मेरीखेती ने अक्टूबर महीने की किसान पंचायत का आयोजन संजीव कुमार प्रेमी की अध्यक्षता में ग्राम दादरी जिला गाजियाबाद उत्तर प्रदेश में किया।
मेरीखेती की इस भव्य किसान पंचायत में वरिष्ठ पूसा वैज्ञानिक डॉ सीवी सिंह और सैकड़ों की संख्या में किसान मौजूद रहे।
किसान पंचायत में मुकेश नागर, मनिंदर सिंह, युद्धवीर सिंह, जितेन्द्र नागर, गौरव प्रताप सिंह, मोहित रावल और उमेश कुमार उपस्थित रहे।
मेरीखेती की अक्टूबर महीने की इस किसान पंचायत में शर्दियों में उगाई जाने वाली फसलों का समुचित विकास चर्चा का मुख्य विषय रहा।
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि तापमान में कमी को देखते हुए सब्जियों में सिंचाई शाम के समय करें। ये फसलों को संभावित पाले और शीतलहर से बचाने में मददगार होती है।
दिसंबर का महीना आधा निकल चुका है। भारत के मैदानी क्षेत्रों में खूब कड़ाके की ठंड पड़ रही है और तापमान का निरंतर गिरना जारी है।
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इस समय किसानों के सामने सब्जियों की फसल और पशुओं की देखभाल करने की बड़ी चुनौती है। पाले के प्रभाव से दोनों को बचाने के लिए किसानों को विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
ठंड के मौसम में किसान भाई सब्जियों की निराई-गुड़ाई कर के खरपतवारों का सफाया करें। सब्जियों की फसल में सिंचाई करें और उसके बाद संतुलित उर्वरकों का उपयोग करें। खेत में तैयार मूली, गाजर और शलजम को उखाड़ कर बिक्री के लिए बाजार भेज दें।
कृषि वैज्ञानिकों ने ठंड में फसलीय विकास के साथ साथ पशुपालन को लेकर भी कई महत्वपूर्ण सलाहें किसानों को दीं।
कृषि वैज्ञानिकों ने पशुपालकों को लेकर सलाह देते हुए कहा कि पशुओं को रात में खुले में न छोड़ें। सर्दियों के मौसम में उनके आवास का बेहतर प्रबंधन करें और दिन के समय पशुओं को खुली धूप में बांधें।
दरअसल, सूर्य की किरणों में जीवाणु-विषाणु को नष्ट करने की क्षमता होती है, जिससे बीमारियों की आशंका कम हो जाती है। ठंड के समय भरपूर मात्रा में हरे चारा की उपलब्धता होती है।
लेकिन, पशुओं के स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए संतुलित मात्रा में ही हरा चारा दें। खनिज लवण और शुष्क पदार्थ पशुओं के चारे में शामिल ना करें। इससे ठंड में उन्हें काफी सहायता मिलेगी।