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खुशखबरी: इस दवा के उपयोग से आवारा पशु फसल से दूर भाग जाएंगे 

Published on: 27-Jan-2023

देखा जा रहा है कि प्रति वर्ष कृषकों के द्वारा उत्पादित की गयी फसलों को छुट्टा पशु लाखों रुपये में हानि पहुँचाते हैं। वर्तमान में राज्य सरकार हरबोलिव नामक ऐसी ही औषधियों को बढ़ावा देगी। इसकी वजह से असहाय पशु किसानों के खेत में हानि नहीं कर पाएँगे। छुट्टा व आवारा पशु प्रत्येक राज्य के किसानों हेतु बड़ी परेशानी रही हैं। किसानों की लाखों रुपये की खड़ी फसल को यह आवारा पशु नष्ट कर देते हैं। जो फसल इनसे बचती है, उसको प्राकृतिक आपदाएं तहस-नहस कर दिया जाता है। असहाय एवं आवारा पशु कृषकों की फसलों को बर्बाद कर रही हैं। इस समस्या के समाधान हेतु प्रत्येक राज्य में प्रयास किए जा रहे हैं। तारबंदी के अतिरिक्त भी किसान पशुओं से फसल बर्बाद होने से संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। परंतु, असहाय एवं छुट्टा पशु काबू में नहीं आते हैं। वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा कृषकों की फसलों के संरक्षण हेतु बड़ी पहल की गई है।  

उत्तर प्रदेश सरकार हरबोलिव दवा को प्रोत्साहित करेगी 

उत्तर प्रदेश राज्य में कृषि विभाग फिलहाल छुट्टा पशुओं को फसल से दूर करने की दिशा में कार्य कर रही है। वर्तमान में राज्य सरकार ऐसी औषधी को बढ़ावा देगी। इसकी केवल गंध से ही छुट्टा व आवारा पशु खेतों के अंदर नहीं घुस पाएंगे। इस गंध की वजह से जो पशु किसानों को फसलीय हानि पहुँचाते हैं। वह उस हानि से बच सकते हैं। इससे किसानों को वार्षिक लाखों रुपये का लाभ होगा। ये भी देखें: रोका-छेका अभियान: आवारा पशुओं से फसलों को बचाने की पहल

हरबोलिव दवा के उपयोग से फसल का पशुओं से संरक्षण 

राज्य सरकार के कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि हरबोलिव नामक औषधि फसल की गंध को पशुओं तक पहुँचने से रोकने में सहायता करती है।  मतलब कि आवारा पशु जिस गंध को महसूस करके फसल को बर्बाद करने जाते है। वह गंध उन तक नहीं पहुँचती है। वह गंध औषधि की वजह से उन तक पहुँच ही नहीं सकती है। इस औषधि का एक और फायदा यह होगा, कि यह छुट्टा एवं आवारा पशुओं हेतु फसल के स्वाद को काफी खराब कर देती है। अगर किसी वजह से पशु फसल को खाने का प्रयास भी किया जाए तब भी वह फसल को नहीं खा सकते हैं। इससे पशुओं को मजबूरन खेत छोड़ना पड़ता है।  

इस दवा से फसल को कोई हानि नहीं होती है 

इस औषधि की एक विशेष बात यह है, कि यह दवा किसी प्रकार की कोई भी हानि फसल को नहीं होती होती है। यह औषधि फसल की जैविक प्रकृति बरकरार रखती है। खेत की मृदा के जैविक गुणों में वृद्धि कर उसको और ज्यादा उर्वरक बनाने का कार्य करती है। फल, फूल, सब्जी, दलहन, तिलहन जैसी विभिन्न फसलों हेतु भी यह दवा बेहतर होती है।

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