंपसेट स्थापना के विषय में तो बहुत सुना होगा। परंतु, फिलहाल बिहार सरकार पंपसेट से होने वाली सिंचाई पर भी आपको अनुदान प्रदान करेगी। आगे हम इस लेख में आपको बताऐंगे कि कैसे आप इस योजना का फायदा प्राप्त कर सकते हैं।

सिंचाई के लिए अनुदान प्रदान करेगी

बिहार सरकार किसानों के लिए निरंतर कुछ न कुछ लाभकारी योजनाओं को जारी करती रहती है। यदि हम केंद्र या राज्य सरकार बात करें तो वह किसानों की सिंचाई व्यवस्था के लिए सोलर अथवा विद्युत पंप के लिए योजनाओं के अनुसार अनुदान प्रदान करती रहती हैं। परंतु, इसके चलते बिहार सरकार ने बहुत सारे लघु किसानों की परेशानियों को देखते हुए एक नई पहल की शुरुआत की है। अब सरकार पंप के लिए नहीं बल्कि आप उससे सिंचाई भी कर रहे हैं तो भी आपको अनुदान मुहैय्या करेगी।

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कितने रुपए एकड़ मिलेगा अनुदान

बिहार सरकार ने किसानों के लिए इस योजना के अंतर्गत अल्प बरसात वाले इलाको या सूखाग्रस्त क्षेत्रों के लिए खरीफ के सीजन में सिंचाई के लिए प्रति एकड़ के अनुरूप अनुदान मुहैय्या करेगी। किसानों में यह सब्सिडी प्रत्येक फसल अनुरूप अलग-अलग तय की गई है। इन फसलों में धान और जूट की फसलों की दो सिंचाई के लिए प्रति एकड़ 1500 रूपये की सब्सिडी प्रदान करेगी। इसके साथ ही अगर किसान औषधीय अथवा अन्य फसलों की खेती करते हैं, तो सरकार उनके लिए तीन सिंचाई के लिए 2250 रुपये का अनुदान प्रदान करेगी।

सरकार किस तरह अनुदान प्रदान करेगी

बिहार सरकार यह अनुदान डीजल की खरीद पर देगी। परंतु, भुगतान की धनराशि पहले ही सरकार द्वारा तय कर दी गई है। किसान जो भी पैसा डीजल के लिए खर्च करेगें, सरकार उसका भुगतान प्रति एकड़ के मुताबिक तय धनराशि में करेगी। इस सब्सिडी को पाने के लिए आपको बिहार राज्य का नागरिक होने के साथ ही आपकी जमीन को बिहार राज्य के तहत आना आवश्यक है।

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इस तारीख तक 30 अक्टूबर से पहले आवेदन करें

यदि आप भी इस योजना का फायदा लेना चाहते हैं, तो आपको 30 अक्टूबर से पहले ही आवेदन करना पड़ेगा। सरकार द्वारा इस योजना के लिए अंतिम तिथि तक आने वाले किसानों को ही योजना का फायदा प्रदान किया जायेगा। अभी यह योजना निर्धारित किसानों के लिए ही है। परंतु, बिहार सरकार के मुताबिक इस योजना को आहिस्ते-आहिस्ते सभी जरूरतमंद किसानों तक पहुंचाया जायेगा।