प्याज का सेवन भारत के हर घर में किया जाता है ,इसकी खेती रबी के मौसम में की जाती है। प्याज एक नगदी फसल है जो सर्दियों में उगाई जाती है।
इसमें विटामिन सी, फॉस्फोरस आदि पोषक तत्व पाए जाते है, प्याज का उपयोग सलाद सब्जी और मसाले के रूप में किया जाता है।
इसकी खेती से किसानों को अच्छी आमदनी मिलती है। प्याज की खेती में किसानों को कई कारकों के कारण नुकसान भी झेलना पड़ता हैं, जिनमें इसके रोग प्रमुख होते हैं।
इस लेख में हम आपको प्याज के रोगों और उनके नियंत्रण के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे जिससे की फसल में होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता हैं।
वैसे तो प्याज की फसल कई रोगों से प्रभावित होती हैं, इनमे से कुछ रोग हैं जो उपज को ज्यादा हानी पहुंचाते हैं, इन सभी रोगों के लक्षण और नियंत्रण उपाय निम्नलिखित दिए गए हैं:
इस रोग के लक्षण जमीन के समीप प्याज के ऊपरी भाग पर गलन के रूप में दिखाई देते हैं।
संक्रमित भाग पर सफेद फफूंद और जमीन के ऊपर हलके भूरे रंग के सरसों के दाने की तरह सख्त संरचनाये बन जाती है जिनको स्क्लेरोटिअ कहते है।
संक्रमित पौधे मुरझा जाते है और बाद में सुख जाते है। जिसमें कंद चारों तरफ से सफेद फफूंद से ढक जाते है। आखिर में पौधा पूर्ण रूप से सुख जाता है।
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इस रोग के लक्षण पत्तियों पर दिखाई देते हैं संक्रमित पत्तियाँ पीली हो जाती हैं और फिर सूख जाती हैं।
संबंधित पौधे की पत्ती ऊपर से नीचे की ओर सूखने लगती है। अधिक प्रकोप से पूरा पौधा सुख जाता है।
प्रभावित पौधे का कंद और जड़ें नरम होकर सड़ जाती हैं और पूरे पौधे पर एक सफेद फफूंदी बन जाती है। यह रोग भंडारण में भी फैल सकता है और खेत में शुरू हो सकता है।
इस रोग से प्रभावित पत्तियों पर हल्के भूरे रंग के कवक तंतु की वृद्धि, छोटे सफेद धब्बे जिनमें अधिक आदरता और नमी होती है (देखे जा सकते हैं)।
अधिक संक्रमण से प्रभावित पत्तिया भाग मुलायम होकर लटक जाता है और आखिर में फिर सारी पत्तिया सुख जाती है।
पाइथियम रूट सड़ांध (बोट्राइटिस) प्याज ठंडी जलवायु वाले क्षेत्रों में सबसे आम रोग माना जाता है। पैदावार को हल्का संक्रमण प्रभावित नहीं करता है।
इस रोग से प्रभावित कंद सड़ जाते हैं और अंकुरण से पहले मर जाते हैं। अधिक प्रकोप होने पर सभी प्रभावित पौधे मर जाते हैं।
यदि बीज अंकुरण से पहले रोग का प्रकोप हो तो अंकुरण मिट्टी से बाहर आने से पहले ही मर जाते है।
रोग फसल की बुवाई या रोपण के 15 से 30 दिनों के बाद भी प्याज को प्रभावित कर सकता हैं। यदि रोग देर से पौधे को संक्रमित करता है तो पौधे में बौनापन और जड़ों के सड़ने का कारण बनता है।
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