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यह सरकार कर रही भूरा तना मधुआ कीटों से प्रभावित फसल की सुरक्षा के लिए आवश्यक प्रयास

Published on: 07-Nov-2022

बिहार के कृषि मंत्री सर्वजीत कुमार द्वारा बताया गया है कि कृषि विभाग द्वारा भूरा तना मधुआ नामक कीट के प्रकोप से किसानों की धान की तैयार फसल की बर्बादी का आकलन हो रहा है। आकलन उपरांत विभाग के माध्यम से जरुरी कार्रवाई होगी। बिहार के अधिकतर किसान आज भी प्रकृति पर निर्भर हैं। उत्तरी बिहार में जहां बाढ़ के चलते फसलें बर्बाद हो जाती हैं, तो वहीं दूसरी तरफ मगध क्षेत्र में समय पर बरसात न होने पर किसानों को सुखाड़ का सामना करना पड़ता है। बिहार सरकार के माध्यम से इन प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए विभिन्न योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। साथ ही, मुआवजा के रूप में धनराशि भी किसानों को दी जा रही है। लेकिन इन प्राकृतिक आपदाओं के अलावा भूरा तना मधुआ कीट भी किसानों के लिए सिर दर्द बन गया है, क्योंकि यह एकत्रित होकर थोड़े समय में ही फसल को बुरी तरह प्रभावित कर देते हैं। फिलहाल बिहार के किसानों को चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं है, कृषि मंत्रालय द्वारा स्वयं इसके नियंत्रण के लिए प्रयास किया गया है।

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कृषि मंत्री सर्वजीत कुमार ने गुरुवार को प्रेस वार्ता के दौरान पटना में कहा कि भूरा तना मधुआ कीट (बीपीएच - ब्राउन प्लांट हॉपर; brown plant hopper; या कत्थई फुदका ) धान की फसल के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदेह साबित हो रहा है। खास कर इसके आक्रमण का प्रकोप गया, भोजपुर, बक्सर, नालंदा, लखीसराय एवं औरंगाबाद सहित प्रदेश के विभिन्न जनपदों में देखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग द्वारा इससे किसानों को छुटकारा दिलाने के लिए आवश्यक कदम उठाया गया है। पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर तक पदाधिकारियों की देखरेख में एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है।

फसल संरक्षण के लिए पूर्ण रूप से प्रयास हो रहा है

कृषि मंत्री ने बताया है कि पौधा संरक्षण संभाग के माध्यम से भूरा तना मधुआ कीट के नियंत्रण हेतु निर्धारित कीटनाशी का इस्तेमाल कर किसानों द्वारा कटाई के लिये तैयार धान की फसल को हानि से बचाने के प्रयास किये जा रहे हैं। निर्धारित कीटनाशी प्रति एकड़ 225-250 लीटर पानी में मिला कर, छिड़काव तने की ओर करें व प्रभावित क्षेत्र से 10 फीट की दूरी तक चारों ओर छिड़काव करें। ध्यान रखें की छिड़काव के वक्त खेत में अत्यधिक जल-जमाव न हो। उन्होंने कहा है कि इन कीटों द्वारा धान के तनों से रस को चूसने के कारण फसल को भारी क्षति पहुंचती है। इन हल्के-भूरे रंग के कीटों का जीवन चक्र 20-25 दिनों तक का होता है। बड़े और छोटे दोनों प्रकार के कीट पौधों के तने के मुख्य हिस्से पर रहकर रस चूसते हैं। ज्यादा रस निकलने के कारण धान के पौधों में पीलापन आ जाता है, साथ ही जगह-जगह पर चटाईनुमा आकार सा हो जाता है, जिसे ‘हॉपर बर्न’ (hopper burn) नाम से जाना जाता है।

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