पिछले दो वर्षों में 70 एथेनॉल परियोजनाओं के लिए लगभग 3600 करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी। क्षमता बढ़ाने के लिए 185 और चीनी मिलों/डिस्टिलरी द्वारा 12,500 करोड़ रुपये की ऋण राशि के उपयोग को सिद्धांत रूप में मंजूरी। सामान्य चीनी सीजन में 320 एलएमटी चीनी का उत्पादन होता है जबकि घरेलू खपत 260 एलएमटी है। इस तरह 60 एलएमटी चीनी बची रह जाती है और इसकी बिक्री नहीं हो पाती। इससे 19,000 करोड़ रुपये की राशि प्रत्येक वर्ष चीनी मिलों के लिए रूकी पड़ी रह जाती है। परिणाम यह होता है कि चीनी मिलों की तरलता स्थिति पर प्रभाव पड़ता है और किसानों के गन्ने की बकाया राशि एकत्रित होती जाती है। जरूरत से अधिक चीनी भंडार से निपटने के लिए सरकार द्वारा चीनी मिलों को निर्यात के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए सरकार वित्तीय सहायता दे रही है। लेकिन भारत विकासशील देश होने के नाते चीनी के निर्यात विपणन और परिवहन के लिए डब्ल्यूटीओ व्यवस्थाओं के अनुसार केवल 2023 तक ही वित्तीय सहायता दे सकता है। इसलिए चीनी की अधिकता से निपटने और चीनी उद्योगों की स्थिति में सुधार तथा गन्ना किसानों को समय पर बकाये का भुगतान करने के लिए सरकार जरूरत से अधिक गन्ना और चीनी एथेनॉल को देने के लिए प्रोत्साहित कर रही है ताकि पेट्रोल के साथ मिलाने के लिए तेल विपणन कंपनियों को सप्लाई की जा सके। इससे न केवल कच्चे तेल की आयात निर्भरता कम होती है बल्कि ईंधन के रूप में एथेनॉल को प्रोत्साहन मिलता है। यह स्वदेशी है और प्रदूषणकारी नहीं है। इससे गन्ना किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। इससे पहले सरकार ने 2022 तक ईंधन ग्रेड के एथेनॉल को 10 प्रतिशत पेट्रोल में मिलाने का लक्ष्य तय किया था। 2030 तक 20 प्रतिशत ईंधन ग्रेड एथेनॉल को पेट्रोल में मिलाने का लक्ष्य तय किया गया था। लेकिन अब सरकार 20 प्रतिशत के मिश्रण लक्ष्य समय से पहले प्राप्त करने की योजना तैयार कर रही है। लेकिन देश में वर्तमान एथेनॉल डिस्टिल क्षमता एथेनॉल उत्पादन के लिए पर्याप्त नहीं है। इससे मिश्रण लक्ष्य हासिल नहीं होता सरकार चीनी मिलों/डिस्टिलरियों को नई डिस्टिलरी स्थापित करने और वर्तमान डिस्टिलिंग क्षमता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। सरकार चीनी मिलों और डिस्टिलरियों द्वारा बैंक से ऋण लेने के मामले में अधिकतम 6 प्रतिशत की ब्याज दर पर पांच वर्षों के लिए ऋण सहायता दे रही है, ताकि चीनी मिलें और डिस्टिलरी अपनी परियोजनाएं स्थापित कर सकें। पिछले दो वर्षों में 70 ऐसी एथेनॉल परियोजनाओं (शीरा आधारित डिस्टिलरी) के लिए 3600 करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी दी गई है। इसका उद्देश्य क्षमता बढ़ाकर 195 करोड़ लीटर करना है। इन 70 परियोजनाओं में से 31 परियोजनाएं पूरी हो गई हैं और इससे अभी तक 102 करोड़ लीटर की क्षमता जुड़ गई है। सरकारी द्वारा किए जा रहे प्रयासों से शीरा आधारित डिस्टिलरियों की वर्तमान स्थापित क्षमता 426 करोड़ लीटर तक