पश्चिम बंगाल चुनाव के नतीजों के बाद मोदी सरकार को डीएपी खाद की कीमतों में गिरावट लाने का ऐतिहासिक कदम उठाना ही पड़ा. अंतरराष्ट्रीय बाजार में फास्फोरस की कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद सरकार को पुरानी दरों पर खाद बेचने का निर्णय लेना पड़ा है. भाजपा सरकार इसे चाहे जिस रूप में प्रस्तुत करे लेकिन वास्तविकता यही है की आगामी विधानसभा चुनाव और पूर्व के चुनावों में मिले नतीजों का प्रतिफल भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं दे रहा है. सब्सिडी के रूप में खाद की कीमतों में गिरावट लाने का उपक्रम निश्चय ही थोड़ा लेट लतीफी का शिकार हुआ लेकिन यह निर्णय कृषि, किसान और सरकार तीनों के हित में है. सरकार ने खाद पर सब्सिडी बढ़ाकर डीएपी के बैग की कीमत 12 सौ रुपए ही रखी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खाद की कीमतों के मुद्दे पर एक उच्च स्तरीय समिति की बैठक में चिंतन किया। मीटिंग में इस बात पर जोर रहा की अंतरराष्ट्रीय बाजार में फास्फोरिक एसिड अमोनिया आदि की कीमतें बढ़ने के कारण डीएपी खाद की कीमतों में इजाफा करना पड़ा है लेकिन प्रधानमंत्री नहीं समिति के इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए किसानों को पुरानी दरों पर ही खाद दिलाने की प्रतिबद्धता दोहराई। डीएपी खाद के लिए सब्सिडी की धनराशि ₹500 प्रति बैग से बढ़ाकर 1200 ₹ प्रति बैग करने का निर्णय लिया गया ताकि किसानों पर आर्थिक भार न पड़े और उनकी कृषि लागत भी यथावत रहे। अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों का जिक्र करें तो हालिया तौर पर डीएपी का एक बैग 24 सौ रुपए का पड़ रहा है। इस पर ₹12 सौ सब्सिडी देकर सरकार इसे आधी कीमत पर किसानों को मुहैया कराएगी। प्रति बोरा सब्सिडी की यह राशि अभी तक के इतिहास में पहली बार बढ़ाई गई है। सरकार को यह निर्णय कोरोनावायरस संक्रमण एवं कृषि क्षेत्र की स्थिति में सुधार लाने के लिए लेना पड़ा है। कृषि क्षेत्र की स्थिति भी डीजल एवं डीएपी की बढ़ी हुई कीमतों के चलते ज्यादा ठीक नहीं है। यही एकमात्र क्षेत्र है जोकि कोरोनावायरस के दौर में भी देश को गति प्रदान किए हुए है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल डीएपी की कीमत 1700 ₹ प्रति बोरी थी, जिस पर ₹500 सब्सिडी देकर उसे 1200 में बेचा जा रहा था। वर्तमान में यह कीमत ₹2400 है लेकिन ₹ बारह सौ की सब्सिडी देकर इसे 1200 में ही बेचा जाएगा। डीएपी में प्रयुक्त होने वाले रसायनों में मुख्य फास्फोरस की कीमतों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में 60 से 70% का इजाफा हुआ है। इसी के चलते डीएपी की कीमतें बढ़ानी पड़ी थी। प्रधानमंत्री ने कहा है कि उनकी सरकार किसानों के कल्याण के लिए हर संभव प्रयास करेगी। सरकार अभी तक रासायनिक खादों पर दीी जाने वाली सब्सिडी पर करीब 80,000 करोड रुपए खर्च करती थी जिसमें अब 14775 करोड़ की धनराशि अतिरिक्त खर्च करनीीी होगी। अक्षय तृतीया के दिन PM-KISAN के तहत किसानों के खाते में 20,667 करोड़ रुपये की राशि सीधे ट्रांसफर करने के बाद, किसानों के हित में यह दूसरा बड़ा फैसला है।