Kewda Flower: कैसा होता है केवड़ा का फूल, उपयोग और इसकी खेती से संबंधी सम्पूर्ण जानकारी

Published on: 22-Aug-2024
Updated on: 22-Aug-2024

केवड़ा का फूल अपनी मनमोहक सुगंध के लिए जाना जाता है। यह एक छोटा, सफेद और बाल जैसा दिखने वाला फूल होता है। फूल काफी छोटा होता है और इसकी लंबाई लगभग 2-3 इंच तक हो सकती है।

ये फूल किसानों के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसकी खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते है। इस लेख में आप केवड़ा के फूल के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।

केवड़ा का फूल दिखने में कैसा होता है?

केवड़ा का फूल (Kewda Flower) दिखने में बहुत सुंदर और अनोखा होता है। यह सफेद, हल्के पीले या हल्के हरे रंग का होता है।

फूलों की बनावट लंबी और बेलनाकार होती है, जो आमतौर पर कुछ इंच लंबी होती है। फूल के कई छोटे-छोटे तंतु होते हैं जो एक साथ जुड़े होते हैं।

इसके पंखुड़ियां पतली, नुकीली और घनी होती हैं, जो एक शंकु के आकार में व्यवस्थित होती हैं। केवड़ा का फूल सुगंधित होता है और इसकी खुशबू बहुत ही मीठी और मनमोहक होती है।

ये भी पढ़ें: ऑर्किड्स की खेती कैसे की जाती है?

केवड़ा के फूल का इस्तेमाल किसलिए किया जाता है?

  • इसका उपयोग इत्र, पूजा, और कई अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक अवसरों पर किया जाता है।
  • केवड़े के पानी का उपयोग कई खाद्य पदार्थों जैसे मिठाइयों, कुल्फी और अन्य व्यंजनों में सुगंध के लिए किया जाता है।
  • केवड़े के तेल का उपयोग आयुर्वेद में भी किया जाता है।

केवड़ा की खेती कैसी मिट्टी में की जाती है?

माना जाता है कि बलुअर दोमट मिट्टी और दोमट मिट्टी केवड़ा की खेती (Kewda Flower) के लिए काफी उपयुक्त होती हैं।

इसकी फसल भी रेतीली, बंजर और दलदली मिट्टी में अच्छी होती है। इसकी पैदावार अच्छी होती है अगर जल निकासी की सुविधा अच्छी होती है।

ये भी पढ़ें: भारत में लैवेंडर की खेती - लाभ, जलवायु और तकनीक पर संपूर्ण गाइड

केवड़ा की खेती कैसे की जाती है?

केवड़ा की रोपाई जुलाई और अगस्त में की जाती है, लेकिन सिंचाई की सुविधा हो तो इसे फरवरी-मार्च में भी उगाया जा सकता है।

  • रोपाई से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई कर लें और समतल कर दें। इसके बाद, पौधों को नर्सरी से लाकर पहले से तैयार किए गए गड्ढों में लगा दें।
  • पौधों के बीच पर्याप्त दूरी बनाए रखना महत्वपूर्ण होता है। शाम के समय में रोपाई करना लाभकारी होता है, क्योंकि तापमान कम होने से पौधों की बेहतर वृद्धि होती है।
  • रोपाई के बाद नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है, लेकिन अगर बारिश हो रही हो तो सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती।
  • अगर बारिश नहीं हो रही है, तो हर 8-10 दिन पर खेत में पानी देना आवश्यक होता है।

केवड़ा के खेतों में आमतौर पर खरपतवार नहीं उगते, क्योंकि यह पौधा मजबूत होता है और निराई की जरूरत नहीं होती।

रोपाई के समय जैविक खाद डालने से पौधों की वृद्धि अच्छी होती है और फूल बेहतर लगते हैं। पत्तियों में कीट लगने की संभावना होती है, जिसके लिए किसान समय पर कीटनाशक छिड़काव कर सकते हैं।

ये भी पढ़ें: ट्यूलिप फूलों की खेती - जलवायु, मिट्टी, और प्रमुख किस्म

फूलों की तुड़ाई

  • केवड़ा के फूलों (Kewda Flower) की तुड़ाई बहुत सावधानीपूर्वक की जाती है। फूल ताजे और पूरी तरह खिले होने चाहिए।
  • तुड़ाई का समय आमतौर पर सुबह जल्दी या देर शाम होता है ताकि फूलों की खुशबू बनी रहे।
  • एक बार तुड़ाई के बाद, फूलों को जल्दी से इत्र बनाने या अन्य उपयोगों के लिए भेजा जाता है, क्योंकि उनकी खुशबू जल्द ही कम हो जाती है।

श्रेणी