Published on: 25-Dec-2022
सरकार ने किसानों की मदद करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) योजना लागू की थी। इसके तहत किसानों को क्रेडिट कार्ड दिए जाते हैं, जिसकी मदद से वह अपनी वित्तीय सहायता कर सकते हैं। लेकिन हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पांच राज्यों में किसान क्रेडिट कार्ड लेने वाले किसानों की संख्या लगभग 88% तक कम हो गई है।
5 राज्यों का रिकॉर्ड है बेहद खराब
हालांकि पूरे देश में ही किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने की दर में कमी आई है। लेकिन देश के पांच ऐसे राज्य हैं, जिनका रिकॉर्ड बेहद खराब है। इन पांच राज्यों में त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर, चंडीगढ़, पश्चिमबंगाल और असम शामिल हैं। अगर हर राज्य की गिरावट की प्रतिशत दर देखी जाए तो त्रिपुरा में 96.20 प्रतिशत, जम्मू कश्मीर में 93.33 प्रतिशत, चंडीगढ़ 85.09 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल 83.11 प्रतिशत, असम में 82.73 प्रतिशत कमी दर्ज की गई। अगर केवल इन्हीं राज्यों के आंकड़ों के बारे में चर्चा की जाए तो पांच राज्यों के आधार पर ही किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने की दर में 88% तक की गिरावट दर्ज की गई है।
किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने की दर में गिरावट के कारण क्या हैं?
सरकार इस गिरावट को लेकर चिंता में हैं। किसान क्रेडिट कार्ड में किसानों के लिए बहुत ही लुभावने ऑफर दिए गए हैं। यहां पर ब्याज की दर केवल चार से 5% तक रखी गई है, जबकि किसी भी अन्य बैंक से लोन लेने पर दर लगभग 9 से 12% के मध्य ही रहती है। फिर भी किसान किसान क्रेडिट कार्ड से लोन नहीं लेना चाहते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण जो सामने आया है, वह है कि किसान लोन लेने के बाद उसे भरने में सक्षम नहीं है। एक बार किसी भी प्राकृतिक कारण से अगर फसल बर्बाद हो जाती है, तो किसान उसकी भरपाई नहीं कर पाते हैं।
इसलिए भी नहीं मिले कार्ड
इसके अलावा बहुत से किसान कार्ड लेने के लिए मान्यता ही नहीं रखते हैं। किसान क्रेडिट कार्ड लेने के लिए किसानों के पास अपना जमीन का टुकड़ा होना बेहद जरूरी है। साथ ही, एक बार
लोन लेने के बाद मार्च में क्लोजिंग के समय उन्हें ली गई पूरी राशि को एक साथ जमा करना पड़ता है। दोनों ही मापदंड पूरे ना किए जाने की स्थिति में उन्हें कार्ड नहीं मिल पाता है।