इस पेड़ की छाल से होती है मोटी कमाई, दवाई बनाने में होती है इस्तेमाल

Published on: 23-Apr-2023

आजकल किसानों का रुझान ऐसी खेती की तरफ बढ़ रहा है जो उन्हें अतिरिक्त कमाई करवा सके। इसके लिए किसानों ने अब वैज्ञानिक तरीके से नई फसलों की खेती करना शुरू कर दी है। ताकि वो परंपरागत खेती के साथ ऐसी चीजों का उत्पादन भी कर सकें जिनसे दवाइयां तथा प्रसाधन की सामग्री का निर्माण होता है। 

इसी कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं गूलर के पेड़ की खेती के बारे में। जिसके प्रति किसानों का रुझान बढ़ता जा रहा है। अगर पिछले कुछ सालों की बात करें तो देश में गूलर की खेती का रकबा तेजी से बढ़ा है। 

गूलर की छाल, पत्तों और जड़ों का इस्तेमाल आयुर्वेद में दवाइयां बनाने में होता है। जिन्हें सूजन और दर्द में इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही पुराने घाव को ठीक करने में गूलर की पत्तियों के लेप का इस्तेमाल किया जाता है।

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ऐसे करें गूलर के पेड़ की खेती

गूलर के पेड़ की खेती करना बेहद आसान है। यह लगभग हर तरह की मिट्टी में बेहद आसानी से उगाया जा सकता है। गूलर का पेड़ लगाते समय ध्यान रखें कि पेड़ के ऊपर कम से कम 7-8 घंटे सीधी धूप पड़नी चाहिए। गूलर का पेड़ आम तौर पर दो तरीकों से लगाया जाता है। 

गूलर का पौधा गूलर के फल से तैयार हो सकता है, इसके अलावा इसे कलम विधि से भी लगाया जा सकता है। जिसके लिए गूलर की कलम तोड़कर उसकी शार्प कटिंग करके तैयार किया जाता है। 

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इसके अलावा गूलर का पेड़ लगाने के लिए नर्सरी से इसके पेड़ को खरीद सकते हैं। नर्सरी से खरीदे गए पेड़ को गमले में लगाना चाहिए। इसके लिए गमले को अच्छी तरह से तैयार कर लें। उसमें मिट्टी के साथ ही गोबर की खाद भी मिला लें।

फिर नर्सरी से लाए गए पौधे को गमले में लगा दें, इसके बाद पौधे को पानी दें। गमले को ऐसी जगह रखें जहां सूरज की सीधी धूप आती हो। जब यह पौधा अच्छी तरह से विकसित हो जाए तो इसे जमीन पर स्थानांतरित कर दें।

गूलर की सिंचाई

गूलर के पौधे या पेड़ में ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती। जब पौधा छोटा हो तब हर 5 दिन में पानी दें। विकसित होने के बाद पौधे को पानी देना बंद कर दें। यह पेड़ पूरी तरह से विकसित होने के लिए 5 से 8 साल का समय लेता है। इसमें सामान्यतः कीटों का हमला नहीं होता है, ऐसे में किसानों को इसके बारे में ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है।

गूलर की खेती से कमाई

गूलर के पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल फर्नीचर बनाने में होता है। इसके अलावा इसकी छाल, पत्तियों और फूल का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में किया जाता है। ऐसे में किसान भाई इस पेड़ की खेती करके अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।

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