पहुंच गई है। शीरा आधारित डिस्टिलरियों के लिए एथेनॉल ब्याज सहायता योजना के अंतर्गत सरकार ने सितम्बर, 2020 में चीनी मिलों और डिस्टिलरियों से आवेदन आमंत्रित करने के लिए 30 दिन का समय दिया। डीएफपीडी द्वारा इन आवेदनों की जांच की गई और लगभग 185 आवेदकों (85 चीनी मिलें तथा 100 शीरा आधारित एकल डिस्टिलरियों) को प्रतिवर्ष 468 करोड़ लीटर की क्षमता जोड़ने के लिए सिद्धांत रूप में 12,500 करोड़ रुपये की ऋण राशि प्राप्त करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी जा रही है। आशा है कि यह परियोजनाएं 3-4 वर्षों में पूरी हो जाएंगी और इससे मिश्रण का वांछित लक्ष्य पूरा होगा। गन्ना/चीनी को एथेनॉल के लिए दिए जाने से ही मिश्रण लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता, इसलिए सरकार अनाज भंडारों से एथेनॉल उत्पादन के लिए डिस्टिलरियों को प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए वर्तमान डिस्टिलरी क्षमता पर्याप्त नहीं है। सरकार गन्ना, शीरा, अनाज, चुकंदर, मीठे ज्वार आदि से 720 करोड़ लीटर एथेनॉल बनाने के लिए एथेनॉल डिस्टिलेशन क्षमता बढ़ाने का प्रयास कर रही है। देश में जरूरत से अधिक चावल की उपलब्धता को देखते हुए सरकार अतिरिक्त चावल से एथेनॉल उत्पादन के लिए प्रयास कर रही है। इस एथेनॉल की सप्लाई एफसीआई द्वारा एथेनॉल सप्लाई वर्ष 2020-21 (दिसम्बर–नवम्बर) में तेल विपणन कंपनियों को पेट्रोल के साथ मिलाने के लिए की जाएगी। जिन राज्यों में मक्का उत्पादन पर्याप्त है उनमें राज्यों में मक्का से एथेनॉल बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। चालू एथेनॉल सप्लाई वर्ष 2019-20 में केवल 168 करोड़ लीटर एथेनॉल तेल विपणन कंपनियों को पेट्रोल के साथ मिलाने के लिए सप्लाई की जा सकी। इस तरह 4.8 प्रतिशत मिश्रण स्तर हासिल किया गया। लेकिन आगामी एथेनॉल सप्लाई वर्ष 2020-21 में पेट्रोल के साथ मिलाने के लिए तेल विपणन कंपनियों को 325 करोड़ लीटर एथेनॉल सप्लाई करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इससे मिश्रण का 8.5 प्रतिशत लक्ष्य हासिल होगा। नवम्बर, 2022 में समाप्त होने वाले एथेनॉल सप्लाई वर्ष 2020-21 में 10 प्रतिशत मिश्रण लक्ष्य प्राप्त करना है। सरकार के प्रयासों को देखते हुए यह संभव है। वर्ष 2020-21 के लिए तेल विपणन कंपनियों द्वारा आमंत्रित पहली निविदा में 322 करोड़ लीटर (शीरा से 289 करोड़ लीटर और अनाज से 34 करोड़ लीटर) की बोली प्राप्त की गई है। उसके आगे की बोलियों में शीरा तथा अनाज आधारित डिस्टिलरियों से और अधिक मात्रा आएगी। इस तरह सरकार 325 करोड़ लीटर और 8.5 प्रतिशत मिश्रण लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होगी। अगले कुछ वर्षों में पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण से सरकार कच्चे तेल का आयात कम करने में सक्षम होगी। यह पेट्रोलियम क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम होगा और इससे किसानों की आय बढ़ेगी तथा डिस्टिलरियों में अतिरिक्त रोजगार सजृन होगा।