चुकंदर एक ऐसी कंद वर्गीय फसल है जिसका सेवन अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है। इसे आप कल की तरह कच्चा खा सकते हैं या फिर सब्जी की तरह पका कर भी इसे खाया जा सकता है।
इसके अलावा चुकंदर को बहुत से पेय पदार्थ में भी इस्तेमाल किया जाता है जो आपके स्वास्थ्य के लिए तो लाभदायक होता ही है साथ ही त्वचा की हेल्थ के लिए भी काफी अच्छा माना जाता है।
चुकंदर से बनाई जाने वाली सब्जी को बहुत से लोग मीठी सब्जी कहते हैं क्योंकि इसका स्वाद हल्का सा मीठा होता है। चुकंदर जमीन के नीचे उगता है और इसकी सबसे खास बात यह है कि चुकंदर के पत्तों की अलग से सब्जी बनाई जा सकती है।
इस में पाए जाने वाले पोषक तत्व के बारे में सभी लोग जानते हैं और साथ ही हम सब को यह जानकारी जरूर है कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है।
खून की कमी,अपच, ह्रदय रोग और कैंसर जैसी बड़ी बड़ी बीमारियों के लिए भी डॉक्टर के द्वारा बहुत बार चुकंदर के सेवन करने की सलाह दी जाती है।
मार्केट में चुकंदर की मांग लगभग 12 महीने बनी रहती है और ऐसे में किसान फसल का उत्पादन करते हुए अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।
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ठंडे क्षेत्रों को चुकंदर की खेती के लिए एकदम सही माना जाता है और इसीलिए भारत में चुकंदर की खेती ज्यादातर उत्तराखंड, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान और पंजाब के ठंडे इलाकों में ज्यादातर रबी के सीजन में की जाती हैं।
इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको चुकंदर के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं जिसको पढ़ते हुए आप इस फसल का उत्पादन करके मुनाफा कमा सकते हैं।
इसकी खेती करने के लिए भूमि का P.H. मान 6 से 7 के बीच होना आवश्यक है। इसके अलावा चुकंदर की खेती करते हुए आपको इस बात का खास ख्याल रखने की जरूरत है कि आप की जमीन में जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए क्योंकि अगर जमीन में कभी भी जलभराव की स्थिति उत्पन्न होती है तो यह पौधे इसके कारण सड़ने लगते हैं।
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अगर किसान भाई चाहते हैं कि वह मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयोडीन, पोटेशियम, आयरन, विटामिन-सी, और विटामिन-B से भरपूर चुकंदर की खेती करें तो उसके लिए आदर्श तापमान 18 से 21 डिग्री सेल्सियस तक माना गया है।
सर्दियों के मौसम में चुकंदर के पौधे का विकास बहुत तेजी से होता है और इस पर आपको ज्यादा मेहनत करने की जरूरत भी नहीं पड़ती है। इसके अलावा एक बात का ध्यान हमेशा रखें कि गर्मियों के मौसम में कभी भी चुकंदर की खेती ना करें।
साथ ही आपको यह भी ध्यान में रखना है कि बहुत ज्यादा ठंड के मौसम में या फिर जब पाला पड़ने की स्थिति होती है तब भी चुकंदर की खेती करने से बचें क्योंकि यह फसल ऐसे मौसम में प्रभावित हो सकती हैं।
एक बार गहरी जुताई करने के बाद आप दो-तीन बार खेत की हल्की जुताई कर ले और उसके बाद ही खेत में बीज डाले इसके अलावा अगर आप चाहते हैं कि आप की पैदावार अच्छी हो तो उसके लिए कोशिश करें कि अपने खेत में प्रति एकड़ के हिसाब से 4 टन गोबर खाद डाल दें।
