भारत में हरित क्रांति (Green Revolution) कब और किसने शुरू की थी

Published on: 08-Jul-2023

हरित क्रांति का मतलब बेहतरीन उपज देने वाले किस्म के बीजों (High Yealding Veriaty seeds), कीटनाशकों और बेहतर प्रबंधन तकनीकों के इस्तेमाल से फसल उत्पादन में इजाफा से है। नॉर्मन बोरलॉग को 'हरित क्रांति का जनक' मतलब कि (Father of Green Revolution) माना जाता है। उनको ज्यादा उपज देने वाले बीजों के विकास पर उनके काम के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। भारत में हरित क्रांति 1967-68 और 1977-78 में हुई थी। एम. एस. स्वामीनाथन "भारत में हरित क्रांति के जनक" (Father of Green Revolution in India) हैं। हरित क्रांति का आंदोलन एक बड़ी सफलता थी और इसने देश की खाद्य-कमी वाली अर्थव्यवस्था को दुनिया के विकसित कृषि देशों में से एक में बदल दिया। यह 1967 में शुरू हुआ और 1978 तक चला।

भारत में हरित क्रांति का जनक किसे कहा जाता है

हरित क्रांति से पहले भारत को खाद्य उत्पादन में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। जैसे कि 1964-65 और 1965-66 में भारत ने दो प्रचंड अकालों यानी सूखे का सामना किया जिसकी वजह से भोजन का अभाव हो गया। सीमांत किसानों को सरकार और बैंकों से किफायती दरों पर पैसा और कर्ज मिलना बहुत मुश्किल था। भारत की ट्रेडिशनल फार्मिंग (Traditional Farming) तरीकों की वजह से जरूरत से भी कम खाद्य उपज मिलती थी।

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एम.एस. स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति के जनक के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने उच्च उपज वाले गेंहू और चावल आदि कई बीजों के विकास में योगदान दिया है, जिससे भारत को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिली है।

हरित क्रांति से इन उद्योगों का हुआ विकास

भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता हांसिल कर सकता है और खाद्य निर्यातक के रूप में भी आगे बढ़ सकता है। खाद्य उत्पादों की कमी वाले क्षेत्रों में भंडारण एवं विपणन सुविधाओं की उन्नति के साथ भोजन मिल सकता है। पी.डी.एस. प्रणाली ने गरीब कमजोर लोगों के बीच भूख को कम किया। हरित क्रांति ने भरपूर फसल पैदावार सहित किसान की आमदनी में इजाफा किया है। हरित क्रांति ने कृषि आधारित उद्योगों जैसे कि बीज कंपनियों, उर्वरक उद्योगों, कीटनाशक उद्योगों, ऑटो और ट्रैक्टर उद्योगों आदि का विकास किया।

हरित क्रांति से हुए फायदे और नुकसान

ग्रीन रेव्यूलूशन यानी हरित क्रांति के प्रमुख फायदे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी, खाद्य उत्पादन में वृद्धि और खाद्य उत्पादों की लागत में कमी शामिल है। इसके विपरीत हरित क्रांति से होने वाले नुकसान में वनों की कटाई, कीटनाशकों के वजह से स्वास्थ्य समस्याएं, मृदा और पोषक तत्वों की कमी आदि शामिल हैं।

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