महाकुंभ मेले के भव्य आयोजन में किसानों का भी रहेगा योगदान

Published on: 09-Dec-2024
Updated on: 09-Dec-2024
A serene depiction of rituals in Haridwar featuring a crowded Ganges ghat during evening aarti on one side and a devotee performing individual offerings to the sacred river on the other
सम्पादकीय सम्पादकीय

महाकुंभ धार्मिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक पर्व होने के साथ ही राष्ट्रीय एकता की झांकी भी प्रस्तुत करता है। इसके साथ पर्यटन के क्षेत्र में प्रोत्साहन भी देता है।

इतना ही नहीं महाकुंभ की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है। ऐसे में आगामी प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 के लिए उत्तर प्रदेश सरकार इसकी भव्यता और दिव्यता के लिए प्रयास कर रही है।

महाकुंभ मेला की भव्यता इसी से पता चलती है कि इसकी व्यवस्था में इसे एक शहर का रूप दे दिया गया है, जिस तरह किसी एक शहर की प्रशासनिक ईकाई होती है, ठीक उसी प्रकार इसकी भी होती है।

आम भाषा में इसे ‘टेंट सिटी’ भी कहा जाता है। टेंट सिटी होने की वजह से इस महापर्व पर बम्बू उत्पादक किसान भी अपना विशेष योगदान देते हैं।

महाकुंभ मेला कब से शुरू होगा

महाकुंभ मेला प्रत्येक 12 वर्ष में एक बार भारत के 4 प्रमुख तीर्थ स्थलों पर आयोजित होता है, जिनमें प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन शामिल हैं।

महाकुंभ 2025 मेला प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू होगा और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन समाप्त होगा।

इस मेले के दौरान लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम स्थल पर स्नान करेंगे, जिससे उन्हें पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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महाकुम्भ में शामिल होंगे करोड़ों श्रद्धालु

महाकुंभ मेले का आयोजन धार्मिक दृष्टिकोण से बेहद महत्व रखता है। इसको लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह होता है।

इस वर्ष अनुमानित 10 करोड़ लोग महाकुंभ मेला में शामिल होंगे, जो इस आयोजन को और भी अधिक भव्य बनाएंगे।

महाकुंभ मेला के दौरान सुरक्षा, परिवहन और अन्य बुनियादी सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जाता है, ताकि श्रद्धालुओं को कोई कठिनाई का सामना ना करना पड़े।

टेंट सिटी में एक नए युग की शुरुआत

महाकुंभ मेला 2025 के लिए प्रयागराज में टेंट सिटी का निर्माण किया जा रहा है, जिसको श्रद्धालुओं के ठहरने और अन्य सुविधाओं के लिए निर्मित किया जाएगा।

यह टेंट सिटी पूर्णतय एक आदर्श शहर के रूप में विकसित होगी, जिसमें प्रत्येक श्रद्धालु को हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

यहां के टेंट और संरचनाएं भी पूर्ण रूप से तैयार की जाएंगी, जिससे श्रद्धालु संगम तट पर स्नान करने के उपरांत आराम से रुक सकें। वहीं, अन्य धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा भी ले सकें।

महाकुंभ मेले में किसानों का योगदान

महाकुंभ मेले के दौरान किसानों से पुआल, बांस, और सूखी लकड़ी की मांग होती है। मेले के लिए किसान अपने पुआल का गट्ठर बनाकर रख लेते हैं।

मेले से पहले आढ़ती भी किसानों से पुआल खरीदकर मेले में बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं। किसान भाई मेले में श्रद्धालुओं के लिए भोजन सामग्री की दुकान लगाने का भी कार्य करेंगे।

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मेले के लिए किसानों से पुआल की मांग बढ़ने की वजह से, बड़े पैमाने पर धान की खेती करने वाले किसानों के पास जो पुआल औने-पौने दाम पर बिक जाता था या खराब हो जाता था, उसका दाम लगाकर इकट्ठा करने में आढ़ती जुट जाते हैं।

कई किसानों ने अपने पशुओं के चारे की व्यवस्था के बाद बेचने के लिए पुआल का गट्ठर बनाकर रख लिया है। कल्पवासियों के लिए सरपत और कांस की जरूरत को लेकर कई लोगों ने इसकी भी कटाई कराकर गट्ठर बंधवाया है।