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सरकार के प्रोत्साहन से हरियाणा के मोरनी क्षेत्र में मशरूम की खेती की तरफ बढ़ी रुची

Published on: 10-Dec-2023

मोरनी क्षेत्र के कृषकों के लिए मशरूम की खेती वरदान सिद्ध होते दिख रही है। यहां के युवा भी मशरूम की खेती में अपनी तकदीर चमकाते दिखाई नजर आ रहे हैं। हरियाणा सरकार मशरूम की खेती के लिए अनुदान देकर कृषकों का होसला बुलंद कर रही है। पंचकूला जनपद के मोरनी इलाके के कृषकों के लिए मशरूम की खेती वरदान सिद्ध हो रही है। यहां के अधिकांश बेरोजगार युवा सरकार से अनुदान हांसिल कर मशरूम की खेती मे अपनी तकदीर चमका रहे हैं। मोरनी क्षेत्र के कृषकों के लिए सर्वाधिक मुनाफा इस खेती से हांसिल हो रहा है। यहां पर पहले किसान परंपरागत ढंग से खेती किया करते थे, जिसमें सरसों, तिल, गेंहू, टमाटर और मक्का के अतिरिक्त बाकी नकदी फसलें उगाई जाती थी। मगर जंगली जानवरों के  भय की वजह से ज्यादातर किसान इन फसलों को उगाना बंद करके मशरूम की खेती पर ज्यादा ध्यान देने लगे। हरियाणा सरकार भी अनुदान देकर कृषकों के हौसलों को बुलंद कर रही है। 

खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय कौन-सा होता है 

मोरनी क्षेत्र में मशरूम की खेती के लिए अनुकूल वक्त दिसंबर के प्रथम हफ्ते से शुरू होकर मार्च के आखिर तक होता है। इसी से जागरूक होकर मोरनी गांव के बहलों निवासी युद्ध सिंह परमार कौशिक ने मशरूम की खेती आरंभ कर दी, जिसमें उन्हें काफी शानदार मुनाफा मिलने की आशा है। हरियाणा के मोरनी क्षेत्र में मशरूम की खेती के लिए अनुकूल वातावरण है। इस काम को करने के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता नहीं होती। किसान इसको छोटे से कमरे से भी चालू कर सकते हैं। इसके पश्चात सरकार द्वारा अनुदान लेकर बड़ा व्यवसाय भी आरंभ कर सकते हैं। 

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मशरूम उत्पादन का शानदार तरीका

कम्पोस्ट को निर्मित करने के लिए धान की पुआल को भिगोकर एक दिन पश्चात इसमें डीएपी, यूरिया, पोटाश, गेहूं का चोकर, जिप्सम तथा कार्बोफ्यूडोरन मिलाकर इसे सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है। करीब डेढ़ माह के उपरांत कम्पोस्ट तैयार होता है। वर्तमान में गोबर की खाद और मिट्टी को बराबर मिलाकर लगभग डेढ़ इंच मोटी परत बिछाकर उस पर कम्पोस्ट की दो-तीन इंच मोटी परत चढ़ाई जाती है। इसमें नमी स्थिर बनी रहे, इसलिए स्प्रे से मशरूम पर दिन में दो से तीन बार छिड़काव किया जाता है। इसके ऊपर एक-दो इंच कम्पोस्ट की परत और चढ़ाई जाती है। इस प्रकार से मशरूम का उत्पादन आरंभ हो जाता है। 

सरकार कितना अनुदान प्रदान कर रही है 

सरकार ने मशरूम उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए जिन तीन योजनाओं पर अनुदान देने का निर्णय किया है, उसमें मशरूम उत्पादन इकाई, मशरूम स्पॉन इकाई और मशरूम कंपोस्ट उत्पादन इकाई शम्मिलित है। इन तीनों योजनाओं की समकुल लागत 55 लाख रुपये है। इसपर कृषकों को 50 प्रतिशत मतलब 27.50 लाख रुपये का अनुदान प्रदान किया जाता है। यदि किसान भिन्न-भिन्न योजनाओं का फायदा लेना चाहें तो इसकी भी छूट है। किसान किसी भी योजना का आसानी से चयन कर सकते हैं।

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