हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल ने बताया कि ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना के तहत किसानों के बैंक खातों में जल्द ही 2,000 रूपए प्रति एकड़ के हिसाब से पहली किस्त जमा कर दी जाएगी। पहली किस्त के रूप में सरकार की ओर से कुल 21 लाख रूपए दिए जाएंगे। यह राशि राज्य के 17 जिलों में खरीफ-2020 के दौरान फसल विविधिकरण योजना के अनुसार धान को छोडकऱ कपास की फसल की बुआई करने वाले किसानों को दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि विभाग के अधिकारियों द्वारा भौतिक सत्यापन प्रक्रिया पूरी करने के बाद ‘प्रत्यक्ष लाभ स्थानांतरण मोड’ के माध्यम से किसानों को किस्त का भुगतान किया जाएगा। सिरसा, फतेहाबाद, जींद, हिसार, कैथल, झज्जर, भिवानी, चरखी दादरी, सोनीपत, रोहतक, फरीदाबाद, पलवल, रेवाड़ी, मेवात, गुरूग्राम, पानीपत और करनाल जिला में कुल 20,420 हेक्टेयर में धान को छोडकऱ कपास की बुआई करना प्रमाणित हुआ है।
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श्री कौशल ने बताया कि इस योजना के तहत सिरसा जिला के कपास उत्पादक सबसे अधिक लाभार्थी होंगे। इस जिला में 4,523 हेक्टेयर में नकदी फसल बोने वाले किसानों को 26 करोड़ रूपए वितरित किए जाएंगे। फतेहाबाद जिला के किसानों को 3,966 हेक्टेयर भूमि के लिए 1.98 करोड़ तथा जींद जिला के किसानों को 3,945 हेक्टेयर भूमि में धान की जगह कपास की बुआई करने पर 1.97 करोड़ रूपए मिलेंगे।
उन्होंने बताया कि राज्य में भूजल संरक्षण करने की दिशा में ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना को लागू किया गया है। हरियाणा सरकार द्वारा 40 मीटर से नीचे पहुंचे भूजल स्तर से प्रभावित खंड रतिया (जिला फतेहाबाद), सिवान और गुहला (जिला कैथल), पिपली, शाहाबाद, बबैन और इस्माईलाबाद (जिला कुरुक्षेत्र) और ब्लॉक सिरसा (जिला सिरसा) के किसानों को धान की जगह कम पानी से पकने वाली मक्का, बाजरा, कपास, दलहन और बागवानी फसलें बोने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इस योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा 7,000 रूपए प्रति एकड़ देने का वादा किया गया, जिसमें 2,000 रूपए की पहली किस्त फसल के सत्यापन के बाद और शेष 5,000 रूपए फसल की पकाई के समय देने हैं।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने यह भी बताया कि राज्य सरकार द्वारा यह भी सुविधा दी गई है कि जिन किसानों ने धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसल मक्का, बाजरा, दाल आदि की बुआई की है,उन फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जाएगी। उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायतों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने स्वामित्व वाली कृषि भूमि में धान उगाने की अनुमति नहीं देंगी और धान की जगह अन्य वैकल्पिक फसलें बोने से होने वाली आमदनी संबंधित पंचायतों को ही दी जाएगी। उन्होंने जानकारी दी कि मक्का की नमी को सुखाने के लिए अनाज मंडियों में मक्का-ड्रायर भी लगाए जाएंगे।
श्री संजीव कौशल ने एक अन्य जानकारी सांझा करते हुए बताया कि वैकल्पिक फसलों में ड्रिप सिंचाई करने के लिए किसानों को सिस्टम-खरीद पर 85 प्रतिशत अनुदान भी प्रदान किया जाएगा। विभाग द्वारा अपनी योजनाओं और कस्टम हायरिंग सेंटर्स के माध्यम से धान के विविधीकरण के लिए लक्षित खंडों में मक्का की बुवाई के लिए वायवीय या सामान्य मक्का बीज बोने की मशीन प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि लक्षित खंडों में 41 प्रदर्शन-प्लॉट स्थापित किए गए हैं ताकि किसानों को यहां पर सर्वोत्तम कृषि पद्धति दिखाकर अच्छी पैदावार लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
उन्होंने बताया कि किसानों को ‘फसल विविधिकरण योजना’ के प्रति जागरूक करने के लिए क्षेत्र में आईईसी (सूचना, शिक्षा और संचार) गतिविधियों के माध्यम से जानकारी प्रदान की जाएगी। किसानों की सुविधा के लिए एक वेब-पोर्टल भी शुरू किया गया है।