भोपाल। सत्ता हांसिल करने के लिए नेता तरह-तरह की सियासी गोटियां बिछाते हैं। चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा बातें भी किसानों की होती हैं। लेकिन सत्ता में आने के बाद नेताओं के बोल कैसे बदल जाते हैं। फिर वही नेता किसान हितों को भूलकर अपने हितों पर ज्यादा ध्यान देते हैं। ताजा मामला मध्यप्रदेश राज्य से जुड़ा हुआ है। यहां की सरकार ने किसानों के लिए सोयाबीन बीज की कीमतों में 2600 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी करके 2000 की सब्सिडी देने का फैसला किया है। यानि कि पहले 2600 रूपए जमा कराए जाएंगे, फिर 2000 रु. वापिस मिलेंगे। यह वापिस कब मिलेंगे यह भी निर्धारित नहीं किया गया है। ऐसे में किसानों को लग रहा है कि सरकार उनके साथ छलावा कर रही है अथवा मजाक। सरकार के इस फैसले से किसानों में रोष है। किसानों के साथ ही यह सीधे तौर पर छलावा ही है। आम तौर पर जब सोयाबीन बेची जाती है तो पांच हजार से छह हजार के बीच भाव रहता है। छह हजार का भाव भी इस बार सालों बाद आया है। अब उसी सोयाबीन को फिल्टर कर 10 हजार 100 रुपए क्विंटल में यहां बेचा जा रहा है। ऐसी स्थिति में कैसे खेती लाभ का धंधा बन पाएगी? किसानों का कहना है कि हमसे खरीदते समय किसी को भाव बढ़ाने की याद नहीं आती, अब जब बोवनी की जाना है तो स्वत: ही भाव बढ़ा दिए गए।