Published on: 20-Oct-2022
इस साल कई राज्यों में मानसून की बेरुखी देखने को मिली है, जिसके कारण राज्यों के कई जिलों में सामान्य से कम बरसात दर्ज की गई। इसका असर यह हुआ है कि राज्य में सूखे जैसे हालत बन गए हैं और कई किसानों की खेत में खड़ी फसलें तबाह हो गईं हैं। कुछ इस प्रकार का दृश्य बिहार में ज्यादा देखने को मिल रहा है। बिहार में इस साल लगभग 11 जिलों में सामान्य से कम बरसात हुई है, जिसके कारण खरीफ की फसलें सूख गईं हैं और उत्पादन में पिछले साल की अपेक्षा लगभग 70 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
इस बार कम बरसात की वजह से बिहार के कई जिलों में धान रोपाई का रकबा भी घटा है, जिसका सीधा असर धान के उत्पादन पर पड़ा है। इन सभी घटनाक्रमों को देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी अध्यक्षता में कैबिनेट की एक मीटिंग बुलाई और राज्य के 11 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐलान किया है कि सूखाग्रस्त गांवों में रहने वाले प्रत्येक परिवार को बिहार सरकार सहायता राशि के तौर पर 3500 रूपये का अनुदान प्रदान करेगी। यह अनुदान राशि सरकार के द्वारा सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजी जाएगी।
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किन-किन जिलों को किया गया है सूखाग्रस्त घोषित
बिहार सरकार ने ऐसे 11 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया है जहां सामान्य से कम बरसात हुई है। इन जिलों में जहानाबाद, गया, औरंगाबाद, शेखपुरा, नवादा, मुंगेर, लखीसराय,भागलपुर, बांका, जमुई और नालंदा का नाम शामिल है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कैबिनेट बैठक में कहा है कि अब इन 11 जिलों के 96 प्रखंडों के सभी 7841 गांवों को सूखग्रस्त माना जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि इन 11 जिलों में सबसे ज्यादा मार जमुई जिले के ऊपर पड़ी है। इस बार जमुई में मात्र 20 प्रतिशत धान के रकबे में ही धान की रोपाई की गई है। इसके बाद बांका का नम्बर है, इस जिले में भी इस बार मात्र 37 प्रतिशत धान के रकबे में ही धान की रोपाई की गई है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार सरकार ने बिहार आकस्मिक निधी से 500 करोड़ रुपये निकाले हैं। इन पैसों के द्वारा सूखाग्रस्त गावों के हर एक परिवार को 3500-3500 रूपये दिए जायेंगे। इसके अलावा किसानों की विशेष सहायता पर भी बिहार सरकार 600 करोड़ रूपये खर्च करने जा रही है।
बाढ़ से प्रभावित हुई फसल पर भी मिलेगा मुआवजा
जहां राज्य के कई जिलों में कम बरसात की वजह से सूखे के हालत है, तो कुछ जिलों में अतिवृष्टि के कारण फसलें चौपट हो गईं हैं। इसके लिए राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि जल्द ही खराब हुई फसलों के लिए भी मुआवजे का ऐलान किया जाएगा। इसके लिए फिलहाल सर्वे का काम किया जा है। खेतों में पानी जमा होने के कारण सर्वे करने में कठिनाई आ रही है। जल्द ही सर्वे का काम निपटाया जाएगा और फसल की क्षतिपूर्ति कृषि इनपुट सब्सिडी के तौर पर किसानों को बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा दिया जाएगा।
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सामान्य से 40 प्रतिशत कम हुई बरसात
इस साल बिहार में सामान्य से 40 प्रतिशत तक कम बरसात हुई है। कई जिलों में यह आंकड़ा 60 प्रतिशत के ऊपर तक पहुंच गया है। हर साल बिहार में मानसून के दौरान 992 मिमी बारिश होती है, इसे सामान्य बरसात माना जाता है। लेकिन इस बार प्रदेश में मानसून के दौरान मात्र 683 मिमी बरसात ही दर्ज की गई है जो सामान्य से 40 फीसदी कम है। खरीफ सीजन को मानसून पर आधारित सीजन माना जाता है, इस बार कम बरसात होने की वजह से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इसके साथ ही राज्य के कई बांध और तालाब खाली पड़े हैं। जिनमें इस साल पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं है।
भीषण सूखे की वजह से धान के रकबे में हुई घटोत्तरी
धान की फसल के लिए पानी बेहद जरूरी संसाधन है। पर्याप्त पानी के बिना धान की फसल को उगाना बेहद मुश्किल काम है। इस साल सूखे की वजह से राज्य में धान के रकबे में भारी कमी आई है। अगर रकबे की तुलना पिछले साल से करें तो इस साल 1.97 लाख हेक्टेयर कम जमीन पर धान की खेती की गई है, जिसका सबसे बड़ा कारण पानी की घटती उपलब्धता है।