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मखाने की खेती करने पर मिल रही 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी : नए बीजों से हो रहा दोगुना उत्पादन

Published on: 04-Sep-2022

मखाना (Fox nuts) एक सर्व आहार है, जिसका उपयोग मिठाई की दुकान से लेकर उपवास में, सब्जियों में, खीर में, नमकीन में और कई तरह के खाद्य पदार्थों में जमकर किया जाता है। इसका सेवन किडनी के साथ-साथ हृदय के लिए बेहद फायदेमंद है।

विश्व में मखाने का सर्वाधिक उत्पादन वाला देश

भारत के साथ-साथ पिछले कुछ सालों से इस खाद्य पदार्थ की विदेशों में भी मांग बढ़ी है। इसलिए भारत मखाना का एक प्रमुख निर्यातक बनकर उभरा है। दुनिया भर में उत्पादित होने वाले मखाने का 90 प्रतिशत उत्पादन भारत में होता है। इसकी खेती भारत में बिहार में सबसे ज्यादा होती है, इसलिए बिहार सरकार मखाना किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए इसके उत्पादन में बढ़ोत्तरी के लिए प्रयासरत है। इसके तहत बिहार सरकार के कृषि विभाग के अंतर्गत उद्यान निदेशालय ने एक योजना प्रारम्भ की है जो मखाना किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इसके तहत निदेशालय ने किसानों को मखाना के दो तरह से बीज उपलब्ध करवाए हैं, जिनसे मखाना किसान अपने उत्पादन में दोगुने तक की बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। इसके साथ ही बिहार सरकार मखाना की खेती करने पर किसानों को 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी देने के लिए तैयार है।

मखाने का उत्पादन बढ़ाने के लिए इन बीजों का करें प्रयोग

बिहार सरकार ने मखाने के उत्पादन को बढ़ाने के लिए जो योजनाएं शुरू की हैं उनमें से एक है बीज वितरण योजना। इसके तहत बिहार सरकार मखाना किसानों को मखाने के दो उन्नत बीज उपलब्ध करवा रही है, जिनकी किस्मों का नाम बौर मखाना 1 और स्वर्ण वैदेही प्रभेद है। सरकार के अनुसार, यदि किसान मखाना उत्पादन में इन दोनों किस्मों का उपयोग करते हैं, तो उत्पादन में 90 से लेकर 100 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी की जा सकती है। बिहार सरकार के अंतर्गत आने वाले उद्यान निदेशालय ने बताया है कि सबौर मखाना 1 किस्म के बीज किसान भाई भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय पूर्णिया (Bhola Paswan Shastri Agricultural College, Purnea) से प्राप्त कर सकते हैं। जबकि दूसरी किस्म स्वर्ण वैदेही प्रभेद किस्म के बीज किसान भाई मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा से प्राप्त कर सकते हैं। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=dvDAN5o0vbA&t=74s[/embed]

मखाने का दोगुना हो जाएगा उत्पादन

बिहार कृषि विभाग के अंतर्गत आने वाले कृषि निदेशालय ने बताया कि मौजूदा बीजों के उपयोग से वर्तमान में किसान भाई एक हैक्टेयर में 16 क्विंटल मखाने का उत्पादन करते हैं। लेकिन यदि उन्होंने इन दो नई किस्मों का प्रयोग किया तो किसान एक हैक्टेयर में 28 क्विंटल तक मखाना उत्पादन कर सकते हैं। ये बीज सामान्य बीजों की अपेक्षा किसानों को ज्यादा उत्पादन देने में सहायक होंगे, जिससे किसानों की आय में बढ़ोत्तरी होगी। क्योंकि मखाना की खेती में नाम मात्र की लागत ही आती है और इनके बीजों को प्रोसेसिंग करने में भी ज्यादा खर्चा नहीं आता, मखाना की खेती करके किसान अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। मखाने की खेती के बाद बचे हुए कंद एवं डंढल की भी बाजार में भारी मांग रहती है, जिसे बेचकर किसान अपने लिए अतिरिक्त आमदनी कर सकते हैं। इसलिए मखाने की खेती में उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ना भी तय है। ये भी पढ़े: कृषि मशीनों पर सब्सिडी दे रही बिहार सरकार, 31 दिसंबर तक करें आवेदन

किस प्रकार से मिलेगा किसानों को 75 प्रतिशत सब्सिडी का लाभ

बिहार सरकार ने मखाना उत्पादन को बढ़ाने के लिए कमर कस ली है। इसलिए इसके तहत बिहार सरकार इन दो किस्मों के बीजों का उपयोग करने वाले किसानों को 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी का लाभ देने जा रही है। बिहार सरकार के उद्यान निदेशालय ने अनुसार एक हैक्टेयर जमीन में मखाने की खेती करने में लगभग 97,000 रुपये की लागत आती है, जिसके बदले में सरकार 72,750 रुपये सब्सिडी के तौर पर वहन करने के लिए तैयार है। यह सब्सिडी किसान बेहद आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

मखाने की खेती में सब्सिडी प्राप्त करने के लिए किसान कैसे करें आवेदन

मखाने की खेती में अगर किसान सरकारी सब्सिडी प्राप्त करना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन तिथि 5 सितम्बर से शुरू हो रही है तथा आखिरी तिथि 20 सितम्बर है। इसके लिए किसान बिहार सरकार की किसान उद्यान विभाग की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और वहां पर अपना आवेदन ऑनलाइन भरें। ऑनलाइन आवेदन भरते समय आवेदक अपने साथ आधार कार्ड, आवेदक के भूमि की खतौनी, बैंकपास बुक, मोबाइल नंबर, पैन कार्ड, फोटो इत्यादि जरूर रखें। ऑनलाइन आवेदन भरते समय इन दस्तावेजों की जरुरत पड़ सकती है।

बिहार के किन जिलों के किसानों को मिलेगा सब्सिडी का लाभ

बिहार सरकार ने मखाना की खेती के लिए राज्य में 8 जिलों को चिन्हित किया है। उसमें किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, पश्चिम चम्पारण, दरभंगा, अररिया, सुपौल और सहरसा को सम्मिलित किया गया है। जिसमें मखाने की खेती के लिए पहले से ही प्रबंधन एवं व्यस्था शुरू की जा चुकी है। राज्य में सिर्फ इन जिलों के किसानों को ही अच्छी क्वालिटी के बीज मखाना उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से वितरित किये जाएंगे। इसके साथ ही इन्हीं 8 जिलों के किसानों को ही मखाना की खेती में सब्सिडी का लाभ दिया जाएगा। अन्य जिलों के किसानों को यह सरकारी लाभ नहीं दिया जाएगा।

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