किसान भाइयों लेमनग्रास वास्तव में एक चमत्कारिक पौधा है। इस सगंध पौधे की खेती इसके तेल बेचने के लिए की जाती है। ऊसर,बंजर, रेतीली जमीन में आसानी से लगने वाले लेमन ग्रास की खेती में बहुत कम लागत आती है।
इसकी खेती की खास बात यह है कि एक बार इसको लगाने के बाद आप 5 से 6 साल तक प्रतिवर्ष 6 से 7 बार कटाई करके लाभ कमा सकते हैं।
इस लेमनग्रास का एक चमत्कार हाल ही में खोजा गया है कि इसका तेल निकालने के बाद बची हुई पत्तियों से सूखा चारा बनाया जा सकता है, जो पशुओं के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है।
इसके साथ ही यह विश्वास हो गया है कि तेल निकालने के बाद लेमन ग्रास से जिस ताह से सूखा चारा बनाया जा रहा है उससे भविष्य में पशुपालकों को काफी लाभ होगा।
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लेमनग्रास का तेल निकालने के बाद बची पत्तियों को सूखा चारा बनाये जाने से उन किसान भाइयों व पशुपालकों को काफी लाभ मिल सकता है जहां पर सिंचाई की कमी की वजह से चारा आदि की हमेशा कमी रहती है।
देश के पहाड़ी और पठारी क्षेत्रों में जहां पर खेती कुदरती वर्षा पर निर्भर करती है। वहां पर लेमनग्रास की खेती करके किसान पहले तो उससे तेल निकाल कर कमाई कर सकते हैं और उसके बाद बची हुई पत्तियों को सूखे चारे के रूप में इस्तेमाल करके अपने पशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल भी कर सकेंगे।
इन क्षेत्रों में पशुओं के चारे का हमेशा संकट रहता है। जब इन क्षेत्रों में पानी के अभाव में खेती नहीं हो पाती है तब चारे का सवाल नहीं उठता है।
इसके अलावा दूरदराज के गांवों में पशुओं के पालकों को न तो गेहूं का भूंसा और न ही धान की पुआल ही मिल पाती है। इसके लिए खरपतवार आदि को चारे के रूप में इस्तेमाल करना पड़ता है। इन क्षेत्रों में लेमन ग्रास की पत्तियां पशुपालकों के लिए काफी मददगार साबित हो सकती है।
इससे किसान भाई अपने पशुओं को पौष्टिक आहार की पूरी खूराक नहीं दे पाते हैं। इससे पशु कमजोर होते हैं, जिनकी दूध देने की क्षमता तो घटती ही है
साथ ही उनके प्रजनन की क्षमता व आयु भी घटती है। ऐसी स्थिति में लेमन ग्रास किसानों को बहुत सहायक साबित होगा।
इसलिये पशु लेमन ग्रास की हरी पत्तियों को नहीं खाते हैं। लेकिन जब इनका तेल निकाल लिया जाता है। तब बची हुई पत्तियों में न तो कड़वा स्वाद ही रहता है और न ही उसमें उस तरह की सुगंध ही रहती है, जिससे पशु परहेज करते हैं। इसलिये इसको सूखे चारे के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
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इसके अलावा इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, फास्फोरस, प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट, मिनरल, पोटेशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर, विटामिन बी-6, विटामिन-ए आदि पाये जाते हैं।
इसके प्रयोग से कोलेस्ट्रोल नियंत्रित होता है, जिससे हृदय रोग का खतरा नहीं रहता है, पाचन शक्ति बढ़ाता है, किडनी के लिए फायदेमंद है, कैंसर के लिए रामबाण मानी जाती है, वजन कम करने या चर्बी घटाने में भी फायदेमंद है, रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक है, कोरोना काल में लोगों ने तुलसी की जगह लेमन ग्रास की चाय को अधिक प्रयोग किया।
इससे उन्हें काफी लाभ भी मिला है। अनिद्रा की बीमारी में भी लेमन ग्रास फायदेमंद है। गठिया की बीमारी में भी इससे फायदा मिलता है। अस्थमा के लिए भी यह काफी लाभप्रद है।
स्ट्रेस यानी तनाव के क्षणों में यह पौधा काफी लाभ पहुंचाता है। मधुमेह यानी डायबिटीज और मुंहासों यानी पिंपल की बीमारी में भी लेमन ग्रास काफी लाभ पहुंचाता है।
इसी लिये लेमन ग्रास से निकले तेल की कास्मेटिक इंडस्ट्री, मेडिकल इंडस्ट्री, सोप इंडस्ट्री आदि मेंं बहुत अधिक डिमांड है। इसलिये इसके तेल के दाम काफी अधिक रहते हैं।
इससे किसान भाई लेमन ग्रास की खेती के बारे में रुचि ले सकते हैं। इससे किसानों को अनेक तरह के फायदे होते हैं। किसान भाइयों को कौन-कौन से फायदे हो सकते हैं
किसान भाइयों को तेल बेचने के लिए किसी तरह के बड़े प्रयास नहीं करने होते हैं बल्कि इंडस्ट्री वाले स्वयं इसके खरीदने की व्यवस्था करते हैं।
भारत में लेमन ग्रास, कर्नाटक, तमिलनाडु,केरल, आंध्र प्रदेश के तटीस क्षेत्रों में अच्छी खासी खेती होती है। इसके अलावा इसकी खेती राजस्थान, महाराष्टÑ, उत्तर प्रदेश और बिहार में भी की जाती है।
अब जब लेमन ग्रास की पत्तियों से सूखा चारा बनाया जा सकता है। इसकी जानकारी के बाद अन्य राज्यों के किसान भाई भी अपने बाग-बगीचों व बेकार पड़ी जमीनों में लेमनग्रास की खेती करने में रुचि दिखायेंगे और उससे दोगुना लाभ उठायेंगे।
जानकार होग बताते हैं कि राज्य सरकारों ने किसानों को लेमन ग्रास की खेती करने के लिए प्रति एकड़ दो हजार रुपये देने का निश्चय किया है।
इसके अलावा सरकारी स्तर पर इसकी डिस्टलरी लगाने के लिए 50 फीसदी सब्सिडी देने का भी प्रावधान किया गया है। इसलिये किसान भाइयों को चाहिये कि इसकी खेती करके अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करना चाहिये।