GM Mustard: आखिर जीएम सरसों क्या है और इसके क्या फायदे हैं ?
भारत में तेल का आयात काफी बड़ी मात्रा में किया जाता है। भारत सरकार की तरफ से जीएम सरसों की व्यवसायिक की खेती को मंजूरी दिए जानें के बाद इस पर विवाद जारी है। भारत में आजकल जीएम सरसों (जेनेटिकली मॉडिफाइड सरसों) की व्यवसायिक खेती पर काफी बहस छिड़ी हुई है। केंद्र सरकार द्वारा इसकी व्यवसायिक खेती को स्वीकृति दिए जानें के उपरांत इस पर विवाद जारी है। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट में इस पर बहस भी हुई। परंतु, यहां जानने वाली बात यह है, कि अंततः जीएम सरसों पर विवाद क्यों छिड़ा है।
आखिर जीएम सरसों क्या है और इसके क्या फायदें हैं ? दरअसल, ये विवाद तब आरंभ हुआ था जब विगत वर्ष केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के बायोटेक नियामक जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी ने जीएम सरसों की व्यवसायिक खेती को स्वीकृति दी थी। समिति के इस निर्णय के बाद बहुत सारे किसान समूहों, एजीओ और पर्यावरण से संबंधित संगठनों ने इसका काफी विरोध किया था। इसके बाद ये मामला कोर्ट जा पहुंचा था।
इसके खिलाफ मोर्चा में खड़े संगठनों का क्या कहना है ?
अब जहां एक तरफ इसके विरुद्ध खड़े संगठनों का कहना है, कि भारत में जीएम सरसों के इस्तेमाल के चलते खेती को काफी हानि पहुंचेगी। साथ ही, विशेषज्ञों के मुताबिक, इससे उत्पादकता में बढ़ोतरी होगी और कृषकों को इससे काफी लाभ होगा। विशेषज्ञों का ये भी कहना है, कि बहुत सारे देशों में इसकी खेती सफल ढ़ंग से की जा रही है। ऐसी स्थिति में यदि भारत भी इसे अपनाता है, तो आगामी समय में इसके बहुत सारे लाभ होंगे। परंतु, इससे कृषकों का क्या लाभ होगा ?
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जीएम सरसों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
जेनेटिकली मॉडिफाइड सरसों (जीएम सरसों), सरसों की एक प्रजाति है, जिसको पौधों की दो भिन्न-भिन्न किस्मों को मिलाकर निर्मित किया गया है। इसका मतलब यह है, कि यह एक हाइब्रिड प्रजाति है, जिसे लैब में निर्मित किया गया है। इसमें रोग लगने की संभावना काफी कम होते हैं। साथ ही, इसका उत्पादन भी अधिक रहता है। अब ऐसी क्रॉसिंग से मिलने वाली फर्स्ट जेनरेशन हाइब्रिड प्रजाति की उपज मूल किस्मों से अधिक होने की संभावना रहती है। हालांकि, सरसों के साथ ऐसा करना सहज नहीं था। इसकी वजह यह है, कि इसके फूलों में नर और मादा, दोनों रीप्रोडक्टिव ऑर्गन होते हैं। मतलब कि सरसों का पौधा काफी हद तक स्वयं ही पोलिनेशन कर लेता है। किसी दूसरे पौधे से परागण की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे में मक्का, टमाटर अथवा कपास की भांति सरसों की हाइब्रिड किस्म निर्मित करने का अवसर काफी कम हो जाता है।
जीएम सरसों का उत्पादन करने के विभिन्न लाभ
उत्पादकता में वृद्धि: समर्थकों का यह तर्क है, कि जीएम सरसों, विशेष रूप से धारा सरसों हाइब्रिड (डीएमएच-11) में सरसों की फसल की उत्पादकता में उल्लेखनीय विकास करने की क्षमता है। इस वजह से वर्तमान में भारत के अंदर सरसों की खेती देखने को सामने आ रही है। कम उत्पादकता की समस्या से निपटने में सहायता मिल सकती है।
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आयात निर्भरता में कमी: भारत बड़ी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात करता है और जीएम सरसों घरेलू सरसों तेल उत्पादन को बढ़ाकर इस निर्भरता को कम कर सकती है। इससे संभावित रूप से विदेशी मुद्रा की बचत हो सकती है और खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिल सकता है।
फसल सुरक्षा: आनुवांशिक संशोधन कीटों एवं बीमारियों के प्रति प्रतिरोध अदा कर सकता है, जिससे रासायनिक कीटनाशकों की जरूरतें कम हो जाती हैं। इससे पर्यावरण के अनुकूल एवं टिकाऊ कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहन मिल सकता है।