हरियाणा राज्य के फतेहाबाद जिले के गांव सिंबलवाला में रहने वाले किसान बसंत सैनी ने सिप की खेती कर 2 साल में 18 लाख रुपए कमा लिए है। सिप की खेती के लिए उन्होंने 3 साल पहले कोरोना काल के वक्त अपना मन बनाया था।
लगभग डेढ़ साल तक उन्होंने इस खेती पर स्टडी की और सितम्बर 2023 में उन्होंने सिप की खेती का कार्य शुरू कर दिया। सिप की खेती में लगभग 4 लाख रुपए का खर्च आया। उन्होंने बताया सिप की खेती काफी लाभदायक है।
बसंत सैनी डबल एमए करे हुए है उन्होंने सिप की खेती आधे कनाल में की थी जिससे उन्हें इतना फायदा हुआ। सिंबलवाला गांव में वो ऐसे अकेले व्यक्ति है जो सिप की खेती कर रहे है।
बसंत सैनी ने बताया बाजार में मोतियों की काफी डिमांड है इसलिए उन्होंने इसकी खेती शुरू की। साथ ही उन्होंने यह भी बताया सिप की एक एकड़ खेती से लाखों रुपया कमाया जा सकता है।
बसंत सैनी ने बताया सिप की खेती के लिए ट्रेनिंग बहुत जरूरी है। सिप की खेती के लिए पहले सिप लानी पड़ती है , जो हमारे आस पास नहीं मिलती है वो बहार से मँगानी पड़ती है।
सिप दो प्रकार की होती है एक जो समुन्द्र में मिलती है और दूसरी जो साफ़ पानी में तैयार की जातीं है। सिप की खेती के लिए नेहरी पानी की ज्यादा आवश्यकता होती है।
सिप के अंदर न्यूक्लियस डालकर सिप को फ्रेश पानी में डाल दिया जाता है। इसके बाद पानी में फीड डाली जातीं है क्योंकि अगर पानी में लाल कीड़े पड़ गए तो वह सिप को नष्ट कर देते है।
मोती की अच्छी किस्म के लिए पानी की हर हफ्ते जांच होती है। पानी को चेक करने के लिए पानी के टैंक में हर हफ्ते अमोनिया, टीडीएस और ऑक्सीजन चेक करना होता है।
मोती की खेती में पानी एक अहम भूमिका निभाता है। मोती को तैयार होने में लगभग 2 साल का समय लगता है। लेकिन सवा साल में आधा मोती तैयार हो जाता है लेकिन पूरे मोती को पाने के लिए 2 साल तक इंतजार करना पड़ता है। सिप के अंदर से मोती को बड़ी सधानी से निकाला जाता है, सावधानी न बरतने पर सिप मर भी सकती है।
मोती की कीमत उसकी शेप, वजन और गुणवत्ता के आधार पर तय की जातीं है। एक मोती की कीमत 5000 से 50000 हो सकती है। आभूषण बनाने के अलावा इसका उपयोग आयुर्वेदिक दवाइयों में भी किया जाता है।
छोटी छोटी मूर्तियां बनाने और महिलाओं के कॉस्मेटिक मेकअप बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है। बाजार में मोती की बहुत कीमत है जितनी गुणवत्ता वाला मोती होगा उसकी उतनी ही ज्यादा कीमत होगी।