फार्मिंग का मतलब खेती करना होता है। यह कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें फसलों को उगाना और जानवरों का पालना शामिल है।
फार्मिंग का उद्देश्य भोजन और कच्चे माल का उत्पादन करना है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि फार्मिंग कितने प्रकार की होती है? इस लेख में आप इसके बारे में विस्तार से जानेंगे।
फार्मिंग के प्रकार को खेती करने की विधियों और उद्देश्य के हिसाब से बाटा गया हैं। फार्मिंग मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है:
जीविका का मतलब है जीवन यापन के लिए। यह फार्मिंग किसान की परिवारिक जरूरतों को पूरा करने के लिए की जाती है।
इसमें कम तकनीक और घरेलू श्रम का उपयोग किया जाता है, जिससे उत्पादन भी कम होता है। जीविका फार्मिंग के भी दो प्रकार होते हैं:
ये भी पढ़ें: प्रिसिजन फार्मिंग क्या है?
इस प्रकार की फार्मिंग में किसान छोटे क्षेत्र में अधिक उत्पादन करता है। यह खेती परिवार की जरूरतों और जीवन यापन के लिए की जाती है।
यह फार्मिंग उन क्षेत्रों में की जाती है जहां जनसंख्या घनत्व अधिक होता है। इसमें छोटे-छोटे भूखंड बनाकर खेती की जाती है, जिसे स्लैश एंड बर्न खेती भी कहा जाता है। इसमें धान (चावल) की फसल प्रमुख होती है।
यह फार्मिंग भी परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए की जाती है। आदिम जीविका फार्मिंग के दो प्रकार होते हैं:
a. शिफ्टिंग कल्टीवेशन (Shifting Cultivation)
इसे स्लैश एंड बर्न खेती भी कहा जाता है। इसमें जंगलों को काटकर जलाया जाता है, और जली हुई राख को खाद के रूप में इस्तेमाल करके जमीन पर खेती की जाती है।
यह खेती वर्षा पर आधारित होती है, और इसमें मक्का, याम, आलू और नकदी फसलें उगाई जाती हैं।
b. घुमंतू पशुपालन (Nomadic Herding)
घुमंतू का मतलब होता है चरवाहे। यह फार्मिंग अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में की जाती है।
इसमें चरवाहे भेड़, ऊंट, या गाय पालते हैं और अपने झुंडों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते हैं। यह फार्मिंग राजस्थान और गुजरात के क्षेत्रों में ज्यादा होती है।
ये भी पढ़ें: मल्टी फार्मिंग क्या होती है?
वाणिज्यिक फार्मिंग बड़े क्षेत्र में की जाती है, और इसमें नई तकनीक का उपयोग होता है ताकि अधिक उत्पादन हो सके।
इसमें मशीनरी और उच्च इनपुट्स का उपयोग किया जाता है, और इसका मुख्य उद्देश्य बाजार की आवश्यकताओं को पूरा करना और अधिक मुनाफा कमाना होता है।
वाणिज्यिक फार्मिंग के तीन प्रकार होते हैं:
इसमें बड़े क्षेत्र में अनाज की खेती की जाती है। मुख्य फसलें गेहूं और मक्का होती हैं।
यह फार्मिंग उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया के समशीतोष्ण घास के मैदानों में की जाती है। वहां के ठंडे मौसम के कारण साल में एक ही फसल उगाई जाती है।
ये भी पढ़ें: परिशुद्ध कृषि प्रणाली, ऊर्ध्वाधर खेती एवं टिकाऊ कृषि
जब फसलों के उत्पादन के साथ पशुपालन भी किया जाता है, तो इसे मिश्रित फार्मिंग कहा जाता है। इसमें एक ही स्थान पर एक से अधिक फसलें उगाई जाती हैं।
यह वाणिज्यिक फार्मिंग का एक प्रकार है, जिसमें एक बार पौधों का रोपण करके कई सालों तक उत्पादन लिया जाता है।
इसमें एक ही प्रकार की फसल का बड़े पैमाने पर रोपण किया जाता है। इसमें चाय, कॉफी, गन्ना, काजू, रबर, केला और कपास जैसी फसलें उगाई जाती हैं, और इन्हें प्रसंस्करण के लिए बाजार में बेचा जाता है।