चकबंदी का अर्थ इकट्ठा कर देना होता है। खेती के संदर्भ में देखें तो भिन्न-भिन्न टुकड़ों में विभाजित पड़ी आपकी जमीन को एक स्थान पर आना।
उदाहरण के तौर पर किसान A के पास गांव में 3 अलग-अलग जगहों पर खेत हैं। उसको तीन स्थानों पर प्रबंधित करना पड़ेगा।
परंतु, चकबंदी होती है, तो जमीन के सभी मालिकों में बंटवारा कुछ इस ढंग से होगा कि सभी को उनके खेत एक ही जगह पर इकट्ठे मिल जाएं। किसान A को 3 टुकड़ों के बराबर एक जगह जमीन मिल जाएगी।
जानकारी के लिए बतादें, कि खेतों में परिवारों के निरंतर बंटवारे के चलते पहले बड़े रहे खेत समय के साथ छोटे होते जाते हैं। इन खेतों में परिश्रम और खर्च तुलनात्मक रूप से काफी ज्यादा बढ़ जाता है।
परंतु, फसल और इससे होने वाली आमदनी काफी अधिक नहीं होती है। वहीं, यदि एक ही जगह खेत हों तो लागत भी काफी कम हो सकती है। इसकी वजह से किसान को ज्यादा मुनाफा भी प्राप्त हो सकता है।
सरकार द्वारा इन्हीं सब बातों को अपना आधार बनाते हुए किसानों को एक ही स्थान पर खेत देना प्रारंभ कर दिया गया।
जिन कृषकों के पास अलग-अलग जगहों पर छोटे खेत थे, उन्हें उतनी भूमि के समतुल्य एक ही भूमि पर खेत दे दिए जाते हैं।
हर राज्य के अलग-अलग चकबंदी कानून होते हैं। चकबंदी के अंतर्गत मिले खेतों को चक कहा जाता है। बहुत बारी सरकार 2-3 में जमीन दे देती है, हालांकि, ये चकबंदी की मूल भावना के विपरीत है।
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चकबंदी को सामान्यतः किसानों के लिए बेहद अच्छा माना जाता है। हालांकि, इसके कुछ नुकसान अथवा यूं कहें कि समस्याएं भी हैं।
अगर हम पहले इसकी अच्छाई की बात करें। चकबंदी से खेत में फसल उगाने में होने वाली औसत लागत काफी घट जाती है।
सरकार द्वारा कानूनी रूप से आपको खेत दिए जाने से किसी भी तरह का जमीन विवाद निपट जाता है। बड़े खेत होने से बड़े उपकरण इस्तेमाल हो सकते हैं, जो फसल की जल्दी बुवाई व कटाई में सहायता करते हैं।
हर कुछ दूरी पर पगडंडियां नहीं बनानी होती, इससे जमीन बर्बाद होने से बचती है। एक ही जगह अगर खेत हों तो उसका रख-रखाव सहजता से किया जा सकता है।