धान की फसल को बौनेपन से बचने के लिए किसान करें ये काम, होगा अच्छा उत्पादन

Published on: 07-Aug-2024
Updated on: 07-Aug-2024

भारत में खरीफ फसलों का समय चल रहा है, और धान इस सीजन की प्रमुख फसल है। इस समय किसानों को कम लागत में धान की अच्छी पैदावार करने के लिए कृषि विभाग और कृषि विश्वविद्यालयों से निरंतर सलाह दी जा रही है।

इसी संदर्भ में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों के लिए कुछ निर्देश जारी किए हैं। ये सलाह किसानों को धान की फसल को बौनेपन से बचाने के लिए दी गई है।

विश्वविद्यालय की सलाह में बताया गया है कि चावल की नर्सरी में स्पाइनारियोविरिडे समूह के वायरस की उपस्थिति कई जगहों पर देखी गई है।

इस वायरस से संक्रमित पौधे छोटे और अधिक हरे दिखाई देते हैं। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. बी.आर. काम्बोज ने बताया कि वर्तमान में संक्रमण बहुत कम है।

इसलिए, किसानों को सुझाव दिया गया है कि वे समय रहते संक्रमण को रोकने के लिए उचित कदम उठाएं ताकि फसल को नुकसान से बचाया जा सके।

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धान की फसल को बौनेपन से बचाने के उपाय

वैज्ञानिक डॉ. विनोद कुमार मलिक ने सुझाव दिया कि शुरुआती नर्सरी की बुआई पर ध्यान दिया जाना चाहिए और संक्रमित पौधों को उखाड़कर नष्ट करना चाहिए या उन्हें खेत से दूर मिट्टी में दबा देना चाहिए।

असमान विकास पैटर्न दिखाने वाले नर्सरी पौधों को प्रत्यारोपण न करें। हॉपर्स से नर्सरी की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दें।

इसके लिए, डिनोटफ्यूरान 20 एसजी 80 ग्राम या पाइमेट्रोजिन 50 डब्ल्यूजी 120 ग्राम प्रति एकड़ (या 10 ग्राम या 15 ग्राम प्रति कनाल) नर्सरी क्षेत्र में छिड़काव करें।

ध्यान देने योग्य बात ये है कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने वर्ष 2022 में पहली बार धान की फसल में एक अज्ञात बीमारी की सूचना दी थी, जिससे राज्य के धान उगाने वाले क्षेत्रों में पौधे बौने हो गए थे। इस बीमारी से सभी प्रकार की चावल किस्में प्रभावित हुई थीं।

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