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यूपी के इस जिले की हींग को मिला जीआई टैग किसानों में दौड़ी खुशी की लहर

Published on: 14-Apr-2023

भारतीय मसालों का स्वाद देश ही नहीं पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान रखता है। भारत के विभिन्न प्रकार के मसालों को विदेश में भी अत्यंत पसंद किया जाता है। इसके अतिरिक्त भारतीय मसालों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वयं की एक अनोखी पहचान स्थापित की हुई है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि हींग जिसको हम सभी अपने भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग करते हैं। हींग को हम भारतीय व्यंजनों में स्वाद को बढ़ाने के लिए उपयोग करने वाला सर्वोत्तम मसाला भी मानते हैं। अपने अनोखे स्वाद और गुणवत्ता की वजह से हींग को वर्तमान में केवल भारतीय मसालों में ही सम्मिलित नहीं किया गया है, इसने विदेशी बाजार के अंदर भी अपनी एक हटकर पहचान स्थापित की है। बतादें, कि उत्तर प्रदेश के एक जिला एक उत्पाद में शम्मिलित हाथरस की हींग को भौगोलिक संकेत यानी जीआई टैग प्रदान किया गया है। इसके उपरांत से ही देश-दुनिया के बाजारों में भारतीय हींग की मांग में काफी वृद्धि देखने को मिली है।

रोजगार के नवीन अवसर उत्पन्न होंगे

मीड़िया द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुरूप, विश्व स्तर पर हींग को पहचान हाँसिल होने के उपरांत यह अंदाजा लगाया जा रहा है, कि भारत के बहुत से युवाओं के लिए रोजगार के नवीन अवसर उत्पन्न होंगे। साथ-साथ लोगों की आर्थिक परिस्तिथियों में भी सुधार देखने को मिलेगा। बतादें, कि उत्तर प्रदेश की हाथरस हींग को जीआई टैग प्राप्त होने के उपरांत भारतीय व्यापारियों को विदेशों में अपने व्यवसाय को विस्तृत करने में काफी सुगमता रहेगी। अगर हम नजर ड़ालें तो विदेशों में केवल हींग ही नहीं हाथरस की नमकीन, रंग, गुलाल एवं गारमेंट्स आदि भी काफी प्रसिद्ध हैं। यह भी पढ़ें: जानें मसालों से संबंधित योजनाओं के बारे में जिनसे मिलता है पैसा और प्रशिक्षण

जीआई टैग होता क्या है

जीआई टैग का पूरा नाम जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग होता है, यह किसी स्थान विशेष की पहचान होता है। सामान्यतः जीआई टैग किसी भी स्थान विशेष के उत्पाद को उसकी भौगोलिक पहचान प्रदान करता है। रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट-1999 के अंतर्गत भारतीय संसद में जियोग्राफिकल इंडिकेशन ऑफ गुड्स जारी किया गया था। यह किसी प्रदेश को किसी विशेष भौगोलिक परिस्थितियों में मिलने वाली वस्तुओं हेतु विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार प्रदान करता है। ऐसी परिस्थितियों में उस विशेष इलाके के अतिरिक्त उस उत्पाद की पैदावार नहीं की जा सकती है।

जी आई टैग की आवेदन प्रक्रिया

जीआई टैग के लिए कंट्रोलर जनरल ऑफ पेरेंट्स, डिजाइंस एंड ट्रेड मार्क्स के कार्यालय में आवेदन किया जा सकता है। चेन्नई में इसका मुख्य कार्यालय मौजूद है। यह संस्था आवेदन के पश्चात इस बात की जाँच पड़ताल करती है, कि यह बात कितनी ठीक है। इसके उपरांत ही जीआई टैग प्रदान किया जाता है।

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