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चाय की खेती आप अपने घर में भी आसानी से कर सकते हैं

Published on: 17-Sep-2023

आपकी जानकरी के लिए बतादें, कि घर पर चाय उगाना एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है। दरअसल, आप इसको अपने घर में ही उगाकर उपयोग में ला सकते हैं। साथ ही, आप इसको बेच भी सकते हैं। हमारे भारत में हर घर में चाय के शौकीन मिल जाएंगे। ये चाय के चाहने वाले सुबह से लेकर रात तक ना जाने कितनी बार चाय पी लेते होंगे। अगर आप अथवा आपके घर में कोई चाय का दीवाना है, तो आपके लिए यह समाचार अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज हम आपको जानकारी देंगे कि किस तरह आप घर में ही अदरक को उगा सकते हैं। साथ ही, बाजार से लाने के स्थान पर इसको इस्तेमाल में लिया जा सकता है। आप चाय को घर के बगीचे में बीजों की सहायता से उगा सकते हैं। इसे पैदा करने के लिए आप सर्व प्रथम इसके बीजों को भिगो लें। इन बीजों को अंकुरित होने तक जल में भिगो कर ही रखें। अगर आप चाय के पौधों को बीजों की मदद से नहीं पैदा करना चाहते हैं, तो आप इसे नर्सरी से भी खरीद सकते हैं। नर्सरी से लाने के पश्चात इसकी रोपाई करने की आवश्यकता होती है। ठीक तरह से इनकी देखभाल करने के उपरांत इसे आप उपयोग में ले सकते हैं।

चाय उत्पादन के लिए ये काम बेहद जरूरी हैं

बतादें, कि चाय का बेहतरीन उत्पादन पाने के लिए आप कहीं से भी उसकी कटिंग को लाकर लगा सकते हैं। बेहतर देखभाल करने के उपरांत बस कुछ ही दिनों में यह पौधे अपनी पकड़ भूमि में अच्छी बना लेते हैं। बतादें, कि इसके उत्पादन के दौरान तापमान का भी विशेष ख्याल रखना होता है। चाय की फसल 10 डिग्री से लेकर 35 डिग्री सेल्सियस तक बेहतरीन ढ़ंग से उगती है।

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असम के चाय उत्पादकों को सामान्य चाय उत्पादन की आशा चाय के पौधों को तैयार होने में लगभग एक वर्ष से लेकर डेढ़ वर्ष का समय लग जाता है। इसकी पत्तियों की तुड़ाई एक साल के अंदर तीन बार की जा सकती है। एक हेक्टेयर भूमि में लगभग 500 किलो तक चाय की पैदावार हो जाती है। आप चाय का इस्तेमाल अपने घर में कर सकते हैं। अगर आपका बगीचा बड़ा है, तो आप अत्यधिक मात्रा में चाय उत्पादन कर इसकी पैकिंग करके बाजार में भी बेच सकते हैं।

चाय की खेती के लिए उर्वरक की मात्रा

चाय के पौधों को उर्वरकों की ज्यादा आवश्यकता होती है। इसके लिए गड्डों को तैयार करने के दौरान उनमें 15 किलो के आसपास पुरानी गोबर की खाद एवं रासायनिक उर्वरक के तौर पर नाइट्रोजन 90 से 120 किलो, सिंगल सुपर फास्फेट 90 किलो एवं पोटाश 90 किलो की मात्रा को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पौधों में देना चाहिए। उर्वरक की यह मात्रा वर्ष में तीन बार पौधों की कटाई के पश्चात देनी चाहिए। इसके अतिरिक्त खेत में सल्फर का अभाव होने पर खेत में जिप्सम का छिडकाव शुरुआत में ही कर देना चाहिए।

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