मेरीखेती के सौजन्य से अप्रैल माह की किसान पंचायत ग्रेटर नॉएडा के भीकनपुर में निरंजन शर्मा की अध्यक्षता में की गई।
किसान पंचायत के दौरान जगनेश त्यागी सहित सैकड़ों प्रगतिशील किसान, पूसा के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ सी.बी सिंह और डॉ विपिन कुमार शर्मा साथ ही मेरीखेती के संस्थापक श्री कृष्ण पाठक मौजूद रहे।
मेरीखेती किसान पंचायत में प्रमुख रूप से गेंहू कटाई के उपरांत फसल प्रबंधन और बासमती एक अनमोल धरोहर विषय पर चर्चा हुई। किसानों को खेती-किसानी के क्षेत्र में आए आधुनिक परिवर्तनों के बारे में भी बताया गया।
डॉ सी.बी सिंह ने किसानों को गेंहू कटाई उपरांत खेत प्रबंधन को लेकर कहा कि गेहूँ में कुल उत्पादन का लगभग 8 प्रतिषत भाग कटाई के बाद बर्बाद हो जाता है, जो मुख्यत: जीव-जन्तुओं द्वारा होता है। उचित तरीकों को अपनाकर इन हानियों को कम किया जा सकता है।
जैसे कटाई के उपरांत दानों को तुरंत सुखाना, एक समान शुषक्ता, उचित मड़ाई एवं अन्य विधियाँ, साफ-सफाई जिससे कीटों व चिड़ियों का आक्रमण रोका जा सके, अच्छी तरह साफ बोरों से पुलींदा बनाना, वैज्ञानिक तरीकों तथा उचित नमी व कीट नियंत्रण विधियों को अपनाना, समुचित हवा का प्रबंधन तथा ढ़ेरियों को समयबध्द चरणों में हिलाना जिससे कीड़े न लगे इत्यादि।
ये भी पढ़ें: फसलों की कटाई और सफाई के लिए उपयोगी 4 कृषि यंत्रों की विशेषताऐं और लाभ
किसान भाई इन सब तरीको को अपनाकर प्रक्षेत्र और बाजार स्तर पर भी होने वाली हानियों को काफी ज्यादा कम कर सकते हैं।
पूसा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ विपिन कुमार शर्मा ने बासमती चावल को एक अनमोल धरोहर की संज्ञा देते हुए कहा, कि बासमती चावल आज भारत ही नहीं विश्व में अपना अग्रिणी स्थान बनाने में सफल है।
बासमती की भारत में कुछ अच्छी किस्मों का जिक्र करते हुए उन्होंने पी3 पंजाब , टाइप III उत्तर प्रदेश , एचबीसी-19 सफीदों , 386 हरियाणा , कस्तूरी (बारां, राजस्थान), मुरादाबादी बासमती 6465, बासमती 198, बासमती 217, बासमती 370 बिहार, कस्तूरी, माही सुगंधा, पूसा 1121 , पूसा 1718 , पूसा 1509 , पूसा 1692 , पूसा 1637 , पूसा 1401 और 1121 बासमती चावल की किस्मों की जानकारी प्रदान की।
साथ ही, किसानों द्वारा पूछे गए अलग-अलग प्रश्नो का तर्क सहित संतोषपूर्ण समाधान के विषय में जानकारी साझा की।