छिटकवा विधि – छिड़काव विधि में खेत में अलग-अलग क्यारियां बनाकर उसमें बीजों को फेंककर बुवाई की जाती है। इस विधि में अगर लागत की बात की जाए तो प्रति एकड़ लगभग 4 किलो बीज लग जाता है।
मेड़ विधि – इस विधि में लगभग 10-10 इंच की दूरी पर मेड बनाई जाती है और उस पर बीजों की बुवाई की जाती है। इसमें हर एक पौधे के बीच में लगभग 3 इंच की दूरी रखी जाती है। इसके अलावा कुछ चीजें जो आपको इसकी खेती करते समय ध्यान में रखने की जरूरत है वह है;
पहली सिंचाई आप फसल बोने के 15 दिनों बाद कर सकते हैं और उसके लगभग पांच-छह दिन बाद दूसरी सिंचाई की जा सकती हैं। इसके अलावा अगर आप का क्षेत्र ऐसा है जहां पर बरसात नहीं हो रही है तो लगभग हर एक आठ से 10 दिन के बीच में सिंचाई करते रहना चाहिए।
उर्वरक की बात की जाए तो चुकंदर की खेती करते समय यूरिया, डी.ए.पी यानि डाई-एमोनियम फॉस्फेट और पोटाश का इस्तेमाल किया जा सकता है और इन सब का प्रयोग आप अपने खेत में प्रति एकड़ के हिसाब से करें।
साथ ही माना जाता है कि अगर चुकंदर की खेती करते समय आप जैविक या ऑर्गेनिक खाद डालते हैं तो उत्पादन बेहतर रहता है।
चुकंदर की खेती करने से पहले अपने खेत में वरुण की मात्रा का प्रशिक्षण जरूर करवा लें क्योंकि अगर आप के खेत में वरुण की कमी है तो चुकंदर के पौधों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं और समय के साथ टूटने लगती हैं।
अगर खेत में और उनकी कमी है तो आप बोरिक एसिड या बोरॉक्स जमीन में डाल सकते हैं।
चुकंदर की फसल में विभिन्न प्रकार के रोग हो सकते हैं, जैसे कि दाग पत्तियों वाला रोग, पत्तों की खारीद, धुंधली जड़ें, प्याज की तरह अर्ध-परिपक्वता, फसल के नीचे सफेद कीट, विभिन्न प्रकार की फंगल संक्रमण, आदि।
इसके अलावा अगर किसी कारण से आपके चुकंदर की फसल में रोग लग जाता है तो सही मात्रा में केमिकल का छिड़काव करते हुए फसल को इस रोग से बचाया जा सकता है।
रेड स्पाइडर, एफिड्स, फ्ली बीटल और लीफ खाने कीड़ों से बचाव के लिए, 1 लीटर पानी में 2 मिली मैलाथियान 50 ईसी मिलाकर छिड़काव करें। कीटों को नियंत्रित करने से पहले, कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लें।
इसके अलावा जब भी आप बीज रोपण करते हैं तो सही तरह के बीच का इस्तेमाल करें इससे आप के उत्पादन में आपको बेहतर परिणाम मिलेंगे और फसल में रोग लगने की क्षमता भी कम हो जाती है।
इस तरह से इन सब चीजों का ध्यान रखते हुए किसान चुकंदर की फसल उगा सकते हैं और इससे अच्छा खासा मुनाफा भी ले सकते हैं।
चुकंदर एक ऐसी फसल है जिसके उत्पादन में ज्यादा समय नहीं लगता है जिसकी वजह से यह बेहद कम समय में किसानों को अच्छा खासा मुनाफा दे सकती है।
यह फसल एक बार बीज बोने के बाद लगभग 3 महीने में बनकर तैयार हो जाती है और 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक इसका उत्पादन हो जाता है।
आम तौर पर अगर चुकंदर के मूल्य की बात की जाए तो यह 50 से ₹60 प्रति किलो तक भी रहता है। इस फसल की एक और खासियत यह है कि इसे बहुत जगह पशु चारे के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।